मध्य प्रदेश: वादा करके भूली सरकार, किसानों को मूंग और उड़द में 1,500 से 3,000 रुपए प्रति कुंतल का घाटा

मध्य प्रदेश सरकार ने कहा था कि वे किसानों से मूंग और उड़द एमएसपी पर खरीदेंगे। इसके लिए तीन जून से ही पंजीयन शुरू होना था, लेकिन शुरू नहीं हो सका। अब किसानों को उपज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है।

Update: 2020-07-12 03:45 GMT

तीन जून को मध्य प्रदेश सरकार घोषणा करती है कि प्रदेश में मूंग और उड़द की सरकारी खरीद के लिए चार जून से 15 जून तक रजिस्ट्रेशन होगा। इस घोषणा को किये हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन प्रदेश की मंडियों में एमएसपी पर (न्यूनतम समर्थन मूल्य) उड़द और मूंग की खरीद शुरू नहीं हो पायी है। इससे किसानों को प्रति कुंतल 1,500 से 3,000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश के जिला हरदा, तहसील हंडिया के गांव देवास के रहने वाले किसान राहुल पटेल को मूंग से अब तक साढ़े तीन लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "इस साल मेरे यहां अच्छी बारिश हुयी थी। ऐसे में मैंने 80 एकड़ में मूंग लगा दिया। कीटों के प्रकोप के कारण पैदावार घट गयी। पहले प्रति एकड़ में 6 से 7 कुंतल मूंग होता था, इस बार 4-5 कुंतल प्रति एकड़ ही निकला। नुकसान तो हमें फसल काटते ही हो गया। रही सही कसर मंडी में पूरी हो गयी।"

"मेरे यहां हरदा मंडी में मूंग की कीमत इस समय 5,300 से 5,500 रुपए चल रही है। मैंने 5,400 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से 200 कुंतल मूंग बेचा। सरकारी दर के हिसाब से देखेंगे तो मुझे अब तक साढ़े तीन लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। पिछले साल मैंने खुद 6,000 से 9,000 रुपए कुंतल में मूंग बेचा था। इसी उम्मीद से अभी लगभग 250 कुंतल उपज रोक रखा है। पैसों की जरूरत थी इसलिए 200 कुंतल बेचना पड़ा।" वे आगे कहते हैं।

लॉकडाउन में किसानों को हुए नुकसान से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी की थी। बढ़ोतरी के बाद मूंग की एमएसपी 7,196 रुपए प्रति कुंतल और उड़द की एमएसपी 6,000 रुपए प्रति कुंतल हो गयी।

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मध्य प्रदेश सरकार ने तीन जून को ट्वीटर के जरिये जानकारी दी थी कि प्रदेश में सरकारी खरीद के लिए चार से 15 जून तक पंजीयन होगा, लेकिन पंजीयन की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पायी।


मध्य सरकार ने यह भी कहा था कि वे मूंग और उड़द के कुल उत्पादन 616,000 (6,160,000 कुंतल) टन का 25 फीसदी हिस्सा एमएसपी पर खरीदेंगे। सरकार ने कहा था कि वे इस सीजन (जून-जुलाई) में किसानों से 144,000 (1,440,000 कुंतल) टन मूंग और 10,000 (100,000 कुंतल) टन उड़द की खरीदी करेंगे। प्रदेश सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था।

उड़द-मूंग की पैदावार एक साथ होती है। दोनों दलहन करीब-करीब समान किस्म की मानी जाती है। मूंग की आवक मप्र में सामान्यत: मई अंत या जून माह के पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है। इस बार लॉकडाउन के कारण दोनों फसलों में देरी हुई। मूंग की आवक मंडियों में इस समय तेज है।

हरदा जिले में रहने किसान और आम किसान यूनियन से जुड़े राम इनानिया ने भी इस साल 80 एकड़ में मूंग लगाया था। 40 एकड़ जमीन उनकी थी और 40 एकड़ जमीन बंटाई पर लिया था, अब वे गिरती कीमत को लेकर परेशान हैं।

किसान कैलाश को एक कुंतल मूंग के बदले मिला 3600 रुपए। 

वे कहते हैं, "अगर सरकार एमएसपी पर खरीद करती तो हमारा नुकसान कम होता। लॉकडाउन में हमें वैसे ही बहुत नुकसान हुआ है। अब जो कमाई हो सकती थी, प्रदेश सरकार की तरफ से वह भी खतरे में है। सरकार वादा करके मुकर गयी।"

राम हमें लागत के हिसाब से नुकसान की पूरी जानकारी देते हैं। वे हमें एक एकड़ रकबे का गणित समझाते हैं।

एक एकड़ में मूंग फसल की लागत का पूरा हिसाब-किताब

जमीन तैयार करने और बोने में डीजल 16 लीटर - 1120 रु.

बीज का खर्चा (15 से 20 किलोग्राम) - 2000 रु.

बीज उपचारित दवा - 50 रु

उर्वरक खाद (DAP) का खर्चा - 600 रु.

कीटनाशक दवाई चार स्प्रे का खर्चा - 3500 से 4000 रु.

दवाई छिड़कने, पानी देने की मजदूरी - 1500 से 2000 रु.

इस वर्ष फसल सुखाने के लिए डाली गई दवाई का खर्च - 400 रु

फसल साफ करवाने की मजदूरी का खर्च - 200 रु

फसल कटाई का खर्चा - 1500 रु.

खेत से घर लाने का खर्च - 200 से 300 रु.

मंडी तक ले जाने का खर्च - 300 से 500 रु.

अन्य खर्च - 1000 रु

(खर्च रुपए, लगभग में)

इस तरह एक एकड़ में मूंग के खेती के लिए कुल लागत 13 से 14 हजार रुपए आती है। किसानों के पास अपने उपकरण नहीं होंगे तो यह खर्च और बढ़ जायेगा।

राम बताते हैं, "एक एकड़ में मूंग फसल का औसतन उत्पादन इस वर्ष 7 से 8 कुंतल प्रति एकड़ होना था, लेकिन नहर के लेट छूटने के कारण किसानों को 2 से ढाई कुंतल का नुकसान हुआ है। इसलिए उत्पादन 5 से 6 कुंतल प्रति एकड़ रहा। हमारे यहां मंडियों में मूंग की कीमत व्यापारी प्रति कुंतल 3,400 से लेकर 6,000 दे रहे हैं जो समर्थन मूल्य से 1,400 से 3,800 रुपए से कम है। किसानों को पैसों की जरूरत है, वह फसल तो बेचेगा ही, नुकसान हो या फायदा।"

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उड़द उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश सबसे आगे है। प्रदेश में इस साल उड़द दाल का उत्पादन 40 हजार मीट्रिक टन तक होने का अनुमान है। प्रदेश के कृषि विभाग के अनुसार प्रदेश के 20 जिलों में एक हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मूंग और 5 जिलों में उड़द की पैदावार होती है। 26 जिलों में 500 से अधिक हेक्टेयर में मूंग और 10 जिलों उड़द होती है।

मूंग की ही तरह उड़द के किसान भी परेशान हैं, हालांकि उड़द की आवक मंडियों में अभी कम है।

5600 रुपए में बिका मूंग। 

टीकमगढ़ के बनगांय के रहने वाले रोहित आचार्य ने इस साल लगभग दो एकड़ में उड़द लगाया है। वे कहते हैं, "मैंने थोड़ा देर से लगाया था, फसल कटने में अभी दो-चार दिन लगेगा, लेकिन मेरे यहां मंडी में कीमत प्रति कुंतल 4,200 से 4,500 रुपए चल रही है। अगर सरकार मंडी में सरकारी दर पर खरीद करती तो किसानों को एक कुंतल के 6,000 रुपए मिलते। किसानों को 1,500 से 2,000 प्रति कुंतल नुकसान हो रहा है।"

किसान कांग्रेस मध्य प्रदेश के कार्यवाहक अध्यक्ष केदार सिरोही कहते हैं कि मूंग और उड़द खरीद को लेकर सरकार की कोई निति नहीं है। इसके लिए केंद्र भी जिम्मेदार है। सरकार दलहन आयात कर रही है। उसका असर मंडियों पर दिख रहा है। लॉकडाउन में नुकसान झेल रहे किसानों को सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल रही। प्रदेश सरकार व्यापारियों के दबाव में रजिस्ट्रेशन नहीं कर रही है। मक्का किसान कीमत के लिए परेशान हैं ही, अब मूंग और उड़द भी रुला रहा है।

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वादा करके भी खरीद और रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं शुरू हो पाया, इस बारे में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं, "मैंने उड़द और मूंग की एमएसपी पर खरीद के लिए अनुमोदन किया था। हमें इसके लिए मंजूरी भी मिल गयी है, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अभी गोदाम और वेयर हाउस में जगह नहीं है। इसलिए खरीद शुरू नहीं हो सकी, लेकिन खरीद जल्द शुरू होगी।"    

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