डेंगू की दहशत: बच्चों को स्कूल भेजने में भी लोगों को लग रहा डर
देश भर में तमाम अभियान चलने के बावजूद डेंगू को खत्म नहीं किया जा सका है
" बेटे को स्कूल भेजने में डर लग रहा है। पड़ोस के कई बच्चे बीमार चल रहे हैं, कुछ तो अस्पताल में भर्ती हैं। बच्चों को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं, पता नहीं कब बीमार हो जाए।" ये कहना है उत्तर प्रदेश के जनपद लखनऊ के मोहल्ला फैजुल्लागंज निवासी मुस्तफा(32वर्ष) का।
मुस्तफा का चार साल का बेटा पास के ही एक स्कूल में पढ़ता है। मुस्तफा को डर इसलिए लग रहा है, क्योंकि पिछले एक माह से फैजुल्लागंज में डेंगू ने कहर बरपा रखा है। मोहल्ले में तीन दिन के अंदर दो लोगों की मौत डेंगू से हो गई है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। डेंगू का प्रकोप बहुत तेजी से फैल रहा है। जनपद में अब तक करीब 433 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।
डेंगू का खौफ सिर्फ लखनऊ के मुस्तफा ही नहीं बल्कि बिहार की राजधानी पटना निवासी विनोद ठाकुर(42वर्ष) को भी है। भारी बारिश से पटना में जलभराव की समस्या बरकरार है। ठहरे पानी में मच्छरों के पैदा होने से अब पटना में डेंगू के फैलने की आंशका बढ़ गई है। सरकारी अस्पतालों में 231 मामले सामने आने के बाद पटना में डेंगू का कहर बढ़ता जा रहा है। इस साल राज्य में अब तक डेंगू के मामलों की कुल संख्या 1,127 हो गई है।
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विनोद ने फोन पर गाँव कनेक्शन को बताया, " भइया, हालत बहुत खराब है। हफ्ता भर घर का एक मंजिल पानी में डूबा था। दो बच्चों और पत्नी को लेकर बहुत परेशान रहे। अब किसी तरह से पानी कम हुआ है, लेकिन परेशानी कम नहीं हुई है। बाढ़ के पानी के बाद अब डेंगू बीमारी फैल गई है। मोहल्ले में बहुत लोगों को डेंगू हो गया है। हर वक्त डर लगा रहता है।"
कई सरकारी अभियानों के बावजूद देश में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जब डेंगू का प्रकोप बढ़ने लगता है तब प्रशासन जागता है। इसके बाद इसके रोकथाम की मुहिम शुरू होती है। अगर डेंगू को जड़ से खत्म करने पर ध्यान दिया जाये तो शायद ही इस बीमारी का कोई शिकार हो। भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि देश में सालाना करीब 20 हजार लोग डेंगू का शिकार होते हैं। हर साल सैकड़ों लोगों की मौत भी जाती है।
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स्वास्थ्य मुददों वाली नेचर माइक्रोबायलॉजी नामक एक पत्रिका के अनुसार हर साल पूरी दुनिया में करीब 10 करोड़ लोग डेंगू का शिकार होते हैं। भारत ही नहीं पूरी दुनिया के करीब 125 देश डेंगू की चपेट में हैं। डेंगू एक चक्र में देखी जाने वाली बीमारी है। और कुछ साल बाद अचानक किसी साल ये महामारी सी दिखती है। इस साल बढ़े मामलों के पीछे जलवायु परिवर्तन को बड़े कारण के तौर पर देखा जा रहा है।
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पश्चिम बंगाल के सर्विस डॉक्टर फोरम के महासचिव और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सजल विश्वास का कहना है, "हमारे देश में डेंगू की रोकथाम के लिए केवल जागरूकता अभियान ही कारगर नहीं है, बल्कि इसकी रोकथाम के लिए सही कदम उठाना जरूरी है। ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव से मच्छर और उसके लार्वा को समाप्त नहीं किया जा सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरे साल इस बीमारी प्रकोप होता है। वर्ष भर डेंगू की रोकथाम को लेकर अभियान चलाया जाये, सही व नियमित कीटनाशक का छिड़काव हो तो डेंगू को जड़ से खत्म किया जा सकता है।"
डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बारे में संचारी रोग निदेशक, उत्तर प्रदेश डॉक्टर मिथिलेश चुतर्वेदी ने गाँव कनेक्शन को बताया," मच्छर जनित बीमारियां नियंत्रित है, लेकिन साल के अंतिम तक मच्छर से होने वाली बीमारियां बढ़ सकती हैं। अक्टूबर का महीना चल रहा है, लेकिन गर्मी कम नहीं हो रही है। वहीं इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और भारी बारिश से वातावरण में जिस तरह से आद्रता पैदा हुई है, वह मच्छरों के पनपने के लिए बेहद मुफीद है, जिस वजह से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं।"
उत्तराखंड के कई जिले इस समय डेंगू की चपेट में हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश भर में अब तक 5000 लोगों को डेंगू हो चुका है, जबकि इससे 8 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। देहरादून के अलावा नैनीताल, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी में डेंगू का असर ज्यादा है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस बार डेंगू फैलाने वाले वायरस अपना तरीका बदला है। इस कारण हमारा इम्यून सिस्टम इससे लड़ पाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि डेंगू और तेजी से फैला और कई गुना ज्यादा संख्या में मरीज सामने आए हैं। इस बार कम बारिश और उस पर तेज धूप में लार्वा बहुत ज्यादा पनप गया। एडीज मच्छर की आबादी बढ़ने से डेंगू का प्रकोप बढ़ा है। डेंगू की रोकथाम व बचाव के लिए पुख्ता तैयारियां की गई हैं। "
उत्तराखंड के मच्छर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉक्टर सुभाष जोशी का कहना है, " डेंगू से बचाने के कोई दवा नहीं और न ही कोई टीका डेंगू के मच्छरों से खुद को बचाना ही एक विकल्प है। इस बीच ब्राजील में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को प्रतिरोधक बनाया जा रहा है। प्रयोगशाला में करीब दस हजार मच्छरों के साथ प्रयोग किया है, इसके बाद उन्हें दोबारा रिहायशी इलाकों में छोड़ा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये मच्छर, डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के साथ प्रजनन करेंगे जिससे उनकी अगली पीढ़ी डेंगू फैलाने में नाकाम रहेगी। अगर वैज्ञानिकों का यह प्रयोग सफल रहा तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।"
भारत में अगले साल की शुरुआत से उन इलाकों में प्रदर्शन के आधार पर डेंगू टीकाकरण किया जाएगा जहां इसका प्रसार बहुत अधिक है। आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर (डॉक्टर) बलराम भार्गव ने कहा, जैसे ही हमें मंजूरी (सरकार से) मिलेगी, जैसे ही सभी अनुमति और दस्तावेज का काम ठीक से हो जाएगा, हम भारत में डेंगू के टीके की शुरुआत करेंगे।
आंध्र प्रदेश में इन दिनों डेंगू का प्रकोप काफी देखने को मिल रहा है। अब इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। टडीपी विधायक निम्माला राम नायडू पालकोलू शहर में विरोध स्वरूप नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर ही सो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार डेंगू के मुद्दे पर ठीक से काम नहीं कर रही है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में डेंगू का व्यापक असर देखने के लिए मिल रहा है। हांलाकि, मानसून के दिनों में डेंगू का प्रकोप काफी देखने को मिलता है और अब मानसून वापसी की ओर से है। ऐसे में डेंगू का असर भी कम होने के उम्मीद है।