कपास का रकबा बढ़ने से बाजार में रूई की कीमतों में गिरावट शुरू

Mithilesh DharMithilesh Dhar   20 Aug 2018 8:20 AM GMT

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कपास का रकबा बढ़ने से बाजार में रूई की कीमतों में गिरावट शुरू

कपास का रकबा बढ़ने का असर बाजार पर दिखने लगा है। बारिश के बाद कपास बुआई में जो तेजी आयी है वो बाजार में इसकी कीमतों में मंदी में ले आयी है। सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और गुजरात में इस साल कपास रकबा लगभग एक फीसदी तक बढ़ गया है।

रकबा बढ़ने के कारण ऐसी उम्मीद की जारी है इस सीजन में उत्पादन भी बंपर होने वाला है। यही कारण है कि घरेलू बाजार में रूई की कीमतों में गिरावट शुरू हो गयी है। गुजरात शंकर-6 (एमम-29) कॉटन (रूई) का भाव शनिवार को पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 200 रुपए की गिरावट के साथ 48,200-48,600 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) था। कॉटन की कीमतों में पिछले सप्ताह के मुकाबले इस सप्ताह करीब 500 रुपए प्रति कैंडी की गिरावट आई।

युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर की मासिक रिपोर्ट का भी असर भी दिख रहा है। पिछले दिनों यूएसएडी ने अगस्त महीने की रिपोर्ट में अमेरिका में कॉटन उत्पादन 226.7 लाख गांठ (170 किलो) होने की उम्मीद जाहिर की गई है, जबकि पिछले महीने की रिपोर्ट में 237.2 लाख गांठ का अनुमान जारी किया गया था। यूएसएडी ने अगस्त में कॉटन का वैश्विक उत्पादन अनुमान को बढ़ाकर 15.456 करोड़ गांठ कर दिया है, जोकि पिछले महीने 15.402 करोड़ गांठ था। हालांकि यूएसएडी ने दुनिया के सबसे बड़े कॉटन उत्पादक भारत में अगले साल कॉटन उत्पादन का अनुमान 368 लाख गांठ पर स्थिर रखा है।

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वर्धमान टेक्सटाइल्स लिमिटेड के निदेशक (कच्चा माल खरीद) इंद्रजीत धूरिया ने बताया "सीजन के आखिरी दो महीनों में कॉटन बाजार पर फसल की प्रगति का ज्यादा असर देखने को मिलेगा।"

घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर शुक्रवार को कॉटन का अक्टूबर वायदा 270 रुपए यानी 1.07 फीसदी की गिरावट के साथ 23,300 रुपए प्रति गांठ (170 किलो) पर बंद हुआ। एमसीएक्स पर कॉटन वायदा अगस्त महीने के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। हालांकि भाव पिछले महीने के सबसे निचले स्तर के मुकाबले अभी भी 1,000 रुपए प्रति गांठ अधिक है। इससे पहले 31 जुलाई को कॉटन वायदा 22,280 रुपए प्रति गांठ पर बंद हुआ था।


रूई बाजार के जानकार मुंबई के गिरीश काबड़ा ने बताते हैं कि "पिछले सप्ताह देश के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में मौसमी दशाओं में सुधार होने से इस साल अच्छी फसल होने की संभावना बढ़ गई है जिससे रूई बाजार में सुस्ती का माहौल है।" अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर शुक्रवार को कॉटन वायदा 0.45 फीसदी की गिरावट के साथ 81.43 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ।

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गुजरात के कृषि विभाग की ओर से इस सप्ताह जारी बुआई के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में कपास का रकबा 26.74 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में गुजरात में कपास का रकबा 26.51 लाख हेक्टेयर था। प्रदेश के एक अंकित मिश्रा ने बताया कि गुजरात देश में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और पिछले सप्ताह तक यहां कपास का रकबा कम था, लेकिन हालिया बारिश के बाद बुआई जोर पकड़ी और रकबे में सुधार आया है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि रूई के दाम में सुस्ती देखी जा रही है।"

रूई बाजार के जानकार मुंबई के गिरीश काबरा ने कहा "वायदा कारोबार में मंदी की वजह मुनाफावसूली भी है। अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई में मंदी छाई हुई है। पिछले सप्ताह तक हालांकि भारतीय हाजिर बाजार पर इसका ज्यादा असर नहीं था, क्योंकि भारतीय रूई में आगे मांग बढ़ने की संभावना जताई जा रही थी। विदेशी बाजार में कीमतों पर आए दवाब से रूई के आयात की संभावना दिख रही है, इसलिए भी घरेलू बाजार में सुस्ती का माहौल है।"

देश में विगत 12 वर्षों में कपास उत्पादन

इकाई – (क्षेत्र- मिलियन हे., उत्पादन- मिलियन गांठ)

वर्ष क्षेत्र उत्पादन

2002-03 7.67 8.62

2003-04 7.60 13.73

2004-05 8.79 16.43

2005-06 8.68 18.50

2006-07 9.14 22.63

2007-08 9.41 25.88

2008-09 9.41 22.28

2009-10 10.13 24.02

2010-11 11.24 33.00

2011-12 12.18 35.20

2012-13 11.98 34.22

2013-14 11.69 36.59

2014-15 11.69 36.59

2015-16 11.91 33.80

2016-17 ---- 32.12

(स्त्रोत- कृषि मंत्रालय, भारत सरकार)


       

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