अगर आपको लगता है कि आपकी परेशानी बड़ी है तो इनसे मिलिए, शिकायत दूर हो जाएगी

हाथ न होने पर दिव्यांग बनाती है पैरों से पेंटिंग, पेंटिंग से होने वाली कमाई से करती हैं परिवार का पोषण

Update: 2019-12-03 05:46 GMT

ऋषिकेष (उत्तराखंड)। छोटी-छोटी समस्याओं को देखकर हम और आप परेशान हो जाते हैं, लेकिन हमारे आसपास कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें देखकर हमें अपनी परेशानियां कम लगती हैं।

ऐसा ही एक नाम है अंजना मली। जो ऋषिकेश में गंगा के किनारे पैरों से पेंटिंग बनाकर परिवार का गुजारा करती हैं, न कि किसी के सामने हाथ फैला के।


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परिवार की कमाई का जरिया इकलौता भाई था, उसके गुजर जाने के बाद परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी अंजना पे ही आ टिकी।

सवाल था कि दोनों हाथ नहीं थे तो काम क्या करें, तो सड़क किनारे कोई कुछ दे देता उसी को किस्मत समझ लेती। "मैं पहले पैर से राम-नाम लिखती थी, कोई हजार, पांच सौ दे दिए तो मिल गए। फिर एक दिन एक विदेशी आए, उन्होंने कहा कि तुम जब पैरों से लिख सकती हो तो ड्राइंग भी बनाया करो। मैंने कहा कैसे कर पाऊंगी तो बोले मुझे देख के बनाओ," अंजना ने बताया।


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अगले दिन वो विदेशी पर्यटक कुछ पेन और पेपर लेकर अंजना के पास आ गए और बोले चलो पेंटिंग बनाओ। "विदेशी ने जब पैर से पेंटिंग बनाना शुरू किया तो मुझसे भी बोले कि देख-देख के तुम भी बनाओ। जब मैंने उन्हें देख के पेंटिंग बनाना शुरू किया तो धीरे-धीरे बनाने लगी। आज जो पेंटिंग बनाती हूं उससे हुई आमदनी से परिवार पालने के साथ ही भाई के दो बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ा रही हूं।"

अंजना कहती हैं, "अभी मैं इंटरनेट से देख-देख के ड्राइंग बनाती हूं, लेकिन आगे और अच्छा बनाना चाहती हूं।

अंजना का परिवार नैनीताल के एक गांव में रहता है, और अंजना ऋषिकेश में किराए पर रह के अपने पेंटिंग के काम को करती हैं। अंजना रोज सुबह अपनी दुकान लगाने से पहले सड़क किनारे झाड़ू भी लगाती हैं।  

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