साइकिल पर फंसे पेंच के बीच अखिलेश ने विधायकों की बैठक बुलाकर फिर साबित किया वर्चस्व
Rishi Mishra 5 Jan 2017 6:02 PM GMT

लखनऊ। यादव परिवार की कलह पर बृहस्पतिवार को कोई विराम नहीं लगा। दोनों गुट अपनी अपनी शतरंजी चालें चलते रहे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने घर में विधायकों की बैठक बुला कर सभी से हलफनामे पर दस्तख़त करवाए। साथ ही सबको भरोसा दिलाया कि साइकिल चुनाव चिन्ह बहुमत के आधार पर उनके गुट को ही मिलेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री और हाल ही में पार्टी के अध्यक्ष चुने गए अखिलेश यादव ने विधायकों से क्षेत्र में जाकर चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का निर्देश दिया। एक तरफ जहां अखिलेश ने विधायकों को बुलाकर पार्टी पर फिर अपना वर्चस्व साबित किया वहीं मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल यादव के साथ एक बार फिर दिल्ली की उड़ान भरी और चुनाव आयोग के सामने एक बार फिर से अपना पक्ष रखा। इसी बीच सुलह की कोशिशें भी जारी हैं। सपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री आजम खान ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर के सुलह करवाने की एक और कोशिश की मगर उनको कोई भी कामयाबी नहीं मिल सकी।
यूपी के सबसे बड़े सियासी कुनबे का कलह सुलझने का नाम नहीं ले रही है। सपा में झगड़ा सुलझाने के लिए कई बैठकें हुईं। कई लोगों ने सुलह करवाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। सीएम अखिलेश ने बृहस्पतिवार को सुबह आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 210 से ज्यादा विधायक मौजूद होने का दावा किया जा रहा है। बैठक में विधायकों से एक बार फिर से हलफनामे पर हस्तक्षार करवाए गए हैं, जो कि पहले से ही तैयार था। वहीं सीएम ने सभी को कहा कि वे क्षेत्र में जाकर चुनाव की तैयारी लग जायें। चुनाव निशान के बारे में अखिलेश ने कहा कि बहुमत के आधार पर इसका फैसला किया जाता है, उम्मीद है फैसला हमारे हक में होगा।
मुलायम-शिवपाल फिर पहुंचे चुनाव आयोग
मुलायम सिंह हलफनामा लेकर दोबारा चुनाव आयोग को सौंपने दिल्ली पहुंच चुके हैं। उनके साथ शिवपाल यादव भी मौजूद हैं। इस संबंध में अपने हलफनामे में उन्होंने विधायकों के समर्थन पत्र भी सौंपे। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के संविधान के मुताबिक किस तरह से साइकिल पर हक मुलायम सिंह गुट का है, ये बात भी चुनाव आयोग को बताई।
आजम खां ने फिर की सुलह की कोशिश
वरिष्ठ मंत्री आजम खां भी विधायकों की बैठक के दौरान सीएम आवास पहुंचे थे। बता दें कि आजम बुधवार को और इससे पहले 31 दिसंबर कोभी सुलह कराने की कोशिश कर चुके हैं मगर एक बार भी उनकी कोशिशों पर कोई भी बात नहीं बनी थी।
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