देश में चाय का उत्पादन 6.7 फीसदी गिरा, निर्यात में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी
टी बोर्ड इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी-जुलाई में चाय के निर्यात में करीब 6.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी, जोकि 13.32 करोड़ किलोग्राम रहा
गाँव कनेक्शन 8 Sep 2018 11:22 AM GMT
लखनऊ। देश के चाय उत्पादन में जुलाई में करीब 6.7 फीसदी की अनुमानित गिरावट दर्ज की गयी, जो 15.13 करोड़ किलोग्राम रहा। जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 16.22 करोड़ किलोग्राम था।टी बोर्ड इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी-जुलाई में चाय के निर्यात में करीब 6.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी, जोकि 13.32 करोड़ किलोग्राम रहा। जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 12.49 करोड़ किलोग्राम था।
मूल्य के संदर्भ में इस साल के प्रथम सात महीनों में चाय के निर्यात में 6.75 फीसदी वृद्धि हुई, जोकि 2,618.83 करोड़ रुपए रही। जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 2,453.18 करोड़ रुपए थी।
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चाय का निर्यात मुख्य रूप से पड़ोसी पाकिस्तान, चीन और ईरान को किया जाता है, जहां निर्यात में तेजी दर्ज की गई है। जबकि जर्मनी और सीआईएस देशों में निर्यात में गिरावट दर्ज की गयी है। चाय उत्पादन के अनुमानित आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में उत्तर और दक्षिण भारत दोनों ही क्षेत्रों में चाय की फसल का कम उत्पादन हुआ है।
18 प्रतिशत चाय के बागानों की स्थिति दयनीय
चाय उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर आने वाले भारत में कई चाय बागानों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। चाय बोर्ड के अनुसार, भारत में जितने में भी चाय बागान हैं, उसमें से 18 प्रतिशत की स्थिति बहुत ही दयनीय है। देश के 16 राज्यों में चाय के बागान हैं। असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में देश का 95 प्रतिशत हिस्सा पैदा होता है। चाय बोर्ड के अनुसार पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग चाय दुनिया की सबसे महंगी और खुशबूदार चाय मानी जाती है, यहां पर लगभाग 86 बागान हैं, जहा चाय तैयार की जाती है।
चाय उत्पादन में सबसे बड़ा राज्य असम
चाय उत्पादन में असम देश का सबसे बड़ा राज्य है। तमिलनाडु का नीलगिरि पहाड़ भी चाय उत्पादन के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। केरल का मुन्नार हिल स्टेशन में भी एक ऐसी जगह हैं, जहां बड़ी मात्रा में चाय बागान हैं। हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय भी देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है, लेकिन इसका अस्तित्व भी अब खतरे है।
(एजेंसियों से इनपुट)
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