खरीफ में मिश्रित खेती के इस मॉडल को अपनाकर छोटे किसान भी ले सकते हैं बढ़िया उत्पादन

किसान खरीफ में एक साथ तीन से चार फसलें लेकर मिश्रित खेती का ये मॉडल अपनाकर कम जगह में अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। उन चार फसलों का एक साथ चुनाव करें जो कम पानी में हो जाती हों।

Update: 2020-07-28 10:13 GMT

जिन किसानों के पास कम जमीने हैं वो किसान मिश्रित खेती की तकनीक को अपनाकर खरीफ की फसल में अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। 

किसान मिश्रित खेती के इस मॉडल में खरीफ की फसल में एक साथ तीन चार वो फसलें उगा सकते हैं जिनकी पैदावार कम पानी में हो जाती हो। जैसे- तिलहन, अनाज, दलहन और एक मसाले वाली फसल लगाकर एक साथ चार फसलें किसान आसानी से ले सकते हैं।

बरसात में चारों तरह की ये फसलें कम पानी में हो जायेंगी। इसलिए किसान इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि फसल की बुवाई खेत के ऊपरी हिस्से में ही करें जहाँ कम पानी पहुंचता हो या फिर पानी न भरता हो। खेत के किनारों पर तेजी से बढ़ने वाली फसल का चुनाव करना चाहिए जो बाहरी कीड़ों और बीमारियों के प्रकोप से फसल क्षेत्र को बचा सके।


इस मॉडल को किसी भी निचली जमीन के हिस्से पर लगाने से बचना चाहिए। मिश्रित खेती में किसान को खुद ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, कुशल मजदूर ही इस तरह की पद्धति में आपकी मदद कर पायेंगे।

मिश्रित खेती को जमीन के बड़े हिस्से में एक साथ करना मुश्किल होता है। क्योंकि बड़े हिस्से में देखरेख करना मुश्किल होता है, इसलिए जब भी इसकी शुरुआत करें जमीन के छोटे हिस्से में ही करें ये छोटी जोत के किसानों के लिए उपयोगी है।

फसल का चयन इस प्रकार कर सकते हैं - 

1. तिलहन- मूंगफली, तिल

2. दलहन- मूँग, उड़द, अरहर

3. ज्वार, बाजरा, सूखा सहन करने वाली धान की प्रजाति जैसे- सहभागी

4. हल्दी, अदरक

इसे लगाने की विधि - सीड ड्रिल विधी से तिलहन फसल मूंगफली और तिल की बुवाई करें। किसान अपनी सुविधा के अनुसार फसल का चयन कर सकता है  जैसे मूँग और उर्द दोनों या किसी एक दलहन फसल या फिर कम पानी में होने वाली धान का भी चुनाव विशेष परिस्थितियों में किया जा सकता है।


सीड ड्रिल विधी से बुवाई करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। पर्याप्त मात्रा में फसल को वातावरण से पोषक तत्व मिलते रहते हैं। खेत में बीज कम लगता है और उत्पादन अधिक होता है। 

इसके एक और दूसरी तरफ से लौटती सीड ड्रिल की दूरी 1.5- 2 फ़ीट का गैप छोड़कर करने से बची जगह की पहली पंक्ति में अरहर जैसी ज्यादा फैलने और वर्ष भर रहने वाली दलहन फसल जिसे करीब दो फ़ीट की दूरी या हल्दी अदरक जैसे मसाले वाली 8-10 महीने की फसल का चयन हाथ से बुवाई के प्रबंध द्वारा करना चाहिये।

इसके बाद सीड ड्रिल द्वारा छोड़ी गई हर अगली पंक्ति में ऊंचे बढ़ने वाले अनाज जैसे बाजरा और ज्वार या तिलहन फसल सूरजमुखी (जिस जगह तोते जैसे पक्षी का प्रकोप न हो) जैसी फसल का चयन करना चाहिये।


इस मॉडल के फायदे ...

1- एक दलहन और एक अनाज के बीच में हुई कोई भी तीसरी फसल कीड़ो के प्रकोप से बहुत आसानी से बच जाती है।

2- मिश्रित फसल के चुनाव से सभी फसलें अलग-अलग समय पर आती हैं जिससे किसानों की आय आने की सुनिश्चितता बनी रहती है।

(लेखक- डॉ. शुभम कुमार कुलश्रेष्ठ, रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्विद्यालय, रायसेन, मध्यप्रदेश) 

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