अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई से यूपी में चिकन हुआ महंगा, कई दुकानदार बदलना चाहते हैं धंधा

Basant KumarBasant Kumar   24 March 2017 7:09 PM GMT

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अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई से यूपी में चिकन हुआ महंगा, कई दुकानदार बदलना चाहते हैं धंधाअवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई से प्रभावित हुआ है मीट का कारोबार।

लखनऊ। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने सत्ता संभालते ही अवैध बूचड़खाने पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया, जिसके बाद बाज़ार में मांस की कमी हो गयी है। नतीजतन वैध दुकानों में उपलब्ध मासों के दाम में वृद्धि आ गयी है। कई दुकानदार तो सब्जी की दुकान बेचने की शुरुआत करने जा रहे हैं।

नरही बाज़ार में पिछले दस साल से ज्यादा समय से चिकेन की दुकान चलाने वाले अब्दुल के पास नगर निगम का लाइसेंस नहीं था। लाइसेंस नहीं होने के कारण अब्दुल की दुकान पुलिस बंद करा दी है। अब्दुल बताते हैं कि मेरे पास लाइसेंस था, लेकिन गुम हो गया है। दो-चार दिन देखूंगा अगर लाइसेंस मिल जाता है तो ठीक नहीं तो सब्जी की दुकान खोल लूंगा।

मेरे पास लाइसेंस था, लेकिन गुम हो गया है। दो-चार दिन देखूंगा अगर लाइसेंस मिल जाता है तो ठीक नहीं तो सब्जी की दुकान खोल लूंगा।
अब्दुल, चिकन दुकानदार, नरही लखनऊ

अवैध बूचड़खाने बंद होने से चिड़ियाघर के जानवरों को रहना पड़ रहा भूखा

बूचड़खाने पर प्रतिबंध के विरोध में आज लखनऊ की मुर्गा मंडी समिति ने अनिश्चितकालीन बंदी का एलान किया जिसके बाद से चिकेन के दाम में वृद्धि आई है। मुर्गा खुदरा में जो बिना कटा 130 रुपए मिलता था अब 140 रुपए बिक रहा है और कटा हुआ मुर्गा 180 रुपए के बदले200 रुपए किलो बिक रहा है। अवैध चिकेन की दुकान बंद होने से वैध दुकानों पर दबाव बढ़ गया है।

सरकार का यह फैसला सही है। दुकानदार सरकार को टैक्स नहीं देना चाहते हैं। अकेले लखनऊ में 2500 से ज्यादा बूचड़खाने और दुकानें हैं जबकि नगर निगम ने लाइसेंस सिर्फ 600 को दिया है।
दीनानाथ वर्मा, अध्यक्ष, नरही बाजार संघ और चिकन कारोबारी

नरही बाज़ार संघ के अध्यक्ष और खुदरा चिकेन व्यापारी दीनानाथ वर्मा बताते हैं कि सरकार का यह फैसला सही है। दुकानदार सरकार को टैक्स नहीं देना चाहते हैं। अकेले लखनऊ में 2500 से ज्यादा बूचड़खाने हैं और नगर निगम के यहाँ से लाइसेंस सिर्फ 600 बूचड़खाने को प्राप्त है। नरही बाज़ार में तीन बकरे की, सात चिकेन की, नौ मछली और एक सूअर की मांस की दूकान हैं, जिसमें से सिर्फ दो अवैध दुकानें हैं।

मांस काटने वाली जगह को ढककर रखें

दीनानाथ वर्मा बताते हैं कि पुलिस की तरफ से साफ़ निर्देश मिला है कि मांस काटने वाली जगह को चादर से ढककर रखें ताकि आने जाने वालों की उस पर नज़र ना जाए।

कैसे मिलता है लाइसेंस?

दीनानाथ वर्मा बताते हैं कि नगर निगम से मांस बेचने के लिए लाइसेंस लेना होता है। जिसके दौरान हमें बताना होता है कि हमारा मांस शुद्ध होगा और साफ़-सुथरा मांस उपलब्ध करायेंगे। ज्यादातर दुकानदार टैक्स देने से बचने के लिए लाइसेंस नहीं बनवाते है। थोक विक्रेता को एक किलो मांस के बदले एक रुपए देना होता है, वहीं खुदरा विक्रेताओं को लाइसेंस के लिए साल भर का एक हज़ार रुपए देना होता है। दुकानदार एक हज़ार रुपए बचाने के लिए लाइसेंस नहीं बनवाते हैं।

        

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