दादी की सीख ने पोते को बनाया स्वच्छता का नायक
Manish Mishra 27 Dec 2018 10:25 AM GMT
लखनऊ। इंसान अगर किसी काम को करने की ठाने ले तो उसे करके ही मानता है, गौतम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जब उसके दिमाग में दादी की कही बात इस तरह घर कर गयी कि वह स्वच्छता का नायक बन गया।
सोनभद्र के राबर्ट्सगंज क्षेत्र के ममुआ गाँव में 70 साल की बुजुर्ग राजकुमारी अपने तीन पोतों गौतम, गौरव और रवि के साथ रहती हैं। बहू के मौत के बाद पोतों को दादी ने ही पाल-पोस कर बड़ा किया। खाना बनाना, स्कूल भेजना और नींद न आने पर कहानियाँ सुनना दादी का ही काम था, लेकिन एक दिन की घटना ने बहुत चीजों को बदल दिया।
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राजकुमारी ने बताया, "एक दिन कई ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्राली से बगल के गाँव गए थे। पड़ोसी गाँव के लोग हमारे गाँव के लोगों को खुले में शौच करने से रोक रहे थे और यह बता रहे थे कि खुले में शौच करने से कितनी बीमारियां हो सकती हैं। उस दिन मैंने यह ठान लिया कि अब न तो खुले में शौच करेंगे और न ही किसी को करने देंगे।"
"उसके बाद मैंने अपने सभी पोतों को इस बारे में बताया और उनसे यह कहा कि हम आज के बाद से शौचालय का प्रयोग करेंगे और जब तक शौचालय नहीं बनता है, तब तक गढ्ढा खोद कर जाएंगे और उसे राख से ढक देंगे।" राजकुमारी ने आगे बताया।
राजकुमारी के बड़े पोते गौतम बताते हैं, "हम रोज सुबह उठ कर लोगों को खुले में शौच करने से मना करते थे। धीरे-धीरे हमने गाँव के दूसरे बच्चों को भी अपनी इस मुहिम के साथ जोड़ा। हम लोग रोज सुबह एक-दूसरे को सीटी मार कर जगाते थे, और जब भी कोई खुले में शौच करते हुए दिखता था तो उसे रोकते थे।"
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मझले पोते गौरव बताते हैं, "हम लोग 'खुले में शौच बंद करो' यह नारा लगते हुए गाँव में निकलते थे। लोगों से कहते थे कि अगर आपके घर में शौचालय नहीं है तो आप गड्ढ़ा खोद कर शौच करो और उसे ढंक दिया करो। गौतम हमारे टीम का लीडर था।"
दादी और उनके पोतों को नारा लगते देख गाँव के बाकि लोगों ने भी धीरे-धीरे खुले में शौच जाना बंद कर दिया और शौचालय बनवाने के लिए गाँव के लोग प्रधान से मिलने लगे।
दादी और गौतम के प्रयास से आज घर-घर बने शौचालय
गाँव की प्रधान मीरा देवी बताती हैं, "लोग मेरे पास जब शौचालय बनवाने के लिए आने लगे तो मैंने उनसे कहा कि तुम लोग भी वो करो जो बाकि के गाँव के लोग करते हैं। एक दिन सुबह जब गाँव के लोग ट्रैक्टर से बगल के गाँव में गए तो वहां पर निगरानी समिति का कार्य देख कर सब लोग बहुत प्रभावित हुए। दादी और गौतम के प्रयास से आज गाँव के सभी लोगों के घर में शौचालय है और वह उनका प्रयोग भी कर रहे हैं।"
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