यूपी चुनाव: कड़ी सुरक्षा के बीच 73 सीटों पर मतदान जारी

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यूपी चुनाव: कड़ी सुरक्षा के बीच 73 सीटों पर मतदान जारीपहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर सुबह से ही वोटरों की कतारें लगी हैं।

लखनऊ (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 73 जिलों में शनिवार सुबह सात बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान जारी है। प्रथम चरण में कुल 839 प्रत्याशी मैदान में हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। मतदान शुरू होने के बाद पहले घंटे के भीतर कुछ जगहों पर इवीएम मशीनों के खराब होने की शिकायतें भी आईं लेकिन उन्हें जल्द ही ठीक कर लिया गया। अधिकारी ने बताया, ''यूपी में स्वच्छ और निष्पक्ष मतदान हमारी प्राथमिकता है। आयोग ने लोगों से अपील की है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें।''

पहले चरण में सबसे अधिक आगरा दक्षिण से 26 उम्मीदवार मैदान में हैं जबकि सबसे कम छह उम्मीदवार हस्तिनापुर, इगलास और लोनी विधानसभा सीटों पर हैं। पहले चरण में कुल 2,60,17,128 मतदाता वोट डाल रहे हैं। इसमें 1,42,76,128 पुरूष और 1,17,76,308 महिलाएं शामिल हैं। मतदान के लिए 14,514 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

पहले चरण में कुल 839 प्रत्याशी हैं। इसमें महिला प्रत्याशियों की संख्या 77 है। मतदेय स्थलों पर 2,362 डिजिटल कैमरे, 1,526 वीडियो कैमरा लगाए गए हैं। 2,857 जगहों पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था भी की गई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान 73 सीटों में सपा को 24, बसपा को 23, भाजपा को 12, राष्ट्रीय लोकदल को 9 और कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत मिली थी।

इस बार हो सकता है रिकार्ड मतदान

आयोग ने अपने स्तर पर इसके लिए सारे प्रयास किए हैं तो जागरूक मतदाताओं ने भी रैलियों, गोष्ठियों और मानव श्रृंखलाओं में जबरदस्त भागीदारी करके कदम दर कदम उसका साथ दिया है। इसके अलावा और भी कई कारण हैं जो रिकार्ड मतदान होने की ओर संकेत करते हैं।

पश्चिमी उप्र में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से लगातार गर्मा रहे सियासी माहौल से भी मतदाता अछूता नहीं है। राजनीतिक दल भी वोटों का ध्रुवीकरण करने को हर हथकंडा अंतिम समय तक आजमा रहे हैं। मौसम भी लोगों के अनुकूल है।

बता दें कि एक दशक पूर्व वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव जब मई की तपती गर्मी में हुए थे तब 45.96 फीसद ही मतदाता घर से बाहर निकले थे। वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च के खुशनुमा मौसम में हुए तो पहली बार राज्य के विधानसभा चुनाव में 59.40 फीसद वोटिंग हुई थी। खास बात यह रही थी कि पुरुषों से कहीं ज्यादा 60.28 फीसद महिला मतदाता घर से निकल कर वोटिंग करने मतदान केंद्रों तक पहुंचीं थी। गर्मी के बावजूद मोदी लहर के चलते वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 58.35 फीसद वोट राज्य में पड़े थे। इस बार भी मोदी एक फैक्टर तो हैं हीं।

गौर करने की बात यह है कि वोट प्रतिशत की घटत-बढ़त सियासी दलों के लिए बेचैनी का सबब बनती है। शहरी क्षेत्रों में मतदान कम हो तो भाजपाइयों की सांसे उखड़ती हैं। इसी तरह ग्रामीण मतदाताओं की उदासीनता सपा व रालोद जैसे दलों को परेशान करती है।

देखना यह है कि प्रदेश में मतदान के पहले चरण में 2.60 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कितने वोटर करते हैं? उम्मीद करनी चाहिए कि जब हाल ही में गोवा में 83 और पंजाब में 75 फीसद वोटिंग हो सकती है तब फिर उत्तर प्रदेश में भी पिछले वोटिंग रिकार्ड टूटेंगे।

   

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