झारखंड की ये महिला किसान मिश्रित खेती से कमा रही मुनाफा, दूसरे किसान भी ले रही सीख

रंजना देवी जैविक तरीके से मिश्रित खेती करके न केवल अपनी सालाना आय बढ़ा रही हैं बल्कि 100 किसानों को प्रशिक्षित भी कर रही हैं। इनके सिखाए 30 किसान कम लागत में सहफसल लेकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   25 Sep 2018 7:47 AM GMT

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रांची (झारखंड)। ओरमांझी गाँव की रंजना देवी की गिनती अब अपने क्षेत्र में एक सफल किसान के रूप में होती है। ये एक एकड़ खेत में जैविक तरीके से मिश्रित खेती करती हैं जिसमें इनकी सालाना आमदनी दो लाख रुपए हो जाती है। ये न केवल खुद सफल किसान हैं बल्कि इनके प्रशिक्षित किए 30 किसान जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं।

रांची जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर ओरमांझी गांव की रहने वाली रंजना देवी (42 वर्ष) आज अपने क्षेत्र में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत रंजना देवी को वर्ष 2016 में आजीविका कृषक मित्र का प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें उन्हें बताया गया कि जैविक तरीके से मिश्रित खेती कैसे की जाती है। खेती में खास रूचि रखने वाली रंजना देवी ने प्रशिक्षण के बाद जैसे ही पहले वर्ष खेती की इनकी आमदनी दो लाख रुपए हुई। जिससे इनका आत्मविश्वास बढ़ा और ये कुछ समय में ही सीनियर आजीविका कृषक मित्र बन गईं। रंजना देवी की तरह राज्य में पांच हजार से ज्यादा कृषक मित्र हैं।

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"जब जानकारी नहीं थी तब फसल में खाद से लेकर दवाई तक सब कुछ बाजार से ही खरीदकर डालते थे। पैसा भी ज्यादा खर्च होता था और दवाई की वजह से हरी सब्जियां भी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाती थीं और खराब होने लगती थी।" रंजना देवी ने बताया, "ट्रेनिंग से आने के बाद खाद और बाजार की दवाइयां सब बंद कर दीं। घर पर गोबर की खाद और कई घरेलू चीजों को मिलाकर कीटनाशक दवाइयां बिना किसी लागत के घर पर ही बना लेते हैं। सब्जियां कई दिनों तक ख़राब नहीं होती और चमकदार रहती हैं।" रंजना देवी एक सफल किसान के तौर पर रांची आकाशवाणी में चारा बार अपने अनुभव साझा कर चुकी हैं।

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महिला किसानों को उन्नत खेती से जोड़कर इनकी आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लिए देशभर में महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत जहां देश के 22 राज्यों के 196 जिलों में 32 लाख से ज्यादा महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं वहीं झारखंड में इसकी संख्या तीन लाख से ज्यादा है।





रंजना देवी गायत्री स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं। समूह की सक्रिय महिला होने की वजह से इन्होने 15 नये स्वयं सहायता समूह बनाए। आजीविका कृषक मित्र बनने के बाद अपने गाँव के 100 किसानों को ये जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षित कर रही हैं जिसमें 30 किसान जैविक खेती करने लगे हैं। ये किसान उत्पादक समूह की सदस्य और गोकुल मित्र भी हैं। ये 25 डिसमिल में टपक सिंचाई से खेती कर रही हैं और इनके प्रयासों से सात किसान और कर रहे हैं।

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रंजना देवी जैविक दवाइयां नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, फिश टॉनिक, जीवामृत घर पर बना लेती हैं। ये जरूरत पड़ने पर समूह से लोन भी ले लेती हैं। समूह से 36,000 रुपए लोन लेकर इन्होने बेटी की फीस भरी और अदरक लगाई। ये रांची आकाशवाणी में भी जाकर खेती से जुड़े अपने अनुभव साझा कर चुकी हैं। इनकी बेटी सीए की पढ़ाई कर रही है और बेटा आईटीआई के बाद रेलवे की तैयारी कर रहा है।



रंजना देवी ने बताया, "समूह से जुड़ने के बाद सरकार की 90 प्रतिशत सब्सिडी के बाद कई सारे कृषि यंत्र खरीद लिए हैं। जिसमें पावर टिलर, सीड ड्राम, धान थ्रेसर, दवाई स्प्रे मशीन हैं। अब खेती में ज्यादा पैसा खर्च नहीं होता सिर्फ मेहनत अपनी होती है। मौसम के हिसाब से एक एकड़ खेत के कई हिस्सो में मिश्रित सब्जियां लगाते हैं।" उन्होंने बताया, "मचान विधी से जब खेती करते हैं तो कुछ सब्जियां मचान पर लग जाती हैं कुछ जमीन में। करेला, तरोई, लौकी, बोदी अगर मचान पर रहता है तो भिन्डी, अदरक, हल्दी, हरी मिर्च, टिंडा, नीचे जमीन पर होती है। इससे कम खेत में ज्यादा सब्जियां निकल आती हैं और लागत भी कम लगती है।"

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रंजना देवी अब खुद तो खेती करती ही हैं साथ ही दूसरे के खेतों की सब्जियां भी खरीद लेती हैं जिसकी बिक्री इनके पति अलग-अलग शहरों में करते हैं। इन्होने शंकर नस्ल की गाय पालन की है जिससे महीने छह हजार की मादनी हो जाती है, गोकुल मित्र से इन्हें 2500 रुपए महीने मिलता है। सीनियर आजीविका कृषक में ये जितने किसानों को पैसा देती हैं उसका अलग से पैसा मिलता और सब्जियां बेचने से भी आमदनी होती। रंजना देवी ने बताया, "घर पर रहकर सब काम मिलाकर हर महीने लगभग 28,000 रुपए की आमदनी हो जाती है। मिश्रित खेती में एक खेत में चार फसल लेते हैं वो भी जैविक तरीके से। इसलिए दूर-दूर जगहों पर हमारी सब्जियों की मांग होती है।"




          

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