ग्रामीण महिलाएं बैंक दीदी बनकर सुदूर गांव तक पहुंचा रहीं बैंक की सेवाएं

ये बीसी एजेंट हर गांव में रहती हैं जिससे इनका ग्रामीणों से अच्छा रिश्ता बना होता है और बैंक रिश्तों की बैंक हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   29 Jun 2018 8:22 AM GMT

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ग्रामीण महिलाएं बैंक दीदी बनकर सुदूर गांव तक पहुंचा रहीं बैंक की सेवाएं

रांची (झारखंड)। झारखंड ग्रामीण बैंक की सभी सुविधाएं सुदूर गांव के आख़िरी कतार में खड़े हर व्यक्ति तक पहुंच सकें इसके लिए सखी मंडल से जुड़ी सक्रिय महिलाओं को बिजनेस कॉरसपॉन्डेंट एजेंट (बीसी एजेंट) बनाया गया है। ये बीसी एजेंट घर-घर जाकर खातें खोलती हैं, हर व्यक्ति को सरकार की बीमा योजना से जोड़ती हैं और माइक्रो एटीएम पोर्टेबल मशीन के जरिए पैसे का लेनदेन करती हैं।


झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन ने गांव कनेक्शन संवाददाता से बिजनेस कॉरसपॉन्डेंट एजेंट के अनुभव को साझा किया। ये महिलाएं बैंक की सेवाओं के लिए और ग्रामीणों के लिए कितनी उपयोगी हैं, चेयरमैन बृजलाल से बातचीत के कुछ अंश...

बृजलाल, चेयरमैन, झारखंड ग्रामीण बैंक

सवाल- सखी मंडल की जो महिलाएं बिजनेस करेस्पांडेंट एजेंट बनी हैं इनको लेकर आपका क्या अनुभव रहा?

जवाब- मुझे लगता है जबसे सखी मंडल की महिलाएं हमारे साथ बीसी एजेंट के रूप में जुड़ी हैं तबसे बैंक के व्यवसाय में वृद्धि हुई है। ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अब हर योजना का लाभ बैंक से मिलता है चाहें वो पेंशन का हो या सब्सिडी का, इसलिए सभी के खाते खुलने जरुरी हैं। बैंक का कर्मचारी हर गांव में मौजूद हो ऐसा सम्भव नहीं है इसलिए बीसी एजेंट हर गांव में रहकर इसकी पूर्ति कर रहीं हैं। इनके जुड़ने से बैंक की कास्ट कम हुई है और खाताधारकों की संख्या में वृद्धि हुई है।

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ये बीसी एजेंट हर गांव में रहती हैं जिससे इनका ग्रामीणों से अच्छा रिश्ता बना होता है और बैंक रिश्तों की बैंक हैं। इनमें काम करने की तत्परता रहती है, इन्हें बीसी एजेंट बनने के बाद गांव में रहकर जीविका का साधन मिला है जिसकी वजह से इनका काम करने में रुझान बना रहता है। पिछले तीन महीनों में इन बीसी एजेंट ने 10 हजार 567 ट्रांजेक्शन किए हैं जिसमें दो करोड़ 92 लाख रुपए निकाले गये हैं।


सवाल- इन बीसी एजेंट के जुड़ने से आपको क्या बदलाव नजर आया है?

जवाब- अब ग्रामीण बैंक में खाता खुलवाने की महत्ता को समझने लगे हैं। लोगों में पहले से ज्यादा जागरूकता आयी है। ये बीसी एजेंट उसी गांव की रहने वाली हैं इसलिए गांव के लोग इन पर ज्यादा भरोसा करते हैं। ये बीसी एजेंट हर किसी का खाता खोल रहीं हैं, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और जीवन ज्योति योजना से हर किसी को जोड़ रहीं हैं। जैसे कोई वृद्ध महिला है तो ये उसका खाता खोलती हैं और उनके खाते में जो पेंशन आती है निकालकर देतीं हैं जिससे उस वृद्ध महिला को भटकना नहीं पड़ता है।

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ये बीसी एजेंट जितने खाता खोलती हैं और जितने ट्रांजेक्शन करती हैं उसी हिसाब से इन्हें इनका मेहनताना मिलता है इसलिए इनकी ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है कि भारी संख्या में खाता खोलें और ट्रांजेक्शन करें। महिलाओं में सम्मान जगा है कि वो बैंक का एक हिस्सा हैं। जब भी गांव में बीसी एजेंट माइक्रो एटीएम पोर्टेबल मशीन लेकर पहुंचती हैं हर कोई कहता है कि बैंक वाली दीदी आ गईं तो उन्हें उनके काम की एक खास पहचान मिलती है और सम्मान मिलता है जिससे इनका आत्मविश्वास बढ़ा है।

सवाल- झारखंड ग्रामीण बैंक में पुरुष और महिला दोनों ही काम कर रहे हैं आपको दोनों के काम में क्या अंतर नजर आया?

जवाब- पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में पैसा कमाने की होड़ रहती है। पुरुषों ने एक सीमा तय कर ली है कि अगर इतना मिलेगा तो काम करेंगे जबकि महिलाओं के साथ ऐसा बिलकुल नहीं है। महिलाएं घर और बैंक दोनों का काम बखूबी संभाल रही हैं। सप्ताह के सात दिन 24 घंटे इनके पास माइक्रो एटीएम मशीन रहती है जब जिसको जिस समय पैसे की आवश्यकता होती तुरंत इन बैंक वाली दीदी के घर पहुंचकर निकाल लेते हैं। कुछ पुरुष अच्छा काम कर रहे हैं तो कुछ महिलाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। एक बीसी एजेंट 25 हजार महीने कमा रही है ये उसके काम पर निर्भर करता है।


सवाल- बैंक करसपान्डेट एजेंट के बनने से झारखंड ग्रामीण बैंक और ग्रामीणों में किस तरह का बदलाव देखने को मिला है?

जवाब- बैंक की हर किसी को जरूरत है अगर आपका बैंक में खाता नहीं है तो आपको सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। बीसी एजेंट सुदूर गांव में हर घर के दरवाजे-दरवाजे जार बैंक से हर व्यक्ति को जोड़ रहीं हैं। इससे बैंक की कास्ट कम हुई है और व्यवसाय में वृद्धि हुई है। खाताधारकों और सरकार की जो बीमा योजनाएं हैं उससे ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ रहे हैं।

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ग्रामीणों को घर बैठे बैंक की सुविधाएँ मिल रही हैं जिससे उनकी दिनभर की भागादौड़ी बच गयी है। जब प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत हुई थी तब 1500 हाउसहोल्ड पर एक सर्व सर्विस सेंटर बनाने की शुरुआत हुई थी जिसके तहत इन सखी मंडल की महिलाओं को जोड़ा गया था। एक सर्व सर्विस सेंटर पर एक बीसी एजेंट रहती है जो खाता खुलवाने से लेकर बैंक से जुड़े सभी लेनदेन करती है। झारखंड ग्रामीण बैंक राज्य के 15 जिलों में काम करती है। अभी 15 जिलों में 500 से ज्यादा सर्व सर्विस सेंटर बनाए गये हैं। हर सेंटर पर एक बीसी एजेंट तैनात है जिससे गांव का हर व्यक्ति बैंक की सुविधाओं का लाभ आसानी से ले सकता है।

सवाल- फाइनेंशियल सर्विसेज को बेहतर बनाने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?

जवाब- सरकार का ग्राम स्वराज अभियान पूरे देश में चल रहा है जिसका पहला चरण पूरा हो गया है। इस अभियान के अंतर्गत शत प्रतिशत खाते खुलवाने हैं और सभी को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और जीवन ज्योति योजना से जोड़ना हैं। इस अभियान को सफल बनाने में बीसी एजेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। दूसरे चरण में बीसी एजेंट का काम और जिम्मेदारियां बढ़ेंगी जिससे इनकी आय में भी इजाफा होगा। लोगों में बैंक की आदत होगी, अभी हमारे कार्यक्षेत्र में 950 गांव आते हैं। अभी गांव के हर व्यक्ति को बैंक से जोड़ना है।

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एक बीसी एजेंट अपने मेहनत के अनुसार महीने में अपनी आमदनी में इजाफा कर सकती है। एक बीसी एजेंट कमसेकम दो हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक आसानी से कमा सकती है। सखी मंडल के स्वयं सहायता समूह के लेनदेन का काम भी बीसी एजेंट खुद करती हैं।

    

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