गन्ना की खेती छोड़ सब्जियां उगाने लगे हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान

पहले ये किसान गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर किया करते थे, लेकिन शुगर मिल द्वारा कभी भी समय पर भुगतान नहीं मिल पाता था, जिससे खर्च चलाना भी मुश्किल होता था। लेकिन पिछले कई वर्षों से अब ये किसान सब्जी जैसे लौकी, तोरी, भिंडी, अरवी, टमाटर, मिर्च जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं।

Update: 2020-07-10 05:49 GMT

शामली (उत्तर प्रदेश)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादातर गन्ने की खेती करते हैं, लेकिन चीनी मिल से समय पर भुगतान न होने पर किसान परेशान रहते हैं। ऐसे में बहुत से किसान अब गन्ने की खेती छोड़ सब्जियों की खेती करने लगे हैं।

उत्तर प्रदेश का शामली जिला भी गन्ने की खेती को लेकर काफी प्रसिद्ध है, लेकिन किसानों को शुगर मिल से भुगतान समय से ना होने से परेशान किसान गन्ने की खेती छोड़ सब्जी की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं, जिससे उन्हें उनकी फसल का नकद भुगतान मिल जाता है। शामली जिले के दर्जनों गाँवों जैसे कस्बा थाना भवन, जल्लाबाद, मुल्लापु , सेहंटा, बाबरी जैसे तमाम गांव में सब्जी की खेती करने लगे हैं।

किसान सुरेंद्र सैनी किसान बताते हैं, "वेस्ट यूपी के शामली जनपद में मात्र 20 प्रतिशत सब्जी की खेती किसान करने लगे हैं, बाकी किसान आज भी गन्ने की खेती करते हैं कारण यह है कि कुछ किसान मेहनत नहीं करना चाहते इस लिए भी यहां के किसान गन्ने की खेती करते हैंगन्ने की खेती में पेमेंट की सबसे बड़ी समस्या है आज भी किसानों का करोड़ो रुपए मिल मालिकों पर बकाया हैं।

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सब्जी की खेती कर रहे किसानों ने बताया कि पहले वे गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर किया करते थे, लेकिन शुगर मिल द्वारा कभी भी समय पर भुगतान नहीं मिल पाता था, जिससे घरेलू खर्च चलाना भी मुश्किल होता था। लेकिन पिछले कई वर्षों से अब लोकी, तोरी, भिंडी, अरवी, टमाटर, मिर्च जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं। इससे वे अपना माल मंडी में जाकर उचित दामों पर बेचते हैं, जिससे उन्हें नकद भुगतान मिलता है और जब से वह गन्ने की खेती छोड़ सब्जी की खेती कर रहे है तब से वह एक खुशहाल जीवन बिता रहे हैं।

किसान जयवीर सैनी आगे बताते हैं, "अब हम पहले से खुशहाल हैं कारण यह है कि पहले हम गन्ने की खेती करते थे, हमारा गन्ने का पेमेंट समय से ना आने के कारण ना तो घर का खर्चा चलता था, ना बच्चों की स्कूल की फीस जा पाती थी, लेकिन आज मेहनत तो है लेकिन खुशहाली का जीवन जी रहे हैं, क्योंकि सब्जी की खेती में नकद का पैसा हम किसानों को मिल जाता है हम तो लोगों को बताते हैं अगर आपके पास जमीन ज्यादा है तो गन्ना की बुवाई करें थोड़ी जमीन में सब्जी की खेती करें ताकि घर का खर्च भी चलता रहे।

सौरज सिंह कहते हैं कि वह अगर धान की खेती करते हैं तो उन्हें सही दाम क्रय केंद्रों पर नहीं मिल पाता क्योंकि यहां पर धान का मूल्य नहीं मिल पाता कारण यह है कि धान की खेती बहुत कम होती है इसलिए कुछ चुनिंदा किसान ही धान की खेती करते हैं और जो करते हैं उन्हें अपने ट्रांसपोर्टेशन से दिल्ली, हरियाणा मंडी जाकर अपना बासमती बेचना पड़ता है। 

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