'डॉ. दो दिन बाद आएंगे तब तकलीफ बाताना'

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
डॉ. दो दिन बाद आएंगे तब तकलीफ बातानाgaonconnection

लखनऊ। “तीन दिन से बुखार तेज होने के साथ तकलीफ बढ़ती जा रही थी। वार्ड में तैनात नर्स को हाल बताते तो वह कहती कि दो दिन के बाद जब डॉक्टर आएंगे तो बताना। सोमवार को डाक्टर आए तो देखकर दवा देकर चले गए लेकिन मरीज को कोई फायदा नहीं हुआ।” ठाकुरगंज की बुजुर्ग महिला रामलली (75 वर्ष) के बेटे कौशल निगम ने बताया।

राम लली को तेज बुखार, सिर दर्द के बाद शनिवार को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे इमरजेंसी से महिला वार्ड के बेड नंबर 30 पर शिफ्ट कर दिया गया। 

राजधानी के सरकारी अस्पतालों में रविवार को साप्ताहिक छुट्टी मनाने वाले डॉक्टर शनिवार को भी ओपीडी में दिखाई नहीं देते हैं। इससे रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं इमरजेंसी विभाग में शनिवार को लगी डॉक्टरों की ड्यूटी भी सिर्फ कागजों पर ही पूरी होती है।

सरकारी अस्पतालों के इमरजेंसी विभाग में डॉक्टर आते तो हैं लेकिन बिना मरीजों का हाल-चाल लिए रूटीन चार्ट फालो करते हुए दवा लिखकर चले जाते हैं भले मरीज की तबियत पहले से सुधरी हो या बिगड़ी हो, उसको उन दवाओं आवश्यकता हो या नहीं हो। ऐसे में अगर शनिवार और रविवार को मरीज की हालत बिगड़ जाए तो नर्स ही मरीज को सम्भालती है। 

कौशल ने बताया, “मंगलवार को डाक्टर पर्चे पर ही ड्यूटी निभाने लग गए और जो दवाएं लिखी थी उसको दोबारा लिखने लगे, हाल बताने पर डॉक्टर ने जबरन डिस्चार्ज कर दिया और हमें वार्ड से निकाल देने की धमकी दी।”

रिपोर्टर - दरख्शां कदीर सिद्दीकी

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.