कपास की नई फसल आने से कीमतों में भारी गिरावट, खरीदारी भी कम

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कपास की नई फसल आने से कीमतों में भारी गिरावट, खरीदारी भी कम

लखनऊ। कपास की नई फसल की आवक शुरू होते ही रूई के दाम में सुस्ती छा गई। घरेलू वायदा और हाजिर बाजार में रूई का भाव शुक्रवार को अगस्त महीने के सबसे निचले स्तर पर रहा। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार जंग का भी रूई बाजार पर असर असर देखा जा रहा है। घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर शुक्रवार को रूई का अक्टूबर डिलीवरी वायदा 60 रुपए की गिरावट के साथ 22,860 रुपए प्रति गांठ (170 किलो प्रति गांठ) पर बंद हुआ, जबकि निचला भाव अगस्त महीने के सबसे निचले स्तर 22,800 रुपए तक फिसला। रूई वायदा 10 अगस्त 2018 को 24,280 रुपए प्रति गांठ तक उछला था।

बेंचमार्क कॉटन गुजरात शंकर-6 (29 एमएम) का भाव शनिवार को 47,700 रुपए प्रति कैंडी (370 किलो प्रति कैंडी) था, जबकि अगस्त में कीमतों में 48,400 रुपए प्रति कैंडी तक का उछाल आया था।

बाजार सूत्रों के अनुसार, पंजाब के अबोहर, मलौठ, फाजिल्का तथा हरियाणा और गुजरात के कुछ बाजार में नई फसल की आवक शुरू हो गई है, जिसके बाद खरीदारी कमजोर पड़ गई है। दरअसल, लेवाल आवक जोर पकड़ने के इंतजार में है। कुछ बिकवाल डिस्काउंट पर अपना माल बेचने लगे हैं।

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रूई बाजार के जानकार मुंबई के गिरीश काबड़ा ने बताया कि इस हफ्ते जारी बुवाई के आंकड़ों में सुधार से भी रूई बाजार में सुस्ती आई है। उन्होंने कहा कि रूई बाजार में मंदी मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कमजोरी से प्रेरित है। काबड़ा ने कहा, "अमेरिका में रूई के दाम में पिछले एक महीने में आठ फीसदी की गिरावट आई है और बहरहाल कोई बड़ी तेजी आने की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में रूई का बाजार आगे भी सुस्त रह सकता है।"

हालांकि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के प्रेसिडेंट अतुल गंतरा का कहना है कि रूई बाजार की चाल आगे मानसून की स्थिति से तय होगी। उन्होंने कहा कि मानसून अगर सितंबर में जल्दी वापसी करता है तो कपास की फसल की पैदावार घट सकती है। गंतरा ने कहा, "कपास की बुवाई इस साल देर से शुरू हुई है। इसलिए अक्टूबर में सितंबर और अक्टूबर में फसल को पानी की जरूरत होगी।" उन्होंने कहा कि अगर मौसम अनुकूल नहीं रहा तो पैदावार कम होगी जिससे बाजार में तेजी का माहौल बना रहेगा।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार देशभर में 117.66 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी है, हालांकि रकबा पिछले साल के मुकाबले 1.85 फीसदी कम है।

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अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक हितों के टकराव के बाद से अंतर्राष्ट्रीय रूई बाजार में लगातार सुस्ती का माहौल देखा जा रहा है क्योंकि चीन, अमेरिकी रूई का सबसे बड़ा खरीदार है और अमेरिका दुनिया में सबसे बड़ा रूई निर्यातक है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को फिर 200 अरब मूल्य की उसकी वस्तुओं के अमेरिकी आयात पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की चेतावनी दी है, जिसके बाद कॉटन के दाम में लगातार गिरावट जारी है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर कॉटन का दिसंबर डिलीवरी अनुबंध शुक्रवार को थोड़ी गिरावट के साथ 82.22 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ

(एजेंसियों से इनपुट)


    

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