‘इज्जत घर’ सरकार से चाहिए, भरेंगे ईंधन

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‘इज्जत घर’ सरकार से चाहिए, भरेंगे ईंधनgaon connection

कन्नौज। कई गाँव में अब भी सक्षम लोगों की मानसिकता ऐसी है कि वह गरीबों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकार के सहारे हैं। लोग मकान तो पक्के बनवा लेते हैं। घर में दोपहिया से लेकर चैपहिया वाहन भी हैं, लेकिन शौचालय नहीं है। इसके लिए वह पैसों की कमी का रोना रोते हैं। योजना के तहत इज्जतघर यानि शौचालय मिल भी गए तो सदुपयोग न करके गैर जरूरी कामों में उनका इस्तेमाल करते हैं। 

जिले के कई गाँव में सरकार की ओर से दिए गए शौचालयों की हालत खस्ता पड़ी है। वर्ष 2007 में बसपा सरकार बनने के बाद कई गाँव को अंबेडकर ग्राम योजना के तहत चुना गया।

 इनमें इतने विकास कार्य कराए गए कि ग्रामीणों को काफी फायदा हुआ। तकरीबन हर घर में शौचालय भी दिए गए। अब इन शौचालयों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उमर्दा ब्लाक क्षेत्र के महतेपुर्वा गाँव बसपा सरकार में अंबेडकर गाँव रहा था। अब इस गाँव में बने शौचालयों का लोग अधिकतर इस्तेमाल कंडे भरने, लकड़ी व पुआल भरने में कर रहे हैं। इसी ग्राम पंचायत के मजरा बरूआहार में भी कुछ लोगों ने सरकार से मिले शौचालयों में कंडे भर दिए हैं। 

कुछ लोगों ने शौचालय की सीट ही तोड़ डाली है। उसका इस्तेमाल केवल नहाने के लिए कर रहे हैं। कुछेक ग्रामीणों ने उसमें ईंटे भर दी हैं। इसी तरह अंबेडकर गाँव रहा हरौली भी है। यहां कई शौचालयों में गंदगी भरी है। देखरेख के अभाव में ये बदहाल हो रहे हैं। इन गाँव में उस समय जब शासन से सचिव, प्रमुख सचिव या विषेश सचिव आते थे तो गाँव रंगरोगन कर दिए जाते थे।

अब गाँव वालों ने ही शौचालय को कबाड़घर बना दिया है। वहीं गाँव वालों का कहना है कि उनके शौचालय के गड्ढे कम गहरे हैं। कुछ की समस्या है कि शौचालय की छत कम ऊपर है। दूसरी ओर अधिकारियों का तर्क है कि गड्ढे की गहराई चार फिट से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे मल खाद के रूप में तब्दील नहीं हो पाता है। सूर्य की किरणें जमीन से अधिकतम चार फिट नीचे तक ही पहुंचती हैं।

 

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