झारखंड की ग्रामीण महिलाएं सामुदायिक पत्रकार बनकर बनेंगी अपने गांव की आवाज़
इस कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्र के सुदूर गाँव से आयीं महिलाओं में कुछ समय के लिए झिझक तो दिखी लेकिन उनमें सामुदायिक पत्रकार बनने का ज़ज्बा भी दिखा। वे अपने समूह की सकारात्मक खबरों को लिखने लिए और अपने क्षेत्र की समस्याओं को लिखने के लिए काफी उत्साही दिखीं।
Arvind Shukla 5 July 2018 10:45 AM GMT
इस कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्र के सुदूर गाँव से आयीं महिलाओं में कुछ समय के लिए झिझक तो दिखी लेकिन उनमें सामुदायिक पत्रकार बनने का ज़ज्बा भी दिखा। वे अपने समूह की सकारात्मक खबरों को लिखने लिए और अपने क्षेत्र की समस्याओं को लिखने के लिए काफी उत्साही दिखीं। इनमें से कई महिलाएं पहली बार अपने घर से इतनी दूर निकली थी। कई अपने छोटे बच्चे के साथ अपनी सास को लेकर आयी थी जो उनके बच्चों की देखरेख कर रही थीं तो कुछ महिलाओं के पति उन्हें इस कार्यशाला में शामिल होने के लिए छोड़ने आए थे। सामुदायिक पत्रकार का प्रशिक्षण लेने आयी रंजू कुमारी (35 वर्ष) ने कहा, “सखी मंडल से जुड़कर हमारे जैसी बहुत सारी दीदियों को घर से बाहर निकलने का हौसला मिला है। अब इस ट्रेनिंग के बाद अपने क्षेत्र की बहुत सारी समस्याएं लिखेंगे और समूह की वो कहानियाँ लिखेंगे जिनसे हम दीदियों की जिन्दगी में सुधार हुआ है।" रंजू देवी की तरह कई महिलाओं ने कुछ ऐसे ही अपने अनुभव साझा किए। इन महिलाओं ने अपने-अपने गांव की एक-एक खबर लिखकर दिखाई और कई समूह से जुड़ी सकारात्मक खबरें भी लिखीं।
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