'अब बांदा में कोई भूखा नहीं सोएगा': डीएम

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अब बांदा में कोई भूखा नहीं सोएगा: डीएमगाँव कनेक्शन

“बुंदेलखंड घास खा रहा है, भूख और प्यास से लोग मर रहे हैं” अखबारों व टीवी चैनलों में दिखाई जा रही क्षेत्र की इस तस्वीर से अलग हैं बुंदेलखंड की असल समस्याएं। बांदा के डीएम योगेश कुमार से गाँव कनेक्शन रिपोर्टर स्वाती शुक्ला की बातचीत के अंश:

लखनऊ। बुंदेलखण्ड में वैसी स्थिति नहीं है जैसी ज्यादातर मीडिया में दिखाई जा रही है। पिछले डेढ़-दो महीने में बहुत सी दिक्कतें सामने आई हैं धीरे-धीरे सब ठीक किया जा रहा है। पिछले कुछ समय से मैं बांदा में डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट की तरह नहीं डिस्ट्रिक्ट मेनैजर की तरह काम कर रहा हूं।  

कोई भूखे पेट न सोए इसके लिए बांदा के हमने सभी 2100 स्कूलों में, जहां मिड-डे मील बन रहा है, वहां खाने की मात्रा बढ़ा दी है। इससे हर स्कूल, गाँव के कुछ अतिरिक्त लोगों को भोजन कराएगा। इस काम को करने में थोड़ी मुश्किल हुई लेकिन यह काम करने के लिए स्कूल तैयार हो गए। इस तरह बांदा में अब कोई भूखा नहीं सोएगा।

सरकार की बहुत सी योजनाएं चल रही हैं लेकिन गाँव वालों को उनका लाभ नहीं मिल पाता। लाभ मिले ये पुख्त़ा करने के लिए हमने टीमें बनाई हैं जिनमें ब्लॉक, तहसील और जिलास्तर के सभी अधिकारियों को दो-दो गाँव दिए गए हैं, इन टीमों के अधिकारी रोज गाँवों का भ्रमण करेंगे। गाँव की स्थिती व कोटेदार के काम को देखेंगे कि वह छह घंटे दुकान खोल रहे हैं या नहीं। राशन कार्ड की लिस्ट लगाई या नहीं। अन्त्योदय लाभार्थियों की लिस्ट है कि नहीं। इस तरह राशन कार्डधारकों को यह पता चल सकेगा कि वो किस दुकान पर राशन लें।

पानी के संकट की बात हो रही है लेकिन हम मानव और पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था लगातार कर रहे हैं। जिले में पानी के 170 टैंकर खरीदे गये हैं।बांदा में संसाधनों के प्रबंधन की बहुत ज़रुरत है। यहां पर बहुत कुछ किया जा सकता है। एक महीने में तीन बार हम ब्लॉक, तहसील, विकास भवन का निरीक्षण करते हैं, जिससे कि समस्या का पता चल सके।    

जो शादी ब्याह,पंचायत और सोशल इवेन्ट में या किसी भी कार्यक्रम में प्रयोग किये जा सकें। साथ ही इन टैंकरों का प्रयोग आग बुझाने के लिए भी किया जा रहा है, क्योंकि बांदा जिले में सिर्फ चार दमकल गाड़ियां हैं। पशुओं के लिए तालाब व चरही की व्यवस्था की गई है। साथ ही हम लोगों रोजगार देने का प्रयास कर रहे हैं। मनरेगा से अब तक 46 हजार लेबर को रोजगार दिया गया है। उनके साथ कोई दुर्घटना न हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। 

हमने ऐसी 65 जगहें चिन्हित की हैं जहां पर ये सोलर हैण्डपम्प लगने हैं, यह योजना पेयजल योजना से अलग है। हर सोलर हैण्डपम्प से दाएं और बाएं 70 मीटर तक पाइप लाइन दी जाएगी। इसमें एक टंकी होगी और एक नल होगा जो सोलर लाइट व हाथ दोनों से चलेगा। इससे लोगों को आसानी से पानी मिलेगा और उन्हे दूर तक नहीं जाना पड़ेगा। राज्य सरकार ने इन जगहों का चिन्हित किया है। इससे 150 सौ से अधिक लोगों को पानी का लाभ मिलेगा।

नेडा ने पूरे जिले के लिए हमें 10 सोलर आरो दिये हैं जो प्राइमरी स्कूलों में लगाये गये हैं। दरअसल बांदा के पानी में टीडीएस कि 1500 से 1800 तक की मात्रा है जो कि बहुत अधिक है पेट कि बीमारियों के लिए नुकसान दायक है। हालांकि जनसंख्या के हिसाब से हमें मिले आरओ की संख्या कम है और आरो की आवश्यकता है। बगल के जिले चित्रकूट में 36 आरो दिये गये हैं। 

हमने देखा है कि यहां पर युवा काम करना चाहते हैं पर उनके लिए काम नहीं है। यहां पर कौशल विकास की कोई ट्रेनिंग आज तक नहीं दी जा रही थी। आईटीआई के तहत सिर्फ 490 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, जबकि लक्ष्य 3500 का था। इससे निपटने के लिए अब हमने युवाओं के प्रशिक्षण के लिए बाहर से लोग बुलाए हैं। पांच हजार युवाओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा। 

खेती की दृष्टि से यहां के किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि हरित क्रांति का यहां बुरा प्रभाव पड़ा। पानी की कमी होने के कारण भी यहां के लोग गेहूं और चावल उगा रहे हैं जो इनकी समस्याएं बढ़ा रहा है। 

किसानों को जानकारी का अभाव है साथ ही साथ तकनीकी किसानी के बारे में किसान जागरूक नहीं हैं। यहां की मिट्टी पथरीली है जिसके कारण खेती में समस्याएं आती हैं। यहां पर तिल और दाल की खेती अच्छी की जा सकती है। इसके लिए हमने खेत तालाब योजना को लागू किया है जिसमें 250 तालाब खोदे जाएंगे। कुछ जेसीबी द्वारा कुछ मनरेगा के द्वारा। मेरे देखने में आया है कि किसानों से बैंकर्स यहां कमीशन तो लेते ही हैं और सब्सिडी भी नहीं देते। इससे निपटने के लिए बैंकों से लिस्ट मांगी गई है। 

 

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