आवास के लिए जंग लड़ रहे पुलिसकर्मी

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शोहरतगढ़। आदर्श थानों में शुमार शोहतगढ़ में सरकारी आवासों के फुल हो जाने से पुलिसकर्मी किराए का मकान तलाश रहे हैं, लेकिन खाकी वर्दी वाला जान कर लोग कमरा देने से कतरा रहे हैं। अधिक किराया देने पर भी कमरा नहीं मिल रहा है।

थाना परिसर में बने पांच भवनों के आवासों में 60 पुलिसकर्मियों के स्टाप में महज 28 को ही कमरा मिल सका है। रैंक के हिसाब से बने आवासों में बचे 32 पुलिसकर्मी और अफसर करीबियों के आवासों मे ठूंसम-ठूंस रहने को मजबूर हैं लेकिन कोई भी जिम्मेदार इनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देने वाला है।

आदर्श थाना क्षेत्र शोहरतगढ़ के लिए विभाग ने एसओ, 10 सब इंस्पेक्टर, 32 हेडकांस्टेबल, 190 कांस्टेबल (आरक्षी) के पद सृजित कर रखे हैं। भर्तियां जैसे हो रही हैं वैसे मौजूदा स्टाफ की संख्या में इजाफा भी हो रहा है। आवासों के लिए मारे फिर रहे पुलिसकर्मियों का आक्रोश अंदरखाने में धीरे-धीरे पनप रहा है लेकिन जिम्मेदार इन सबसे अंजान बने हैं।

थाना परिसर में बने पांच बिल्डिगों व दो कमरों के बैरक में 4 अफसर, 2 हेडकांस्टेबल और 14 कांस्टेबल समेत कुल 28 लोगों को छत मिला है। वहीं 2 अफसर, 7 हेडकांस्टेबल और 31 कांस्टेबल करीबियों के आवासों में ठूंसम-ठूंस रह रहे हैं या फिर थाना से सटे प्राइमरी विद्यालय व बीआरसी के कमरों पर एक साल से कब्जा जमा कर रह रहे हैं। हालांकि हेड मास्टर मनोज तिवारी ने पढ़ाई बाधित होने का हवाला देकर प्राइमरी विद्यालय के कमरे को पुलिसकर्मियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिया है।

इससे पुलिसकर्मियों में आवासों को लेकर और भी परेशानियां सामने आ खड़ी हुई हैं। आवासों के लिए पुलिसकर्मी अधिक किराया देने की भी बात कह रहे हैं लेकिन कमरा नहीं मिल रहा है। रैंक (टाइप वन, टू, थ्री, फोर) के हिसाब से बने बिल्डिगों में रहने वाले एसओ, उपनिरीक्षक, हेडकांस्टेबल और कांस्टेबलों से विभाग प्रतिमाह किराया वसूल करती है लेकिन प्राइवेट कमरों के किराए की अपेक्षा सरकारी आवासों के किराए काफी सस्ते पड़ रहे हैं। इसके चलते आवास न पाए पुलिसकर्मी खासा नाराज हैं। कई पुलिसकर्मियों ने नाम न छापने पर बताया कि विभागीय जिम्मेदार उनकी समस्याओं पर आंख मूंद कर बैठे हैं। अभी तक विभाग के बड़े अधिकारियों तक कोई पत्राचार नहीं हुआ है। इसका खामियाजा 3 कमरों 9 लोग को रह कर उठानी पड़ रही है। 

कहां रहेगा 233 का स्टाफ?

एसओ और एसआई के लिए दो बिल्डिंग, हेड कांस्टेबल के लिए एक बिल्डिंग, कांस्टेबलों के लिए दो बिल्डिंग और दो कमरे को बैरक बनाया गया है। इनमें कुल 28 स्टाफ रह रहे हैं। जबकि थाना में कुल 60 स्टाफ की संख्या है। अब सवाल है कि थाना के लिए कुल 233 पद सृजित हैं। जिस दिन सृजित पदों की संख्या पूरी हो जाएगी तो स्टाफ कहां रहेगा? 

बैरक न होने से हो रही परेशानी

दरअसल थाना परिसर में बड़े-बड़े हाल की तरह बैरक बनाए जाते हैं। जिसमें लगभग दोनों तरफ से 50 लोगों के सोने की व्यवस्था होती है। बैरकों को तीन मंजिलों में बनाया जाता है। इससे अतिरिक्त बल आने पर भी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन यहां तो मात्र दो कमरे में 8 लोगों को रखकर बैरक बनाया गया है। इसके चलते परेशानियां सामने आ खड़ी हुई हैं।

नौनिहालों के कमरों पर पुलिस का कब्जा  

गड़ाकुल ग्राम सभा स्थित प्राथमिक विद्यालय व ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) के एक-एक कमरों पर पुलिस पिछले एक सालों से कब्जा जमा कर रह रही है। हेडमास्टर मनोज तिवारी ने पढ़ाई बाधित होने का हवाला देकर तहसील दिवस में डीएम और कप्तान को प्रार्थना पत्र देकर कमरों को खाली कराने की मांग की है। साथ ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय की हेडमास्टर गायत्री देवी व मनोज तिवारी ने कहा है कि त्यौहारों के दरमियान शोहरतगढ़ में अतिरिक्त बल आती हैं जिन्हें प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ठहरा दिया जाता है। पुलिसकर्मियों को देखते ही  बच्चे गेट से भाग जाते हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।

रिपोर्टर - सुजीत अग्रहरि  

 

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