1991 के बाद मुस्लिमों के प्रति बदला दुनिया का नज़रिया: सईद नकवी

Arvind ShukklaArvind Shukkla   16 July 2016 5:30 AM GMT

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1991 के बाद मुस्लिमों के प्रति बदला दुनिया का नज़रिया: सईद नकवीgaonconnection

लखनऊ। अपनी नई किताब ‘द अदर्स इंडियन’ का विमोचन करने लखनऊ पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सईद नकवी ने पत्रकारिता के गिरते स्तर को दुखद बताया तो कश्मीर और अरब देशों समेत कई मुददों को लेकर बेबाक टिप्पणी की।

पत्रकारिता में चार दशक से ज्यादा अनुभव रखने और सवा सौ से ज्यादा राष्ट्रों के दौरे कर उनके प्रमुख से साक्षात्कार करने वाले नकवी के राज्यसभा में प्रसारित इंटरव्यू का शनिवार को प्रेस क्लब में प्रदर्शन किया गया। नकवी का स्वागत करते हुए प्रेस क्लब के अध्यक्ष रवींद्र सिंह ने कहा, “नकवी जी पत्रकारिता के भीष्म पितामह हैं आज की पीढ़ी के पत्रकारों को उनसे सीखना चाहिए।” इस दौरान सईद नकवी ने समारोह में मौजूद पत्रकारों से अमिताभ बच्चन से दोस्ती से लेकर अटल बिहारी बाजपेई से संबंध, विदेशों में पत्रकारिता और विदेशी नीति, मुस्लमानों की स्थिति आदि को लेकर विस्तार से चर्चा की। एक सवाल के जवाब में नकवी ने कहा, “वर्तमान में पत्रकारिता की स्थिति को देखते हुए एक पब्लिक सेक्टर मीडिया हाउस की ज़रूरत है, जो किसी भी मुद्दे पर निष्पक्ष होकर राय रखे और सरकार पर दबाव बनाए ना कि आज की तरह स्टूडियो में बैठकर एक मुद्दे पर अपनी राय थोपे।” 

उन्होंने अमेरिका का एक उदाहरण देते हुए कहा, “अमेरिका में गोरे पुलिसवालों ने काले लोगों को मार डाला। पिछले दिनों एक काले पुलिसवाले ने पांच गोरे पुलिसवालों को गोलीमार दी, जिसके बाद वहां टाउनहाल मीटिंग शुरू हुईं, जिसमें पीड़ित लोग, सुरक्षाकर्मी आम आदमी चिंतक सब शामिल होकर उस पर चिंतन कर बचने के उपाय खोचते हैं, लेकिन हमारे यहां कश्मीर को लेकर क्या होता है, कुछ लोग टीवी पर बैठते हैं और चीखते हैं। क्या हमने उस पर कोई सार्थक बहस की ?”

अपनी किताब बीइंग मुस्लिम ‘द अदर्स इंडियन’ को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा, “इस किताब में कई मुद्दे ऐसे हैं जो पत्रकारों की भी सोच बदलेंगे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, 1990 से पहले मुसलमान बहुत अच्छे थे, फिर उसके बाद एकाएक कैसे सब मुसलमान बदमाश हो गए। इसका जबाव उस सोवियस संघ के पतन से जुड़ी है। अमेरिका और उसके साथियों ने सोवियत संघ के डाउनफाल के बाद इराक पर हमला किया। उस दौरान एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ। फरवरी 1991 में पहली बार ग्लोबल मीडिया का जन्म हुआ। इराक के होटल अल रसीद से दुनिया ने पहली बार युद्ध लाइव देखा। इसके दो मायने निकले। एक वो जिन्होंने हमला किया था उन्हें उसे विजय के तौर पर लिया कि देखो हम सोवियत संघ की हार के बाद हम सबसे ताकतवर है, लेकिन उसी क्षण अरब देशों ने इसे सामाजिक तिरस्कार के रुप में लिया, अपने पर हमला माना। एक टीवी प्रसारण ने दुनिया दो अडियंस में बांट दिया। वही हमारे देश में भी हि रहा है। हम रोज लोगों को बाट रहे हैं, और हमें ख़बर तक नहीं है। पहले मीडिया में सोच होती थी अब पावर है, जिसका गलत इस्तेमाल होता है।”

उन्होंने आगे कहा कि इन हमलों के बाद अरब देशों में कट्टरपन आया है, क्योंकि कुछ लोगों ने एक मुल्क में जाकर एक मीलियन को मार डाला, उनकी पांच हजार साल पुरानी संस्कृति नष्ट कर दी। उनके बच्चे उनके सामने मरे हैं, उनकी महिलाओं का बलात्कार हुआ है, ये उनका विरोध और गुस्सा है। लेकिन आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता है। अमेरिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंन कहा कि सोवियत संघ के डाउनफाल के बाद आपने इस्लामिक टेरेरिज्म का टारगेट किया, क्योंकि आपके दुनियाभर में असलहे बेचने थे।

जाकिर नईक को लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “अमेरिका ने अपनी छत्रछाया में कुछ देशों को पाल रखा था और रखा था, साउदी अरेबिया अमेरिका का अब फेवरिट नहीं रहा। भारत ने वाशिंगटन डीसी का बदला रुख देखकर साउदी से जुड़े लोगों पर लगाम कसनी शुरू की है। जाकिर नायक का किस्सा वैसा ही है।

समारोह के संचालक और वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने कहा कि नकवी साहब का कैरियर आज के पत्रकारों के लिए पाठ की तरह है, जिसे सबको पढ़ना और समझना चाहिए।

रोल ऑफ मुस्लिम्स इन नेशनल इन्ट्रीगेशन पर सेमिनार

लखनऊ। "दो वर्ष पूर्व हुए चुनाव के बाद देश दो खेमों में बंटता जा रहा है। पिछले दो वर्षों में हिन्दू और मुस्लिम के बीच की खायी कुछ ज्यादा गहरी हुई है।" यह विचार शनिवार को संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में आयोजित हुए सेमिनार के अवसर पर वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता व लेखक हर्ष मंदर ने व्यक्त किये।

हील इंडिया और फीड के तत्वावधान में शहीदे वतन बिग्रेडियर मो. उस्मान की कुर्बानियों पर आयोजित हुए सेमिनार का विषय रहा रोल ऑफ मुस्लिम्स इन नेशनल इन्ट्रीगेशन। इस अवसर पर लॉर्ड मार्टिनियर  कॉलेज के ओल्ड ब्वाएज और वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी की नई पुस्तक 'द अदर्स इंडियन' का विमोचन भी किया गया। 

इस अवसर पर हर्ष मंदर ने कहा, "कश्मीर में जो हो रहा है उससे सभी प्रभावित होते दिख रहे हैं लेकिन अभी यह बात सामने आयी है कि मणिपुर में पन्द्रह सौ लोगों का इन्काउंटर कर दिया गया इस बात से कोई प्रभावित नहीं दिखायी दे रहा। ऐसा क्यों है यह सोचना होगा।" सेमिनार में वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये। वक्ताओं ने देशक की एकता, अखण्डता, तरक्की और खुशहाली के लिए की गयी हिन्दू मुस्लिम की सेवाओं और कुर्बानियों का जिक्र करते हुए कहा कि हिन्दू-मुस्लिम दोनों की कुर्बानियों और सेवाओं से ही देश तरक्की कर रहा है। किसी की सेवाओं और कुर्बानियों को नजरअंदाज करके देश के इतिहास को बदला नहीं जा सकता। सेमिनार और पुस्तक के विमोचन के बाद आल इंडिया मुशायरे का आयोजन भी किया गया।

 

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