अपने बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए पैसे चाहते हैं तो ये जानकारी आपके काम की है

क्या हम इतनी फीस दे सकते हैं? नौकरी तुरंत नहीं लगी तो क्या होगा? इतने पैसे कहाँ से आएंगे? सारे पैसे पढ़ाई में लगा दिए तो घर के खर्च? क्या इसी संस्थान में पढ़ना ज़रूरी है? क्या बाद में नहीं पढ़ सकते? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आज बात पते की में।

Update: 2023-05-19 09:33 GMT

आप भी अगर अपनी बेटी या बेटे को पढ़ाने के लिए अच्छे इंस्टीट्यूट या यूनीवर्सिटी की फीस को लेकर टेंशन में हैं तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। बारहवीं क्लास के बाद अच्छे संस्थानों में उनके दाख़िले का ख़्वाब आप भी पूरा कर सकते हैं।

आज विदेशों में भी कई छात्र पढ़ाई के जाते हैं। लेकिन सभी के लिए संभव नहीं हो पाता है। सरकारी संस्थानों में फीस तो कम होती है लेकिन उनमें सीट भी कम होती है, जिसकी वजह से सीमित संख्या में ही छात्रों का दाखिला हो पाता है। निजी संस्थान में पर्याप्त सीट उपलब्ध होती है लेकिन उनकी फीस कई परिवारों की क्षमता से अधिक होती है और गाँव के छात्रों के लिए यह एक चुनौती बन जाती है। ऐसे में बैंक से शिक्षा पर कर्ज़ (लोन) एक आसान रास्ता है।

छात्र -छात्राओं के सपनों की उड़ान को और हौसला देने के लिए अब लगभग सभी बैंक एजूकेशन लोन देते हैं। सरकारी बैंकों को तो हर साल अपने कुल कर्ज़ का एक निश्चित भाग इस तरह देना पड़ता है। 20 लाख रूपए तक के लोन इसके दायरे में आते हैं। इस कर्ज़ का मकसद भारत और विदेश में शिक्षा के अवसर को आर्थिक सहायता देना है।

क्या ज़रूरी है इसके लिए?

• मेरिट या प्रवेश परीक्षा के ज़रिए चयन होना चाहिए।

• ख़ुद का अंशदान 4 लाख तक शून्य, 4 लाख के ऊपर, भारत में पढ़ने के लिए 5 फीसदी, विदेश में अध्ययन के लिए 15 फीसदी।

• 7.50 लाख के ऊपर कर्ज़ की मात्रा के बराबर सिक्योरिटी देनी पड़ेगी।

• छात्र के माता-पिता को आनिवार्य रूप से सह-आवेदक के रूप में शामिल होना होगा।

कहाँ और कौन -कौन सी पढ़ाई पर है लोन?

भारत में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक/ परास्नातक / डिप्लोमा पाठ्यक्रम

तकनीकी/ पेशेवर/ प्रबंधन शिक्षा

पीएचडी की शिक्षा

विदेशों में भारत के बाहर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक/ परास्नातक पाठ्यक्रम

सीआईएमए, लंदन, सीपीए, यूएसए और अन्य ऐसे संस्थानों द्वारा संचालित प्रमाणित डिग्री पाठ्यक्रम

पीएचडी पाठ्यक्रम

विदेश के डिप्लोमा पाठ्यक्रम शामिल नहीं है

अधिकतम पुनर्भुगतान अवधि 15 वर्ष (पाठ्यक्रम अवधि और अधिस्थगन अवधि के बाद) होगी।

कर्ज़ का पुनर्भुगतान पाठ्यक्रम अवधि के 1 साल बाद से शुरू होगा।

पाठ्यक्रम की अवधि में यदि चाहें तो ब्याज को प्रतिमाह भर सकते हैं । इससे अधिस्थगन अवधि के बाद ब्याज़ आपके मूलधन में नहीं जुड़ेगा।

कर्ज़ आवेदन विद्या लक्ष्मी पोर्टल के ज़रिए से किये जाने चाहिए। भारत के सभी मुख्य बैंक इसमें शामिल हैं।

कई बैंक अपने गृह कर्ज़ धारक को, महिला छात्रा को ब्याज़ दर में छूट भी देते हैं।

आकाश दीप मिश्रा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ब्रांच मैनेजर हैं

आप इससे जुड़ीं कुछ और जानकरी चाहते हैं तो हमारे ईमेल (connect@gaonconnection.com) पर लिखें या फिर +919565611118 पर व्हाट्सएप भी कर सकते हैं। हम आपके सवालों के जवाब जल्द से जल्द आप तक पहुंचाएँगे। आप हमारी वित्तीय साक्षरता की पहल से जुड़ें और दी गयी जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से साझा करें।

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