‘माहौल बदले तो बच्चे आएंगे स्कूल’

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लखनऊ। नए शिक्षा सत्र में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की कार्यशैली में बदलाव आने की उम्मीद है। अब बच्चों को नई क्लास में नए हेडमास्टर मिलेंगे, साथ ही क्लास रूम की सजावट भी बदली जाएगी ताकि बच्चे स्कूल रोज आना शुरू करें।

बच्चों को क्वालिटी एजूकेशन मिले, इसके लिए अपर निदेशक बेसिक शिक्षा महेंद्र सिंह राणा कुछ बिंदु तैयार कर रहे हैं। उन्होंने स्कूलों में माहौल बदलने की वकालत की ताकि बच्चों को अगली क्लास में जाने के बाद कुछ अलग सा बदलाव मिले। देश भर में शैक्षिक गणना करने वाली संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली (डीआईएसई) की रिपोर्ट 2013-14 के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1,53,220 है और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 31,624 है।

लखनऊ। नए शिक्षा सत्र में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की कार्यशैली में बदलाव आने की उम्मीद है। अब बच्चों को नई क्लास में नए हेडमास्टर मिलेंगे, साथ ही क्लास रूम की सजावट भी बदली जाएगी ताकि बच्चे स्कूल रोज आना शुरू करें।

बच्चे पढ़ने आएं और उन्हें क्वालिटी एजूकेशन मिले, इसके लिए अपर निदेशक बेसिक शिक्षा महेंद्र सिंह राणा कुछ बिंदु तैयार कर रहे हैं। उन्होंने स्कूलों में माहौल बदलने की वकालत की ताकि बच्चों को अगली क्लास में जाने के बाद कुछ अलग सा बदलाव मिले और बच्चे लगातार स्कूल आएं। 

देश भर में शैक्षिक गणना करने वाली संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली (डीआईएसई) की रिपोर्ट 2013-14 के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 1,53,220 है और माध्यमिक स्कूलों की संख्या 31,624 है।

राणा कहते हैं, “शिक्षकों को स्कूलों में केवल माहौल बदलने की जरूरत है। हर कक्षा में हर साल क्लास टीचर का बदलाव हो तो नए शिक्षक को लेकर भी बच्चों में उत्साह बना रहता है।” वो बताते हैं, “ क्वालिटी एजूकेशन के लिए मैं एक लेख लिख रहा हूं और इसके पूरे होने के बाद स्कूल प्रशासन को इस सम्बन्ध में टिप्स दूंगा। इसके लिए शिक्षकों के साथ स्कूल के अन्य कर्मचारियों को बस मन से कुछ प्रयास करने की जरूरत है।” 

एडी बेसिक बताते हैं, “स्कूल जाने वाले हर बच्चे की चाहत होती है कि नये शैक्षिक सत्र में उसके स्कूली जीवन में कुछ नयापन दिखाई दे। जरूरी नहीं है कि इसके लिए बजट और नए संसाधनों की जरूरत हो। बिना नये बजट और नये संसाधनों के साथ भी स्कूलों में माहौल को बेहतर बनाया और बच्चों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है।”

वो बताते हैं, “निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए नये शैक्षिक सत्र में ऐसी कई चीजें होती हैं जो उनको नयेपन का एहसास करवा सके। इनमें नई ड्रेस, नई किताबें, नए जूते, बॉटल और लंचबॉक्स से लेकर नया क्लासरूम और नयी क्लास टीचर तक शामिल होती हैं। साथ ही जब वह नये क्लास में पहुंचते हैं तो नया क्लास और नई मैम उनका स्वागत करते हैँ। साथ ही मैम इंट्रोडक्शन के जरिये उनको खास महसूस करवाती हैं।

वहीं दूसरी ओर सरकार स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को न तो नये सत्र में नयी किताबें ही मिलती हैं और न ही नई ड्रेस। यहां तक की स्कूल का क्लासरूम और क्लास टीचर भी अक्सर रिपीट होते हैं। साथ ही जब स्कूल आते हैं तो वही कमरा वही सजावट और वही पुराना माहौल देखने  को मिलता है। शिक्षक भी इस तरह से पेश नहीं आते जिससे उनको लगे कि वह स्कूल के लिए खास हैं। ऐसे में कई बार बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है और वह न तो स्कूल में देर तक रुकना चाहते हैं और न ही घर में ही पुरानी किताबों से पढ़ना चाहते हैं।”

ये किए जा सकते हैं बदलाव

  • क्लासरूम की सजावट चाहें जैसी हो उसको बदलते रहें। 
  • कुर्सी-मेज और बच्चों के बैठने की सेटिंग को भी समय-समय पर बदलें।
  • क्लास को भी बदल सकें तो बेहतर होगा। 
  • क्लास टीचर के साथ अन्य शिक्षकों को भी उन बच्चों को अपनी बातों से और इंट्रोडेक्शन के जरिये खास महसूस करवाते रहना चाहिये 
  • कक्षा में इंटीरियर और पर्दे जैसे अन्य सामानों को अदलें-बदलें

रिपोर्टर मीनल टिंगल

 

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