अगस्त में बकरियों को जरूर लगवाएं पीपीआर टीका
गाँव कनेक्शन 25 July 2016 5:30 AM GMT

लखनऊ। भेड़-बकरियों में फैलने वाली पेस्ट डेस पेट्टिस रुमीनेंट्स (पीपीआर) ‘बकरी प्लेग’ के नाम से भी जाना जाता है यह एक विषाणुजनित रोग है। भेड़-बकरियों में यह रोग होने से पशुपालकों को काफी आर्थिक नुकसान होता है।
हर वर्ष भारत सरकार द्वारा पीपीआर नियंत्रण कार्यक्रम के तहत नि:शुल्क भेड़-बकरियों को इसका टीका भी लगाया जाता है। उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ वी.के सिंह ने बताया, “अगस्त के शुरुआत में इस अभियान को शुरू कर दिया जाएगा। बदलते मौसम में भेड़-बकरियों में यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है।”
वो आगे बताते हैं, “ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग बकरी को चारा देते हैं। ऐसा न करें इस मौसम में पशुओं को न चराएं उन्हें घर पर ही साफ करके चारा दें। यह बीमारी अगर एक पशु को हुई है तो सभी पशुओं को हो जाती है। इस बीमारी में पशु को बुखार आता है और नाक बहने लगती है साथ ही साथ मुंह में घाव भी हो जाते है।” अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ. सिंह आगे बताते हैं, “अगर इस मौसम में पशुपालक बकरी खरीदता है तो वह यह जरुर पता कर लें कि उसको पीपीआर का टीका लगा है या नहीं। साल में एक बार इसका टीका लगाना जरुरी होता है।” 19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है।
पीपीआर के लक्षण
- बुखार आना, मुंह से लार आना।
- भेड़-बकरियों में दस्त लगना।
- मुंह के किनारे छाले, घाव।
- मुंह से दुर्गंध सांसे आना।
पीपीआर के बचाव
- भेड़-बकरियों को बाहर चराने से बचें।
- हर तीन महीने में कृमि नाशक दवा दें।
- बकरियों को घर में ही साफ पानी का इंतजाम करेें।
- पीपीआर का टीका लगवाएं।
- बकरियों को दोपहर में छांव में रखें।
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