कमाल का है गधी का दूध: 3000 रुपए लीटर तक है कीमत, 500 रुपए में बिकता है दूध से बना एक छोटा सा साबुन

क्लियोपेट्रा नाम की महारानी अपनी सुंदरता को बनाए रखने के लिए गधी के दूध से नहाती थी, 2000 से अधिक वर्षों के बाद गधी का दूध न सिर्फ फैशन उत्पाद के रूप में बल्कि सुपर फूड के रूप में भी वापस आ गया है।

Update: 2020-01-01 07:57 GMT

नई दिल्ली। पढ़ाई के साथ दौरान पूजा के दिमाग में जब गधी के दूध से प्रोडक्ट बनाने का आइडिया आया तो शुरूआत में तो बहुत मुश्किलें आयीं, लेकिन आज उनके साथ गधी पालकों की भी कमाई बढ़ गई है। यही नहीं गधी से दूध से प्रोडक्ट बनाने के लिए

दिल्ली की रहने वाली पूजा कौल ने 'ऑर्गेनिको' नाम से स्टार्टअप की शुरूआत की है, जिसमें वो गधी के दूध से साबुन बनाती हैं। वो बताती हैं, "पढ़ाई के दौरान डेयरी सेक्टर पर कुछ नया करने का प्रोजेक्ट मिला, उसी दौरा डॉन्की मिल्क पर अध्ययन करते हुए आइडिया आया कि डॉन्की मिल्क पर स्टार्टअप की शुरूआत कर सकते हैं।"

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वो आगे कहती हैं, "लेकिन डॉन्की मिल्क से साबुन बनाना आसान काम नहीं था, जो लोग गधा पालन से जुड़े हैं, उन्हें शुरू में समझाने में शुरू में बहुत मुश्किलें भी आयीं। साथ ही डॉन्की मिल्क सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच ही इकट्ठा कर उसे 10 घंटे के अंदर ही इस्तेमाल कर लेना होता है। इसलिए जिस दिन, जिस वक़्त दूध निकाला जाता है, उसकी प्रोसेसिंग भी उसी दिन करनी होती है, नहीं तो खराब हो जाता है। अब हमने पूरी तरह से ऑर्गेनिक डॉन्की मिल्क साबुन बना लिया है, जिसका दाम 499 से लेकर हजार तक है।

पशुओं को लेकर जारी हुई 20वीं पशुगणना के मुताबिक भारत में घोड़े, गधे और खच्चरों की संख्या में भारी गिरावट आई है। पिछले सात साल (2012-19) में इनकी संख्या में 6 लाख की कमी दर्ज की गई है। बढ़ते मशीनीकरण, आधुनिक वाहन और ईट-भट्ठों में काम न मिलने की वजह से लोगों ने इन्हें पालना कम कर दिया है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में गधे की संख्या इसलिए घट रही है क्योंकि चीन में गधों की खाल की मांग तेजी से बढ़ रही है। उनका कहना हैं कि चीन में पारंपारिक दवा बनाने में इनका प्रयोग किया जाता है। देश में हर छह साल में पशुओं की गणना होती है।

पशुगणना 2019 में के मुताबिक देश में 5 लाख 40 हज़ार अश्व (घोड़े, टट्टू, गधे और खच्चर) हैं, जिनकी संख्या पशुगणना 2012 में 11 लाख 40 हजार थी। यानि पिछले सात साल में इनकी संख्या में 51.9 फीसदी की गिरावट आई है, जो कि संख्या में 6 लाख है।

पूजा के इस काम से गधा पालकों को भी अच्छी कमाई हो जाती है। जिस गधी के दूध के बारे में उन्हें पता भी नहीं था आज उसी से अच्छी कमाई हो रही है। वो बताती हैं, "डॉन्की मिल्क 3000 रुपए प्रति लीटर तक बिकता है। एक चम्मच दूध की कीमत 50 से 100 रुपए पड़ जाती है। अभी हम गाज़ियाबाद के लोनी, डासना और महाराष्ट्र के सोलापुर से डॉन्की मिल्क खरीद रहे हैं।"


उनका बनाया साबुन तो पूरी तरह से जैविक तो है ही, साथ ही उसकी पैकिंग भी ईको-फ्रेंडली है, सुपारी के पेड़ की छाल ये इसका पैक तैयार होता है और जूट के बैग में यह लोगों तक पहुंचता है। उनके इस स्टार्टअप में छह और लोग भी जुड़े हुए हैं।

वो आगे कहती हैं, "मिश्र की रानी क्लियोपेट्रा जो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती हैं, उनकी खूबसूरती के बारे में बताया जाता है कि गधी के दूध से वो नहाती थी। तो ऐसे गधी का दूध एक एंसिएंट ब्यूटी सिक्रेट है। डॉन्की मिल्क एंटी ऐजिंग और नरिश्मेंट कंडीशनिंग में अनुकूलित होता है। इसमें ए, बी-1, बी-2, बी-6, सी, डी, ई विटामिन और ओमेगा-3, ओमेगा-6, केल्शियम जैसे तत्व स्कीन से जुड़ी कई बिमारियों के साथ-साथ रिंकल, एक्जिमा आदि को भी कंट्रोल करते हैं। इस पर हुए रिसर्च भी चौंकाने वाले रहे हैं। इसके इस्तेमाल से स्किन पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।"


फिलहाल, 'ऑर्गेनिको' स्टार्टअप दो तरह के साबुन बना रहा है। एक्ने और ऑयली त्वचा के लिए डॉन्की मिल्क में शहद और चारकोल मिश्रित कर और नाज़ुक त्वचा के लिए डॉन्की मिल्क में ऐलोवेरा, चंदन, नीम, पपीता, हल्दी और कई तरह के तेल मिलाकर तैयार किया जाता है। डॉन्की मिल्क से तैयार होने वाले साबुन में प्राकृतिक संघटकों नीम, ऐलोवेरा, चंदन, पपीता पाउडर, बदाम का तेल, हल्दी आदि को मिलाया जाता है, जो त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं। 

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