अब महिलाएं चलाएंगी कार और टैक्सी

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अब महिलाएं चलाएंगी कार और टैक्सीगाँव कनेक्शन

लखनऊ। टैक्सी में आए दिन महिलाओं के साथ होने वाली छेड़खानी और घरों में कार ड्राइवर के साथ बच्चियों को सुरक्षित महसूस न करने वाले लोगों को अब जल्द ही इस परेशानी से निजात मिल सकेगी। लोगों की इस परेशानी से निजात दिलाएंगी वे महिलाएं जो जल्दी ही टैक्सी ड्राइवर व कार ड्राइवर के रूप में शहर में दिखने वाली हैं।

शहर की ऐसी कई महिलाओं को ड्राइविंग सिखाई जाएगी जो कुछ पढ़ी-लिखी होने के साथ महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा का अहसास करवा सकें। एक ओर ऐसी महिलाओं को ड्राइवर के तौर पर बेहतर रोजगार मिल सकेगा तो वहीं उन लोगों में सुरक्षा की भावना पनपेगी जो टैक्सी या कार में पुरुष ड्राइवर के साथ सफर करने में असुरक्षित महसूस करती हैं। साथ ही इन महिलाओं को अंग्रेजी बोलने की सीख भी दी जा रही है जिससे आमतौर पर बोले जाने वाले शब्दों को आसानी से बोल और समझ सकें।

गैर सरकारी संस्था होली विजन इंटरनेशनल ने ऐसी कई महिलाओं को ड्राइविंग सिखाने और उनको ओला टैक्सी एजेंसी जैसी अन्य एजेंसियों के साथ-साथ महिला ड्राइवर रखने वाले उन घरों में रोजगार दिलवाने का जिम्मा उठाया है। यह संस्था महिलाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत है। संस्था की संस्थापक अर्जुमंद जैदी बताती हैं, “मेरी संस्था में प्रतिवर्ष महिलाओं के एक बड़े समूह को बेसिक शिक्षा देने के साथ उनको आत्मनिर्भर बनाने की शिक्षा भी दी जाती है। इनमें इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स, पर्सनालिटी डवलेपमेंट कोर्स, सिलाई, कढ़ाई और अन्य तरह की शिक्षा प्रदान की जाती है। किस महिला को किस तरह की शिक्षा की आवश्यकता है यह तय करके हम उनके लिए अलग-अलग क्लास लगाते हैं।”

वो आगे बताती हैं कि पढ़ाई के साथ उनको सलीक से उठना-बैठना और व्यवहार करना भी सिखाते हैं जिससे उनको कहीं रोजगार दिलाया जा सके। इस बार संस्था सामान्य उम्र की उन महिलाओं के लिए ड्राइविंग कोर्स शुरू करने जा रही है जो टैक्सी और ड्राइवर के रूप में रोजगार को अपनाना चाहती हैं। जैदी कहती हैं कि महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने के लिए मारुति से बात की जा चुकी है। प्रति महिला को ड्राइविंग सिखाने के लिए लगभग साढ़े चार हजार का खर्च आएगा। हम लोग पहले दस से पन्द्रह महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दिलवाएंगे। सबसे पहले इनका लाइसेंस बनवाया जाएगा फिर ड्राइविंग की ट्रेनिंग देकर उनको टैक्सी एजेंसी व घरों में उनकी सुरक्षा पुख्ता करते हुए उनको ड्राइवर के रूप में रोजगार दिलवाया जायेगा।

पूनम गुप्ता (35 वर्ष) कहती हैं कि मेरे पति ठेकेदार हैं और किसी कारणों से मेरे पास नहीं रहते हैं। मैं केवल कक्षा 10 तक ही पढ़ी हूं इसलिए कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही। दो बच्चे हैं जिनके पालन पोषण के लिए कक्षा पांचतक के बच्चों की ट्यूशन करती हूं लेकिन फिर भी आमदनी अच्छी नहीं है। संस्था से अभी हाल में ही जुड़ी हूं, यहां मुझे मेरे मन के अनुसार ड्राइविंग सिखायी जाएगी और मुझे एक अच्छे घर में ड्राइवर के तौर पर रोजगार दिलवाया जायेगा। सुरक्षा की चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि संस्था के द्वारा ही ऐसे घरों की पुष्टि की जायेगी जहां मैं सुरक्षित रह सकूं। साथ ही अंग्रेजी भी सिखायी जा रही है जिससे अगले की बात को आसानी से समझ सकूं। 

वहीं प्रिया शेरवानी (40 वर्ष) कहती हैं कि अभी मैं घरों में बाई के तौर पर काम करती हूं। पढ़ाई भी कक्षा 8 तक की है लेकिन इस काम में कोई इज्जत नहीं है। ड्राइवर इज्जत और आमदनी दोनों मेरे काम से ज्यादा है। इसलिए मैं भी ड्राइविंग सीखूंगी और किसी टैक्सी एजेंसी या घर में ड्राइवर के रूप में काम करूंगी। अंग्रेजी भी सीख रही हूं ताकि आमतौर पर बोले जाने वाले शब्दों को आसानी के साथ बोल सकूं। 

 

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