गांव और कस्बों की लड़कियों को नहीं राजनीति से लेना देना, कहा- ‘घर वाले जिसे कहेंगे दे देंगे वोट’

Meenal TingalMeenal Tingal   12 Jan 2017 2:17 PM GMT

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गांव और कस्बों की लड़कियों को नहीं राजनीति से लेना देना, कहा- ‘घर वाले जिसे कहेंगे दे देंगे वोट’मतदान

लखनऊ। चुनाव में मतदान को लेकर भले ही चुनाव आयोग सभी को जागरूक करने की बात कहता है लेकिन अभी भी गाँवों के डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राएं न तो मतदान के प्रति जागरूक हैं और न ही राजनीति में रुचि रखती हैं। कइयों को तो ये तक नहीं पता कि चुनाव कब है। उनका कहना है कि जिनको घर वाले कहेंगे वोट डाल देंगे।

मैं राजनीति से काफी दूर हूं। इस झंझट में पड़ना नहीं चाहती हूं। राजनीति में क्या हो रहा मुझे नहीं पता। मतदान उसको करूंगी जिसको घर वाले कहेंगे ?
प्रियंका छात्रा बीए, महरौनी, ललितपुर, यूपी

गाँव कनेक्शन की अलग-अलग जिलों के गाँवों में स्थित डिग्री कालेजों में छात्राओं से बातचीत के बाद ये बात सामने आई। ललितपुर स्थित नेहरू महाविद्यालय में पढ़ने वाली, आजाद पुरा ग्राम निवासी शिवानी राजा 22 वर्ष बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। वह कहती हैं, “किस राजनैतिक प्रतिनिधि को वोट डाले, मुझे पता नहीं? मैंने दो बार मतदान किया है लेकिन मैं कभी भी अपनी इच्छा से वोट डालने नहीं गयी। घर वालों ने जिसको कहा मैंने उसको मतदान कर दिया। इस बार भी घरवाले जिसको कहेंगे मैं उसको मतदान कर दूंगी।”

कानपुर के परड़ी लालपुर गाँव की निवासी दीपा तिवारी 20 वर्ष माँ गायत्री महाविद्यालय, खड़ेश्वारधाम की बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। वह कहती हैं “मतदान करने से आखिर क्या बदलने वाला है। पहले सबसे जरूरी है अपने घर का काम और खाना बनाना, जो यदि नहीं बनाया तो भूखे रहेंगे सब। काम करने के बाद इतना थक जायेंगे कि लाइन में लगने का मन नहीं करेगा। इसलिए बिना वजह किसी के लिए मेहनत करना बेकार है। वैसे भी मुझे राजनीति में कोई रुचि नहीं है।”

पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव में वोटर्स को जागरूक करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहता ताकि मतदाताओं को वोट के लिए मतदान केन्द्र तक लाया जा सके।

छात्राओं को जागरुक करने के लिए कॉलेजों में विशेषज्ञ भेजकर उनकी काउंसलिंग करवायेंगे। कई कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित करेंगे ताकि छात्राओं में मतदान के प्रति जागरुकता को बढ़ाया जा सके।
टी. वेकटेश, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश

ललितपुर के छिल्ला गाँव के आरटीआई कालेज, महरौनी में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा प्रियंका (20 वर्ष) बताती हैं, “मैं राजनीति से काफी दूर हूं। इस झंझट में पड़ना नहीं चाहती हूं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या हो रहा मुझे नहीं पता। मतदान उसको करूंगी जिसको घर वाले कहेंगे क्योंकि वही बतायेंगे कि हमारे बारे में किस प्रत्याशी ने अच्छा सोचा और किसको जीतकर आना चाहिये।”

काकोरी के कठिंगरा ग्राम निवासी वंदना 21 वर्ष जो कि मुमताज डिग्री कॉलेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं, कहती हैं, “मतदान एक बार किया था लेकिन अब नहीं करना चाहती।” उन्होंने कहा कि यह सुनती आ रही हूं कि मतदान हमारा अधिकार है लेकिन प्रत्याशी हमारा अधिकार तब हम लोगों को नहीं देता जब वह हमारे मत से जीत जाता है। इसलिए मैं मतदान करने में यकीन नहीं रखती।

मतदान करना चाहिये यह तो पता है लेकिन मुझे इसमें कोई रुचि नहीं है। मुझे नहीं लगता कि इससे किसी का कुछ भला हो सकता है इसलिए मैं मतदान करने नहीं जाना चाहूंगी।
अर्चना (21 वर्ष), दुद्धी, सोनभद्र, यूपी

सोनभद्र, दुद्धी स्थित भाऊ राव देवरस राजकीय पीजी कालेज की ग्राम धनौरा निवासी बीए प्रथम वर्ष की छात्रा कुमारी अर्चना 21 वर्ष बताती हैं “मतदान करना चाहिये यह तो पता है लेकिन मुझे इसमें कोई रुचि नहीं है। मुझे नहीं लगता कि इससे किसी का कुछ भला हो सकता है इसलिए मैं मतदान करने नहीं जाना चाहूंगी।” वहीं मलदेवा निवासी समीना 22 वर्ष एमए प्रथम वर्ष की छात्रा कहती हैं “राजनीति में कुछ समझ आता नहीं है। मतदान करने जायेंगे लेकिन वहां करेंगे जहां घरवाले कहेंगे। घरवालों को ज्यादा पता है कि किस प्रत्याशी को मतदान करना है उसी के अनुसार कर देंगे क्योंकि मुझे तो पता नहीं कि कौन सा प्रत्याशी सही है या नहीं।”

मतदान के लिए अपना समय खराब करो, परेशान हो, लम्बी लाइन लगाओ और जिसके लिए मतदान करो वह न तो पहचानता है और न ही गांव के लिए कुछ अच्छा करता है।
दीपा कुमारी, (23 वर्ष) बीए, दयानंद पीजी कॉलेज, रायबरेली

रायबरेली के बछरावां स्थित दयानंद पी.जी. की एम.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा दीपा कुमारी 23 वर्ष कहती हैं “मैं दो बार पहले वोट कर चुकी हूं लेकिन जो जीता उससे मेरे गांव को किसी तरह का लाभ नहीं हुआ। इसलिए मैं अब मतदान करने नहीं जाना चाहती। वह कहती हैं कि मतदान के लिए अपना समय खराब करो, परेशान हो, लम्बी लाइन लगाओ और जिसके लिए मतदान करो वह न तो पहचानता है और न ही गांव के लिए कुछ अच्छा करता है।”

उधर सभी जिलों में मतदाताओं को जागरुक करने की बात जिलाधिकारियों द्वारा की जा रही है। इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम भी चलाये जायेंगे। इसी क्रम में लखनऊ में बुधवार से मतदाता जागरुकता के लिए जिला प्रशासन ने अपनी पहल कर दी। मतदाताओं को जागरुक करने के लिए चित्रकला प्रतियोगिता, पतंगबाजी, नुक्कड़ नाटक, रन फॉर वोट, कैंडिल मार्च जैसे कार्यक्रमों को आयोजित किया जायेगा जिसके जरिये मतदान करने के महत्व को समझाया जायेगा और मतदान के लिए मतदाताओं को जागरुक किया जायेगा।

साथ में- ललितपुर से अरविंद परमार, सोनभद्र से भीम कुमार और रायबरेली से किशन कुमार, कानपुर से राजीव शुक्ला

         

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