एटा में बढ़े मतदान प्रतिशत से निर्दलीय प्रत्याशियों की अटकी सांसें 

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एटा में बढ़े मतदान प्रतिशत से निर्दलीय प्रत्याशियों की अटकी सांसें बढ़े मतदान प्रतिशत से निर्दलीय प्रत्याशियों की सांसें अटक गई हैं। निर्दलीयों को जमानत जब्त होने की चिंता सता रही है।

गाँव कनेक्शन नेटवर्क

एटा। बढ़े मतदान प्रतिशत से निर्दलीय प्रत्याशियों की सांसें अटक गई हैं। निर्दलीयों को जमानत जब्त होने की चिंता सता रही है। हार जीत के समीकरणों को फिट करने के बाद प्रत्याशी इस असमंजस में है कि क्या उनको कुल वोट का छह फीसद मिलेगा या नहीं। अगर जमानत जब्त हो जाती है, तो पैसे के साथ-साथ सम्मान पर भी असर पड़ेगा।

नामांकन के दौरान सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को 10 हजार रुपये और आरक्षित वर्ग को 5 हजार रुपये जमानत राशि देनी होती है। कुल पड़े वोटों का छह फीसद मिलने पर जमानत राशि वापस कर दी जाती है। विधानसभा चुनाव में जिले में 46 प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार हर विस क्षेत्र में वोटिंग का आंकड़ा 60 फीसद के पार गया है और हर सीट पर बड़ी पार्टियों में मुकाबला है। ऐसे में निर्दलीयों की चिंता लाजिमी है।

जिले में अलीगंज विस में 2,20,575 मतदाताओं ने मत प्रयोग किया है। यहां हर प्रत्याशी को कम से कम 13 हजार वोट चाहिए। विस क्षेत्र से 14 प्रत्याशी मैदान में हैं और यहां बसपा, सपा और भाजपा में एक-एक वोट को लड़ाई छिड़ी है। ऐसे में निर्दलीयों के जमानत बचा पाना मुश्किल दिख रहा है।

एटा विस पर भी जमानत बचाने को 12 हजार से अधिक वोट चाहिए, लेकिन यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय है। वहीं शहरी क्षेत्र में प्रमुख पार्टियों की लहर के चलते हर प्रत्याशी के लिए जमानत बचाना मुश्किल सा ही है।

एटा विस में एक बागी प्रत्याशी के लिए भी जमानत बचाना बेहद अहम है। जलेसर और मारहरा में 11 हजार वोटों को पाने के बाद ही जमानत बचाई जा सकती है। इन सीटों पर क्रमश: नौ और दस प्रत्याशी मैदान में हैं। अब देखने वाली बात होगी कि आखिर कितने प्रत्याशियों की जमानत बच सकती है।

     

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