अभिभावक तय न करें बच्चों का भविष्य

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अभिभावक तय न करें बच्चों का भविष्यकरियर चयन में आवश्यक है कि मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं से पर्याप्त रुचि, क्षमता एवं व्यक्तित्व का मूल्यांकन, परीक्षण कर करियर का चुनाव किया जाए।

नम्रता श्रीवास्तव, करियर काउंसलर

यह हम सभी मानते हैं कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है और यह अक्सर कई सारे इंस्टीट्यूट और करियर विज्ञापनों में सार्वभौमिक सत्य और सफलता के मंत्र के रूप में उपयोग किया जाता है। आधुनिक विकसित देश की कल्पना में बहुत सारे करियर विकल्प अपने ग्लैमर और चमक- दमक के साथ उभरकर सामने आए हैं।

निश्चित ही यह हमारे विकास और उन्नाति के लिए जरूरी है, पर इनके करियर चयन में व्यक्तिगत भिन्नता को भी ध्यान में रखना चाहिए। बड़े-बड़े होर्डिंग्स, विज्ञापन और करियर-गुरु नई-नई संभावनाओं के काल्पनिक सागर में आज की युवा पीढ़ी को सपनों के ऐसे जगत में ले जाते हैं, जहां उनकी सारी महत्वाकांक्षाएं और सपने पूरे होते दिखते हैं। पर किसी भी करियर विकल्प के चुनाव में कई महत्वपूर्ण पक्ष होते हैं, जो कि सही चुनाव कर व्यर्थ ऊर्जा और समय को नष्ट होने से बचा सकते हैं और जो व्यक्ति की सफलता और असफलता को प्रभावित करते हैं।

कई बार ऐसा देखा गया है कि दो समान योग्यता और क्षमता रखने वाले व्यक्तियों में एक अधिक सफलता पाता है और दूसरा बहुत कम। दो व्यक्ति एक ही विषय में समान रुचि रखते हैं, पर एक कम अंक पाता है और दूसरा अधिक। सूरज एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसकी उम्र 26 वर्ष है, पर अब वह अपना जॉब छोड़कर घर आ गया है और वापस नहीं जाना चाहता। उसके माता-पिता उसे मेरे पास ले कर आए। परामर्श के दौरान पता चला कि वह डॉक्टर बनना चाहता था, लेकिन उसके पिता जो कि खुद इंजीनियर थे, उसे एक सफल इंजीनियर बनाना चाहते थे। वह अपने पिता का विरोध नहीं कर सका। अब वह डिप्रेशन में है और अपने भविष्य को लेकर चिंतित है, क्योंकि उसके पास जॉब सेटिसफैक्शन नहीं है।

विजय 12वीं कक्षा का छात्र है। वह 12वीं कक्षा में दूसरी बार भी फेल हो गया। जब उसे मेरे पास लाया गया, तब पता चला कि उसे गणित विषय पसंद था और बाकी मित्र भी गणित विषय ले रहे थे। इसलिए उसने भी 11वीं कक्षा में गणित विषय चुना। 11वीं तो उसने जैसे-तैसे पास कर लिया, पर वह 12वीं कक्षा में पिछले दो वर्षों से फेल हो रहा था, अब वह विषय बदलना चाहता है।

उपरोक्त उदाहरणों से समझ में आता है कि किसी विषय में रुचि ही काफी नहीं है। उसमें पर्याप्त क्षमता भी होनी चाहिए और कई बार क्षमता तो होती है, पर वहां रुचि का अभाव होता है। इसीलिए करियर चयन में यह आवश्यक है कि मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं द्वारा पर्याप्त रुचि, क्षमता एवं व्यक्तित्व का मूल्यांकन एवं परीक्षण कर करियर का चुनाव किया जाए और इस तरह से हम यह कह सकते हैं कि सिर्फ विकल्पों की जानकारी ही करियर काउंसलिंग नहीं है, अपितु विकल्पों को चुनने से पूर्व उसका संपूर्ण मनोवैज्ञानिक व्यक्तिगत मापन होना चाहिए।

     

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