ऐसे करें दलहनी व तिलहनी फसलों में रोगों का नियंत्रण
गाँव कनेक्शन 23 Jan 2016 5:30 AM GMT
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने वर्तमान मौसमी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए ये सुझाव जारी किए हैं-
चना : चना में उकठा का प्रकोप दिखाई देने पर ग्रसित पौधों को उखाड़कर जला दें। अधिक मात्रा में होने पर पांच किग्रा ट्राइकोडर्मा का 1000 लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करें।
मटर : मटर की फसल में पत्तियों, फलियों और तनों पर सफेद चूर्ण की तरह फैले बुकनी रोग की रोकथाम के लिए घुलनशील गंधक 80 फीसदी दो किग्रा अथवा ट्राईडेमार्फ 80 फीसदी ईसी 500 मिली/हेक्टेयर लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मटर : मटर में फली बेधक कीट एवं सेमीलूपर कीट का प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बीटी) की कस्र्टकी प्रजाति एक किग्रा. अथवा फेनवैलरेट 20 फीसदी ईसी एक लीटर अथवा मोनोक्रोटोफास 36 फीसदी एसएल एक लीटर जैविक/रासायनिक कीटनाशकों का बुरकाव अथवा 500-600 ली पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।
मटर : मटर में अल्टरनेरिया, पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी की दो किग्रा. या जिनेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी की दो किग्रा अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 फीसदी डब्ल्यूपी की तीन किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
अरहर : अरहर में पत्ती लपेटक कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 ईसी 800 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से घोल तैयार करके छिड़काव करें। अरहर की फलमक्खी के नियंत्रण के लिए फूल आने के बाद मोनोक्रोटोफॉस 36 ईसी अथवा डाइमेथोएट 30 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।
सरसों : सरसों में माहू की रोकथाम के लिए नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे इन्द्र्रगोप भृंग, क्राइसोपा, सिरीफेड आदि का फसल वातावरण में संरक्षण करना चाहिए। नाशीजीवों व उनके प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या 2:1 का अनुपात होना चाहिए। यदि नाशीजीवों की संख्या प्राकृतिक शत्रुओं से अधिक है तो डाइमिथोएट 30 ईसी एक लीटर या इन्डोसल्फान 35 ईसी 1.25 लीटर या मोनोक्रोटोफास 36 एसएल 1.00 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
सरसों में करें छिड़काव
अल्टरनेरिया, पत्ती धब्बा, सफेद गेरुई एवं तुलसिता रोग के नियन्त्रण के लिए मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी की 2.5 किग्रा अथवा जिनेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी की दो किग्रा अथवा जिनेब 80 डब्ल्यूपी डब्ल्यूपी की दो किग्रा अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी डब्लूपी की 3.0 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
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