बच्चे हैं नहीं, किसे बांटे मिड-डे मील

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बच्चे हैं नहीं, किसे बांटे मिड-डे मीलगाँव कनेक्शन

बागपत। सूखाग्रस्त जिलों के अन्दर परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के लिए मिड-डे मिल की व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन इसकी जरूरत कहां पर है और कहां पर नहीं, इसका सर्वे तक नहीं किया गया है। 

अब स्थिति यह है कि स्कूलों में टीचर और रसोइयें तो समय से पहुंच रहे हैं लेकिन विद्यालयों में बच्चे ढूंढे़ नहीं मिल रहे। जनपद के अधिकांश विद्यालयों में गरीब बच्चों को भोजन देने की योजना धड़ाम हो चुकी है। 

विद्यालयों में बच्चों की संख्या शून्य है और भोजन पकाने का काम बंद है। ऐसे में रसोइयां किसको भोजन खिलाएं और किसके लिए पकाएं, यह उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है लेकिन अधिकारी कोर्ट के आदेश मानने को मजबूर है।

जिला मुख्यालय से 13 किमी उत्तर दिशा की ओर खेकड़ा तहसील के विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति शनिवार को शून्य थी। प्राथमिक विद्यालय नम्बर तीन की अध्यापिका बीना बताती हैं कि उनके विद्यालय में 250 से ज्यादा बच्चे आते हैं लेकिन छुट्टियां हो जाने के चलते अब बच्चे स्कूल नहीं आते हैं लेकिन शासन से आदेश है तो हमें तो आना ही होगा। नाम न छापने की शर्त पर एक अध्यापक ने बताया कि यहां के विद्यालयों में शिक्षा पर इतना जोर नहीं दिया जाता है जितना अन्य योजनाओं पर दिया जाता है। 

हमने शिक्षा इसलिए पाई थी कि एक टीचर बनकर बच्चों को शिक्षित करेंगे लेकिन यहां पर सरकार ने पढ़ाई को छोड़ अन्य कार्यों में लगा दिया है। कभी बीएलओ का कार्य दिया जाता है कभी जनगणना का तो कभी प्रशासनिक अन्य कार्यों में लगा दिया जाता है। अब छुटिटयों में जब बच्चे नहीं आ रहे है और मिड-डे मील बनाना है तो किसके लिए बनाया जाये। हम तो केवल शासनादेशों का पालन करते हैं। जो कार्य हमारे हाथ में होता है तो उसको मैं कर सकता हूं। शिक्षकों को अगर किसी प्रकार की परेशानी है तो शासन को अवगत कराना चाहिए। 

रिपोर्टर - सचिन त्यागी

 

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