ग्रामीण महिलाएं आजीविका कृषक मित्र बनकर कर रहीं आधुनिक तरीके से खेती

महिला किसानों को आजीविका कृषक मित्र बनाकर इन्हें खेती के आधुनिक तौर-तरीके सिखाए जा रहे हैं, जिससे इनकी खेती में लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा हो।

Divendra SinghDivendra Singh   30 Jun 2018 9:12 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ग्रामीण महिलाएं आजीविका कृषक मित्र बनकर कर रहीं आधुनिक तरीके से खेती

रांची (झारखंड)। महिला किसान वर्षों से जानकारी के अभाव में परम्परागत तरीके से खेती करती आ रहीं थीं, जिससे इन्हें खेती से बहुत ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। आजीविका मिशन और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से इन ग्रामीण महिला किसानों को आजीविका कृषक मित्र बनाकर इन्हें खेती के आधुनिक तौर-तरीके सिखाए जा रहे हैं, जिससे इनकी खेती में लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा हो।

झारखंड राज्य के लातेहार जिला मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर मुक्का गांव की रहने वाली शान्ती देवी (26 वर्ष) आजीविका कृषक मित्र हैं। आजीविका मेले में अरहर की दाल का स्टाल लगाए शान्ती खुश होकर बताती हैं, "खेती-किसानी की मास्टर ट्रेनिंग ली है, पहले जिस एक एकड़ खेत में अरहर चार से पांच कुंतल ही पैदा होती थी अब उसी खेत में आठ से नौ कुंतल श्रीविधि लगाने से अरहर पैदा होता है। अरहर की ग्रेडिंग करने के बाद बाजार में बेचते हैं, जिससे अच्छा भाव मिल जाता है।" शान्ती देवी अब अपने क्षेत्र की सफल महिला किसान हैं। ये खुद तो कम लागत में बेहतर खेती कर ही रहीं हैं साथ ही अपने पंचायत की महिला किसानों को आधुनिक खेती के तौर-तरीके सिखा रहीं हैं।


ये भी पढ़ें : ये है झारखंड का पहला आदर्श नशामुक्त गांव, विकास के लिए ग्रामीणों ने मिलकर बनाए नियम

आजीविका मिशन के तहत राज्य में शांती देवी की तरह आजीविका कृषक मित्रों की संख्या 4915 है, जिसमें पुरुषों की संख्या दो से तीन प्रतिशत है। आजीविका कृषक मित्र बनाने की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी राज्य के तीन लाख किसानों के साथ काम कर रहा है। राज्य में 25 हजार किसान ऐसे हैं जो जैविक खेती कर रहे हैं। आजीविका कृषक मित्र वही बन सकते हैं जो समूह से जुड़े हों और खेती करते हों। इन्हें प्रशिक्षित करके कम लागत में बेहतर आमदनी के तौर-तरीके सिखाने के साथ ही मार्केटिंग भी सिखाई जाती है जिससे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो सके। एक कृषक मित्र अपनी ग्राम पंचायत में दूसरे किसानों को भी प्रशिक्षित करता है।

शान्ती देवी स्वयं सहायता समूह से वर्ष 2014 में जुड़ी थीं। समूह में जुड़ने के बाद इन्हें आजीविका कृषक मित्र का प्रशिक्षण दिया गया। पहले ये एक एकड़ खेत में 8-10 किलो अरहर की बुवाई करती थी, प्रशिक्षण के बाद एक एकड़ में श्रीविधि से दो किलो अरहर में एक एकड़ खेत की बुवाई करती हैं। शान्ती देवी ने समूह से लोन लेकर मैसुर मशीन लगाई जिससे अरहर की दाल ग्रेडिंग होकर निकलती है, जिससे इन्हें अरहर का भाव अच्छा मिल जाता है। आजीविका कृषक मित्र वही बन सकता है जो स्वयं सहायता समूह का सदस्य हो। आजीविका कृषक मित्र ज्यादातर महिलाएं होती हैं विषम परिस्थियों में पुरुषों को चुना जाता है।

ये भी पढ़ें : ग्रामीण महिलाएं बैंक दीदी बनकर सुदूर गांव तक पहुंचा रहीं बैंक की सेवाएं

शान्ती देवी की तरह रामगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 37 किलोमीटर दूर गोला ब्लॉक के बडकी हेसल गांव में इनकी ही नाम की शांती देवी (23 वर्ष) अपने गांव के 75 किसानों को जैविक खेती करने का हुनर सिखा रही हैं। ये बताती हैं, "जैविक खेती करने की शुरुआत पहले हमने अपने खेत से की। जब हमारी आलू की फसल गांव में सबसे अच्छी हुई तो हमारे समूह की दीदी लोगों का विश्वास बढ़ा। हमारे गांव की 50 महिला किसान अपने थोड़े-थोड़े खेत में जैविक तरीके से खेती कर रही हैं।" वो आगे बताती हैं, "अब इन्हें खाद और कीटनाशक दवाइयों के लिए बाजार की दौड़ नहीं लगानी पड़ती है। ये घरेलू चीजों से ही बीजोपचार से लेकर खाद तक सब बना लेती हैं। ये सभी छोटी जोत की किसान हैं खाने भर के लिए शुद्ध सब्जियां और आनाज उगा रही हैं।"


ऐसे बन सकते हैं आजीविका कृषक मित्र

अगर कोई आजीविका कृषक मित्र बनना चाहता है तो सबसे पहले उसे स्वयं सहायता समूह का सदस्य होना चाहिए। कम से कम आठवीं तक पढ़ाई हों, खुद खेती करती हों और दूसरों को खेती-किसानी के बारे में बताने के लिए उत्साही हो। ऐसी महिलाएं अपने आसपास चल रहे स्वयं सहायता समूह से आजीविका कृषक मित्र बनने के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकती हैं। कृषक मित्र बनने से न केवल उन्हें खेती करने के आधुनिक तौर-तरीके पता चलेंगे बल्कि उनकी लागत कम होगी और आय में इजाफा होगा।

ये भी पढ़ें : घर बैठे ही माइक्रो एटीएम की मदद से झारखंड के ग्रामीणों की मुश्किलें हुई आसान, अब नहीं लगानेे पड़ते बैंक के चक्कर

ये भी पढ़ें : ये महिलाएं हैं पशु सखियां, करती हैं बकरियों का इलाज


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.