अब लम्बे समय तक नहीं सड़ेगा प्याज और लहसुन

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अब लम्बे समय तक नहीं सड़ेगा प्याज और लहसुनगाँव कनेक्शन

लखनऊ। प्याज को अब लम्बे समय तक सड़ने से बचाया जा सकेगा। प्याज की नई प्रजाति को छह महीने तक संरक्षित रखा जा सकेगा और लहसुन भी चार महीनों तक नहीं ख़राब होगा। भारतीय प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय ने ऐसी करीब दस प्रजातियां ईजाद की हैं। इन प्रजातियों को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है।

भारतीय प्याज एवं लहसुन अनुसंधान संस्थान, पुणे  के वैज्ञानिकों ने प्याज की भीमा शक्ति, भीमा डार्क रेड, भीमा किरन, भीमा श्वेता, भीमा शुभ्रा और लहसुन की भीमा ओमकार जैसी दस किस्में इर्जाद की है, जो कई महीनों तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं। भीमा सुपर खरीफ, भीमा डार्क रेड खरीफ, भीमा रेड खरीफ और रबी, भीमा श्वेता खरीफ और भीमा शुभ्रा खरीफ के मौसम में लगाई जा सकती है।

देश में 190 लाख टन प्याज व 20 लाख टन लहसुन की पैदावार होती है। सामान्य प्याज की किस्म में 16 लाख टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है जबकि नई उन्नत प्रजातियां 24 लाख टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने में सक्षम हैं। इनकी टेस्टिंग में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। जल्द ही किसान इन प्रजातियों का लाभ उठा सकेंगे। वर्तमान में महाराष्ट्र में देश का 40 फीसद प्याज पैदा होता है जबकि उत्तर प्रदेश में इसकी मात्रा बहुत कम है, लेकिन अब इन नई प्रजातियों से कानपुर समेत उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में प्याज की भरपूर फसल पैदा करने के साथ उसे अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है।

प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. जय गोपाल बताते हैं, “अभी तक प्याज तीन महीने व लहसुन को महज एक महीने तक ही संरक्षित रखा जा सकता था, जिससे प्रतिवर्ष 40 फीसदी प्याज लहसुन सड़कर बर्बाद हो जाता है। नई किस्मों से इन्हें लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है।”

इसके बारे में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके गुप्ता बताते हैं, “कई किस्में ईजाद की गई थी जो पैदावार अधिक देती हैं, लेकिन कम समय में ही खराब हो जाती हैं। देश में 190 लाख टन प्याज व 20 लाख टन लहसुन की पैदावार होती है। जल्द खराब होने से किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ता है, इस बार प्याज की पैदावार अच्छी हुई लेकिन किसान ज्यादा दिन तक स्टोर नहीं कर सकते हैं। नई प्रजातियों से किसानों और व्यापारियों को फायदा होगा।”

प्याज के दाम गिरने से किसान मायूस

नई दिल्ली। इस बार प्याज किसानों को रूला रहा है। पिछले साल 70 रुपये किलो के भाव से बिकने वाली प्याज का दाम मध्यप्रदेश की मंडियों में 20 पैसे प्रति किलो तक गिर गया है। राज्य की नीमच मंडी में एक रुपये में 5 किलो के भाव बिकने वाली प्याज किसानों को खून के आंसू रुला रही है।

बाजार में प्याज की कीमतों में कमी का दौर देखने को मिल रहा है, साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि सब्जियों के दामों में भी गिरावट आ रही है। हाल ही में बाजार में प्याज को थोक मंडी में आठ से दस रुपये किलो बिकते हुए देखा गया है, जबकि इसके साथ ही सब्जियों के भाव में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई है। 

यह भी सुनने में आया है कि राजस्थान और महाराष्ट्र में प्याज की कीमतें तीन रुपये किलो तक देखी गई है. लोगो का यह कहना है कि जहाँ मंडी में यह भाव इतना कम है तो वहीँ शहर में प्याज 12 से 14 रुपये किलो में मिल रहा है। किसानों का कहना है कि प्याज की बहुत ही कम कीमत मिल रही है जिस कारण उन्हें परेशानी हो रही है. यहाँ तक की माल को मंडी तक लाने का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है।

 

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