अनार की खेती ने बनाया राजस्थान के किसानों को लखपति, देश के कई राज्यों के साथ ही दूसरे देशों में भी भेजा जा रहा अनार

पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान के कई जिलों में किसानों का रुझान अनार की खेती की ओर बढ़ा है, उनमें से एक बाड़मेर जिला भी है, जहां के किसान अनार की खेती से सालाना लाखों में कमाई कर रहे हैं। यही नहीं अब सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत जैसे खाड़ी देशों के साथ ही अमेरिका तक यहां का अनार निर्यात हो रहा है।

Update: 2023-03-22 13:37 GMT

बाड़मेर (राजस्थान)। साल 2010 के पहले तक 35 साल के किसान हनुमान राम चौधरी छप्पर से बने घर में रहा करते थे और उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं था। यहां के दूसरे किसानों की तरह वो भी बाजारे की खेती किया करते थे, यही नहीं कई बार तो उन्हें दिहाड़ी मजदूरी तक करनी पड़ती थी।

उनकी जिंदगी में बदलाव तब आया जब उन्होंने अपने गाँव के दूसरे किसानों के साथ ही अनार की खेती का फैसला किया और 27,000 रुपए खर्च करके एक हेक्टेयर जमीन में लगभग 900 पौधे लगाए।

बाड़मेर के बुडिवाडा गाँव के हनुमान राम चौधरी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "दस साल पहले हमे शहर में मजदुरी करने जाना पड़ता था और बरसाती खेती पर निर्भर रहना पड़ता था। जिससे घर का गुजारा भी मुश्किल से होता था।"


"पर जब से अनार कि खेती करनी शुरू किया है मेरे परिवार कि स्थिति बदल गयी। मेरे पास वर्तमान मे 4500 हजार अनार के पौधे हैं जिनसे मुझे सालाना लगभग 70 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। अगर 20 लाख रुपए रख रखाव का निकाल दें तो 50 लाख की कमाई हो जाती है, "35 वर्षीय किसान हनुमान ने गाँव कनेक्शन को आगे बताया।

चौधरी राजस्थान के बाड़मेर जिले के उन 3,000 किसानों में से एक हैं, जो अनार की खेती से बढ़िया कमाई कर रहे हैं। अनार की खेती से हनुमान राम चौधरी ने पिछले दस साल में दो बंगले बना लिए और एक एसयूवी और एक ट्रैक्टर भी खरीद लिया है।

ऐसी ही कहानी उनके पड़ोसी किसान बाबूलाल की भी है, बाबुलाल चौधरी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "अनार कि बागवानी करना शुरू की है अच्छा मुनाफा मिल रहा है। पैसे ज्यादा आने कि वजह से परिवार कि जरूरते भी आसानी से पूरी हो पा रही है। साथ ही साथ अनार कि पैदावार हमे मजबूती प्रदान कर रही है जिससे के चलते हम बागान में अनार के पौधौं कि सख्या तेजी से दोगुनी कर रहे हैं।

कई राज्यों के साथ ही दूसरे देशों तक जाता है यहां का अनार

जालौर जिले के जिवाणा गाँव की थोक मंडी में व्यापारी अनार खरीदने पहुंचते हैं। महाराष्ट्र के पुणे के अनार व्यापारी मंगेश चौधरी ने गाँव कनेक्शन को बताया, "राजस्थान के अनार कि गुणत्ता मे टिकाऊ व मिठास मे भरपूर हैं जिसके चलते राजस्थान के अनार कि माग पूरे देश भर में है, जिसको देश के अन्य हिस्सों से आये बिचौलिया व्यापारी ने किसानों से सीधा खरीद कर देश के अलग मंडियों में पहुंचाते हैं।"

“इसके अलावा, कुछ निर्यातक बाड़मेर से अपना स्टॉक भी मंगवाते हैं। वे ज्यादातर इसे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खाड़ी देशों में निर्यात करते हैं


“मैं बाड़मेर से अनार खरीदता हूं क्योंकि वे पुणे में बहुत अधिक कीमतों पर बेचते हैं। ये फल खुदरा बाजारों में 250 रुपये प्रति किलोग्राम बिकते हैं और मैं उन्हें यहां के थोक बाजार में लगभग 110 रुपये प्रति किलोग्राम में खरीदता हूं, ”मंगेश चौधरी ने कहा।

बाड़मेर में बढ़ रहा है अनार की खेत का रकबा

बाड़मेर में गुडामलानी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ बीएल मीणा के अनुसार, अनार के पौधों को फल देना शुरू करने के लिए दो-तीन साल की जरूरत होती है।

डॉ बीएल मीणा गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "इस बीच किसानो को बहुत प्रकार के कीट पतंगों का सामना करना पड़ता है इस तरह की कि तमाम परेशानियो से लड़ने के लिए किसान कृषि विज्ञान केन्द्र से मदद लेते हैं जिससे अनार के पौधो पर आने वाली तमाम कठिनाईयो को आसानी से हल किया जा सकता है।"

“आज, बाड़मेर में लगभग 80,000 हेक्टेयर भूमि अनार की खेती के अधीन है और 3,000 से अधिक किसान फल की खेती कर रहे हैं। 2010 में, रकबा 10,000 हेक्टेयर था, ”उन्होंने कहा।


राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार, अनार अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में अच्छी तरह से बढ़ता है जो बाड़मेर जिले में पाया जाता है।

“यह गर्म, शुष्क गर्मी और ठंडी सर्दियों में अच्छी तरह से पनपता है बशर्ते सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो। फलों के विकास और पकने के दौरान पेड़ को गर्म और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। अनार का पेड़ कम सर्दियों के तापमान वाले क्षेत्रों में पर्णपाती होता है और उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय स्थितियों में सदाबहार या आंशिक रूप से पर्णपाती होता है।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार अनार की व्यावसायिक रूप से महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है, जबकि गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भी छोटे पैमाने इसकी खेती होने लगी है।

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