छात्रों ने सीखा स्वच्छता का पाठ तो मिला स्कूल को पुरस्कार

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2014 में देश में ‘स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय’ की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय और उन्हें साफ-सफाई के प्रति जागरुक किया जाना था।

Shefali Mani TripathiShefali Mani Tripathi   15 Oct 2018 9:08 AM GMT

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छात्रों ने सीखा स्वच्छता का पाठ तो मिला स्कूल को  पुरस्कार

लखनऊ। स्वच्छ भारत अभियान के तहत बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने और नियम से प्रतिदिन उनका पालन करने को बढ़ावा देने के लिए चित्रकूट जिले के एक स्कूल को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।


चित्रकूट जिले स्थित मानिकपुर ब्लॉक के 'पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरईया- भाग एक' को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। विद्यालय में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था के कारण स्कूल को यह सम्मान दिया गया है।

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इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक उमाशंकर पाण्डेय (39 वर्ष) फोन पर बताते हैं, "हम बच्चों को सफाई से सम्बंधित जानकारी देते हैं। सफाई के नियमों को बताने के लिए हमने उसे कई सेक्शन में बांटा है। हर सेक्शन में उससे सम्बंधित जानकारी होती है जैसे कि हैण्डवाश सेक्शन, टायलेट सेक्शन, वॉटर सेक्शन और बिहेवियर चेन्ज (व्यवहार में बदलाव) एण्ड हाईजिन सेक्शन।"

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2014 में देश में 'स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय' की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय और उन्हें साफ-सफाई के प्रति जागरुक किया जाना था। मंत्रालय की ओर से 2016 में स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की शुरुआत भी की गई, जिसका उद्देश्य विद्यालयों में स्वच्छता को बढ़ावा देना है और स्वच्छता विद्यालय कैम्पेन के मापदंडों को पूरा करना है।

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प्रधानाध्यापक उमाशंकर बताते हैं, "हमारे स्कूल में सोप बैंक भी बनाया गया है जिसमें बच्चे सोप इकट्ठा करते हैं। हमने अपने स्कूल में एक नियम बना दिया है, ऐसे में जब भी किसी बच्चे का जन्मदिन होता है तो उसे सोप बैंक में एक साबुन डालना होता है।"

स्कूल की अध्यापिका श्रद्धा गुप्ता बताती हैं, "स्कूल में खेल के माध्यम से और गीत के माध्यम से हम बच्चों को अपने आस-पास साफ-सफाई रखने के बारे में जागरूक करते हैं। इतना ही नहीं, बच्चे स्कूल की साफ सफाई में भी मदद करते हैं और पेड़-पौधों का रख-रखाव भी बच्चे काफी अच्छे तरीके से करते हैं।" आगे बताया, "हम बच्चों को हाईजिन से सम्बंधित बातें भी बताते हैं, जैसे कि हम उन्हें बताते हैं कि पीने का पानी शुद्ध होना चाहिए, खाना हमेशा ढका हुआ होना चाहिए। साथ ही हम उन्हें खुद को भी साफ रखने के बारे में भी बताते हैं जैसे कि समय से नाखून काटना, शौचालय का प्रयोग करना।"

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विद्यालय की कक्षा आठ की छात्रा रजनी सिंह (14 वर्ष) बताती हैं, "हमारे स्कूल की मैम ने हमें बताया कि हमें खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना चाहिए। टायलेट से आने के बाद साबुन से हाथ को अच्छे से धोना चाहिए। हाथों को स्कूल में सिखाए गए स्टेप के माध्यम से धुलना चाहिए, इससे गन्दगी अच्छे से दूर हो जाती है।"

देश के 65 लाख स्कूलों से किया गया चयन

पिछले दिनों भारत सरकार ने स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए 65 लाख स्कूलों में से 52 स्कूलों को चयनित किया, जिसमें से 45000 प्राइवेट स्कूल भी शामिल किया गया। इसमें पांच कस्तूरबा गांधी और दो नवोदय विद्यालयों को भी शामिल किया गया।

हमारे स्कूल में लड़कियों के लिए सेनेटरी नेपकिन के निस्तारण के लिए मशीन भी लगवाई गई है। उन्हें बताया जाता है कि सेनेटरी पैड को एक दिन में कम से कम चार या पांच बार बदलना चाहिए।

श्रद्धा गुप्ता, अध्यापिका


        

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