न स्कूल, न कोई दोस्त, रेप आरोपी कसते हैं फब्तियां — डर के साए में जी रही 17 साल की बलात्कार पीड़िता

पिछले साल उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का पंचायत चुनाव पर उस समय उदासी छा गई, जब एक दलित उम्मीदवार की नाबालिग बेटी के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया। पीड़िता और उसके परिवार की शिकायत है कि जमानत पर छूटे आरोपी उन्हें लगातार धमकी देते हैं। 'दूसरा बलात्कार' नाम की सीरीज में गाँव कनेक्शन बलात्कार पीड़िता और उसके परिवारों के पास फिर से जाकर उनके दुख और परेशानियों को जानने की कोशिश कर रहा है, जिन्हें अब भुला दिया गया है।

Update: 2022-10-20 10:11 GMT

शिवानी गुप्ता/मानवेंद्र सिंह

जैदपुर (बाराबंकी), उत्तर प्रदेश। 17 साल की रोशनी पिछले डेढ़ साल में शायद ही कभी अपने घर से बाहर निकली हों। उसका ये घर जिसे हम टिन शेड से थोड़ा बेहतर कह सकते हैं। इसकी छत घास-फूस, पटिया या लिंटर से नहीं बनी है, उस पर बस एक तिरपाल की चादर बिछी है। सामने लकड़ी का एक टूटा-फूटा कमजोर सा दरवाजा नजर आ रहा था। 15 मार्च, 2021 को दलित नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और आरोपी का घर उसके इस टूटे-फूटे घर से 500 मीटर से ज्यादा दूर नहीं है।

एफआईआर के मुताबिक, उस समय पीड़िता की उम्र सिर्फ 15 साल की थी, जब उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में गाँव के ही चार लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मैंने अपना सब कुछ खो दिया। मैं अपने घर से बाहर कदम नहीं रख पाती हूं। और अगर जाती भी हूं तो अपना सिर नहीं उठा पाती। रास्ते से गुजरते हुए वे (आरोपी) मुझ पर फब्तियां कसते हैं और गालियां देते हैं।"

बलात्कार की घटना को डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन दलित लड़की और उसके परिवार का आरोप है कि उन्हें जमानत पर बाहर आरोपियों से जान से मारने की धमकी मिलती रहती है। इधर बलात्कार पीड़िता ने स्कूल जाना भी बंद कर दिया है। वह हाई स्कूल की परीक्षा में फेल हो गई और अब घर पर रहकर पढ़ने की कोशिश कर रही है।

15 मार्च, 2021 को, रोशनी के साथ उसके गाँव के चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया, इस एक घटना से पीड़िता और उसके परिवार की जिंदगी में सब कुछ बदल गया। फोटो: शिवानी गुप्ता

17 साल की पीड़िता ने रोते हुए कहा, "इस घटना से पहले मैं आज़ादी से स्कूल जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मेरे दोस्तों ने मुझसे मिलना बंद कर दिया है। जब भी मैं उस नहर से होकर गुजरती हूं (जहां उसका कथित रूप से अपहरण किया गया था), मुझे वो सब कुछ याद आ जाता है कि मेरे साथ क्या हुआ था।"

15 मार्च, 2021 को, रोशनी के साथ उसके गाँव के चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया उनका गाँव राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है। यह उनके पिता के लिए एक चेतावनी थी, जो एक 'निम्न' जाति के दलित व्यक्ति होने के बावजूद ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने की हिमाकत कर रहे थे।

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बलात्कार पीड़िता के पिता ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मेरे विरोधी ने मुझे चुनाव लड़ने से रोकने की कोशिश की और कथित तौर पर पैसे की पेशकश की और मुझे पंचायत चुनावों में भाग नहीं लेने की चेतावनी दी। आठ दिन बाद मेरी बेटी का अपहरण कर लिया गया और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। मामले के चार आरोपियों में से एक प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार का बेटा है।"

पीडिता के पिता के पास कोई जमीन नहीं है। छह लोगों के अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। वह पंचायत का चुनाव तो हारे ही साथ और सिर उठाकर जीने का हक भी। उनके मुताबिक पिछले कुछ समय से उन्हें आरोपियों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिल रही है। दो दिन पहले 18 अक्टूबर को परिवार ने बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक को शिकायत लिखकर सुरक्षा की मांग की थी।

पिता ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अब मैं क्या करूं? हम डरे हुए हैं। वे बहुत शक्तिशाली लोग हैं। मैं कई बार थाने के चक्कर लगा चुका हूं, लेकिन मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है।''

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आरोपी आकाश वर्मा, शिवम वर्मा, सचिन वर्मा और लालजी वर्मा जमानत पर बाहर हैं। मुख्य आरोपी सचिन वर्मा को 10 महीने की जेल हुई थी, जबकि प्रतिद्वंद्वी चुनाव प्रतियोगी का बेटा आकाश वर्मा लगभग सात महीने जेल में था, बाकी - शिवम और लालजी वर्मा को आकाश की जमानत पर रिहा होने के दो सप्ताह के भीतर रिहा कर दिया गया था। और, वे बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार को परेशान करना जारी रखा है पिता ने शिकायत की।

पीडिता के पिता के पास कोई जमीन नहीं है। छह लोगों के अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। फोटो: मानवेंद्र सिंह 

कल 19 अक्टूबर को सर्कल ऑफिसर सुमित त्रिपाठी ने मामले पर बात करने के लिए दोनों पक्षों - बलात्कार पीड़िता के पिता और आरोपी - को बुलाया। "मैंने परिवार को आश्वासन दिया है कि अगर उन्हें इस तरह की धमकी मिलती है, तो वे मुझे मेरे पर्सनल नंबर पर फोन कर सकते हैं और मैं आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की रिपोर्ट लिखूंगा और उनकी जमानत खारिज कर दी जाएगी। बाराबंकी के अंचल अधिकारी सदर ने गाँव कनेक्शन को बताया कि (पीड़ित का) परिवार आरोपी को एक और मौका देने पर सहमत हो गया है। सर्कल अधिकारी अपराध की रोकथाम और अपने सर्कल में अपराध का पता लगाने के लिए जिम्मेदार है।

"अगर उन्होंने अप्लीकेशन जमा कर दिया है, तो जांच चलनी चाहिए। बाराबंकी पुलिस लाइन के रिजर्व इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया कि मामले की जटिलता के आधार पर जांच में दो दिन से एक सप्ताह तक का समय लगता है।

2021 के बाराबंकी गैंगरेप मामला गाँव कनेक्शन की सीरीज 'दूसरा बलात्कार' की तीसरी स्टोरी है। इस सीरीज के तहत गाँव कनेक्शन रेप पीड़ितों और उनके परिवारों के सामने आ रही परेशानियों की पड़ताल करने के लिए उनके पास फिर से जा रहा है, जिन्हें अब भुला दिया गया है।

इनमें से कई ग्रामीण परिवार आज भी 'सख्त' यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत, कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि आरोपी जमानत पर बाहर हैं। सामाजिक बहिष्कार और जीवन के लिए खतरा जैसी कुछ अन्य चुनौतियां हैं जिनका वे अपने रोजमर्रा के जीवन में सामना कर रहे हैं।

पीड़िता ने बताया, "मैं अपनी दादी के साथ घर पर रहती हूं जबकि मेरे माता-पिता काम के लिए बाहर जाते हैं। वे कोशिश करते हैं कि सूरज डूबने से पहले घर वापस आ जाएं।" उनके मामले की सुनवाई POCSO अधिनियम, 2012 के तहत चल रही है।

बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बने इस 'कड़े' अधिनियम में तेजी से सुनवाई और कड़ी सजा का प्रावधान है। इसे 2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या - निर्भया कांड के बाद लागू किया गया था। पोक्सो एक्ट के तहत अपराध गैर जमानती है और मुकदमा आदर्श रूप से अपराध के एक साल के भीतर खत्म हो जाना चाहिए।

पीड़िता ने कहा- 'मैं इस गाँव से भी बाहर जाना चाहती हूं, और लौटकर कभी वापस नहीं आना चाहती।"

POCSO अधिनियम के तहत, जो कोई भी "यौन हमला" करता है, उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा। इसमें दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा तक का प्रावधान है और उससे जुर्माने भी वसूला जाएगा।

लेकिन जैदपुर गाँव के 17 साल की इस किशोरी जैसे हजारों परिवारों की हकीकत कुछ और ही है।

2021 बाराबंकी मामले की चार्जशीट की एक कॉपी गाँव कनेक्शन के पास है। इसके मुताबिक मामले के सभी चार आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 डी (सामूहिक बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी), अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 3/5, धारा 342 (गलत तरह से बंधक बनाने) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत धारा 24, और धारा 5 जी और धारा 6 (यौन हमला) के तहत तलब किया गया था। हालांकि इन चारों आरोपियों को 10 महीने की कैद के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध गैर जमानती अपराध है। लखनऊ की वकील रेणु मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को समझाया, "लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जमानत नहीं दी जाएगी। इसका मतलब है कि किसी को अदालत से जमानत लेनी होगी।"

लखनऊ हाई कोर्ट के वकील रोहित त्रिपाठी ने गाँव कनेक्शन को बताया, 'हम तेजी से सुनवाई की बात करते हैं लेकिन हम आरोपियों को जमानत दे देते हैं। अगर हम जमानत की प्रक्रिया खत्म कर दें तो सुनवाई तेज हो सकती है। उन्होंने कहा, "जमानत देना एक बड़ी खामी है जो अधिनियम के उद्देश्य की अवहेलना करती है। इसे खत्म कर देना चाहिए।"

17 वर्षीय बलात्कार पीड़िता ने कहा, "जिन्हें जेल में डाला गया था, उन्हें रिहा कर दिया गया। मुझे न्याय नहीं मिला है। मैं चाहती हूं कि उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिले। मैं उन्हें कभी नहीं देखना चाहती हूं। मैं इस गाँव से भी बाहर जाना चाहती हूं, और लौटकर कभी वापस नहीं आना चाहती।"

बाराबंकी कोर्ट में मामले की पैरवी कर रहे वकील सुरेश गौतम ने गाँव कनेक्शन को बताया कि मुकदमा चल रहा है। उन्होंने कहा, "हालांकि आरोपी जमानत पर बाहर हैं। उनकी जमानत खारिज की जा सकती है और अगर वे परिवार को धमकी देना जारी रखते हैं तो उन्हें तलब किया जाएगा।"

वकील के अनुसार, पीड़िता की मेडिकल जांच में गैंगरेप की पुष्टि हुई और उसके बाद चारों लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 लगाई गई।

बलात्कार पीड़िता के परिवार को सरकार की ओर से 6,18,000 रुपये का मुआवजा दिया गया।

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सरकार के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में दलित महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले किस तरह से बढ़ते जा रहे हैं। देश में 2021 में रेप के कुल 31,677 मामले सामने आए। इसमें से 12 फीसदी (3,870) से अधिक मामले 'एससी महिलाओं के खिलाफ बलात्कार' के थे। अनुसूचित जाति समुदायों के बच्चों के साथ बलात्कार के 1,285 मामले भी दर्ज किए गए।

देश में दर्ज हुए कुल मामलों में अनुसूचित जाति के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले 12.22 प्रतिशत हैं और इस तरह का हर तीसरा बलात्कार मामला नाबालिग लड़की का होता है।

उधर आरोपी और उनके परिवार सामूहिक बलात्कार के आरोपों को चुनावी साजिश और लालच बताते है।

गाँव के ग्राम प्रधान सुनील कुमार वर्मा ने गाँव कनेक्शन को बताया, "यह चुनावी रंजिश थी। उन्होंने (पीड़ित का परिवार) चुनाव जीतने के लिए जनता से सहानुभूति हासिल करने के लिए ऐसा किया। मेरे बेटे को झूठा फंसाया गया है।" वर्मा 22 मतों से इस चुनाव में जीते थे। लगभग 2,100 मतदाताओं वाले गाँव में आधे से ज्यादा यानी 16,00 दलित मतदाता हैं।

देश में दर्ज हुए कुल मामलों में अनुसूचित जाति के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले 12.22 प्रतिशत हैं और इस तरह का हर तीसरा बलात्कार मामला नाबालिग लड़की का होता है। फोटो: शिवानी गुप्ता

चुनावी साजिश के सिद्धांतों के अलावा तीन आरोपियों ने यह भी आरोप लगाया है कि लड़की अपने एक साथी सचिन के साथ एक साल से ज्यादा समय से रिश्ते में थी।

आरोपी में से एक लालजी वर्मा ने गाँव कनेक्शन को बताया, "लड़की का सचिन के साथ अफेयर था। हम तीनों निर्दोष हैं। मैं मौजूदा प्रधान का मित्र हूं। इसलिए लड़की के पिता ने मुझ पर आरोप लगाया है। रेप तो भूल जाइए, उस दिन तो मैंने उस लड़की को देखा भी नहीं था। मैं काम के सिलसिले में बाराबंकी में था।"

मुख्य आरोपी सचिन वर्मा ने कहा, 'हम एक साल से रिलेशनशिप में थे। घटना से दो दिन पहले, उसने मुझसे एक मोबाइल फोन खरीदने के लिए कहा। वह बाराबंकी से बाहर जाना चाहती थी। हमने पूरा दिन एक साथ बिताया और फिर मैंने उसे घर के पास छोड़ दिया। बाद में उसके पिता ने उसे पीटा और थाने ले गया और हम चारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी।

सचिन को 21 मार्च, 2021 को जेल में डाल दिया गया था। लेकिन 13 जनवरी, 2022 को रिहा कर दिया गया। तब से वह और तीन अन्य आरोपी जमानत पर बाहर हैं।

बलात्कार पीड़िता के पिता ने कहा, "जब तक इन आरोपियों को तलब नहीं किया जाता, ये हमें परेशान करते रहेंगे। या तो प्रशासन उन्हें जेल में डाल दे, या फिर हमें। हम यहां सुरक्षित नहीं हैं।"

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