विद्यालय प्रबंधन समिति के सहयोग से ग्राम प्रधान ने बदल दी स्कूल और गाँव की तस्वीर

यहां के प्रधान ने शिक्षा, सफाई जैसे कई मुद्दों पर काम करके अपने ग्राम पंचायत की तस्वीर बदल दी है।

Divendra SinghDivendra Singh   14 Jun 2018 5:52 AM GMT

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विद्यालय प्रबंधन समिति के सहयोग से ग्राम प्रधान ने बदल दी स्कूल और गाँव की तस्वीर

रायबरेली। जब भी ग्राम प्रधानों की बात आती है, लोगों के जेहन में यही बात आती है कि कोई काम तो करते नहीं लेकिन कुछ ऐसे भी ग्राम प्रधान हैं जो अपने ग्राम पंचायत की तस्वीर बदलने में जुटे हुए हैं।

रायबरेली जिले के सलोन ब्लॉक की बघौला ग्राम पंचायत कहने को तो पिछले कई वर्षों से अंबेडकर ग्राम है, लेकिन विकास के नाम पर यहां कुछ नहीं हुआ था, लेकिन अब यहां के प्रधान हरिमोहन ने शिक्षा, सफाई जैसे कई मुद्दों पर काम करके अपने ग्राम पंचायत की तस्वीर बदल दी है।

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ग्राम प्रधान हरिमोहन बताते हैं, "कहने को तो पिछली कई पीढ़ियों से प्रधानी मेरे परिवार में ही चली आ रही थी, लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ, लेकिन मेरी पूरी कोशिश रहती है कि अगर प्रधान बना हूं तो गाँव वालों के लिए बेहतर कर पाऊं, बस इसी कोशिश में लगा हूं।"

उत्तर प्रदेश में कुल 59,163 ग्राम पंचायतें हैं, प्रदेश में 16 करोड़ लोग गांव में रहते हैं। 14वें वित्त, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के वार्षिक औसत निकाला जाए तो एक पंचायत को 20 लाख से 30 लाख रुपए मिलते हैं। इन्हीं पैसों से पानी, घर के सामने की नाली, सड़क, शौचालय, स्कूल का प्रबंधन, साफ-सफाई और तालाब बनते हैं।

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बघौला ग्राम पंचायत में तीन प्राथमिक व एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय है, लेकिन फिर भी लोग अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजना चाहते थे, विद्यालय में न तो चारदीवारी थी न तो बच्चों को लिए शौचालय। ग्राम प्रधान, विद्यालय प्रबंधन समिति व अध्यापकों ने मिलकर विद्यालय में सारी सुविधाएं कर दी हैं। विद्यालय में चाहरदीवारी न होने पर एसएमसी के सदस्यों ने ग्राम प्रधान से कहा कि ये जरूरी है, कभी कोई सीधे विद्यालय परिसर में आ जाता है। छुट्टा जानवर भी यहीं डेरा डाले रहते हैं। तब जाकर आज चारदीवारी बन गई है।

"कुछ साल पहले तक पंचायत भवन पूरी तरह से जर्जर अवस्था में था, ग्राम पंचायत की मीटिंग की करनी होती तो लगता कहा करें। लेकिन आज हमारे पंचायत भवन बनकर तैयार हो गया है, कुछ भी मीटिंग करनी हो तो हमें परेशान नहीं होना होता यहीं पर हो जाती है, "ग्राम प्रधान ने बताया।

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गाँव की अनीता बताती हैं, "दिन-रात कभी भी किसी को परेशानी होती है तो प्रधान उनके साथ खड़े होते हैं, स्कूल में खेलने का सामान नहीं था, हमने प्रधान जी से कहा कुछ दिन में ही बच्चों के लिए खेलने का सामान आ गया। कोटेदार स्कूल में राशन देने में आनकानी करता था, लेकिन अब समय पर राशन मिल जाता है।'

जिलाधिकारी ने भी किया है सम्मानित

ग्राम प्रधान के विकास कार्यों को देखकर हरिमोहन को प्रोत्साहन देने के लिए जिलाधिकारी ने भी सम्मानित किया है। ग्राम प्रधान कहते हैं, "ग्राम प्रधान का काम ही होता है लोगों की परेशानी को सुनना और कोशिश करना कि किसी को कोई परेशानी न हो। अभी भी गाँव में कई लोगों को आवास नहीं मिले हैं।"

     

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