बीआर चोपड़ा ने अपनी फिल्मों के जरिए सामाजिक मुद्दों को उठाया

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बीआर चोपड़ा ने अपनी फिल्मों के जरिए सामाजिक मुद्दों को उठायाgaoconnection.COM

कई हजार वर्ष पहले हुई महाभारत को भले ही वेदव्यास ने कलमबद्ध किया हो लेकिन छोटे पर्दे पर महाभारत को जीवंत करने वाले थे स्वर्गीय निर्देशक बीआर चोपड़ा। आज भी महाभारत की बात होती है तो लोगों की जुबान पर बीआर चोपड़ा की महाभारत का नाम ही आता है। किरदारों का अभिनय हो या  बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमेटोग्राफी हर किसी में इस सीरीज का कोई जवाब नहीं। आज उन्हीं बीआर चोपड़ा का जन्मदिन है। उनका पूरा नाम बलदेव राज चोपड़ा था।

टेलीविजन सीरियल महाभारत के अलावा बीआर चोपड़ा ने नया दौर, साधना, कानून, गुमराह और हमराज जैसी कई यादगार फिल्में बनाई और निर्देशित भी की। 

भारतीय सिनेमा जगत में बीआर चोपड़ा को एक ऐसे फिल्मकार के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने पारिवारिक, सामाजिक और साफ सुथरी फिल्में बनाकर लगभग पांच दशक तक सिने प्रेमियों के दिल में अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने लगभग अपनी हर फिल्म में एक सामाजिक संदेश दिया। इन फिल्मों का जिक्र हम आज कर रहे हैं-

नया दौर

1957 में आई फिल्म नया दौर के जरिए बीआर चोपड़ा ने आधुनिक युग और ग्रामीण संस्कृति के बीच टकराव को रूपहले पर्दे पर पेश किया, जो दर्शकों को काफी पसंद आया। फिल्म में दिलीप कुमार और वैजयंती माला ने अभिनय किया था। यह फिल्म गोल्डन जुबली हिट थी। फ़िल्म में दिलीप कुमार एक ऐसे तांगे वाले की भूमिका में हैं जो एक संपन्न व्यापारी को चुनौती देता है। यह व्यापारी तांगों की जगह सड़कों पर बसों की स्वीकार्यता बढ़ाने के प्रयास में ग़रीब तांगे वालों के हितों की अनदेखी करता है। फिल्म का संगीत काफी पसंद किया गया। खासकर गाना ‘ये देश है वीर जवानों का’ आज भी यादगार है।

कानून 

1960 में आई फिल्म कानून में राजेंद्र कुमार, अशोक कुमार और नंदा ने अभिनय किया था। यह बिना गानों वाली फिल्म थी जिसकी पूरी कहानी एक कोर्टरूम में छिड़ी बहस पर आधारित होती है। इस फिल्म के जरिए दिखाया गया है कि  मर्डर केस के आरोपी खुद जज ही होता है। 

बागबान

2003 में आई फिल्म बागबान में वृद्ध माता-पिता और उनके बच्चों की कहानी दिखाई। फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ हेमामालिनी और दूसरे कई अभिनेताओं ने अभिनय किया था। फिल्म में बच्चों द्वारा माता-पिता की अनदेखी जैसे संवेदनशील विषय पर आधारित है। इस फिल्म की कहानी बीआर चोपड़ा ने लिखी थी।

बाबुल

2006 में आई फिल्म बाबुल की कहानी भी बीआर चोपड़ा द्वारा लिखित थी। फिल्म में विधवा मुद्दे को उठाया गया है जिसमें एक ससुर अपनी विधवा बहु का दूसरा विवाह कराता है।

संकलन- शेफाली श्रीवास्तव

 

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