पशुओं को खरीदने-बेचने से लेकर, जरूरी सलाह तक; घर बैठे इन महिला किसानों को मिल रहा कई सारी समस्याओं का समाधान

पशुओं के इलाज़ से लेकर दवाओं तक बकरियों के लिए पशु चारा, अनाज, खनिज, खरीदने जैसी सारी सुविधाएं जीआरसी किसानों को उपलब्ध करवाता है। साथ ही जीआरसी बकरीपालकों को जानवर खरीदने और बेचने के लिए एक बड़ी बाजार भी उपलब्ध करा रहा है जहां किसान अच्छी नस्ल की बकरियां खरीद सकता है और बेच भी सकता है।

Update: 2022-09-05 13:28 GMT

बकरी पालकों की कई समस्या का निवारण करने के लिए मंजरी फाउंडेशन ने गोट रिसोर्स सेंटर (GRC) का गठन किया जिसके कारण धौलपुर के लोगों को काफी फायदा हो रहा है। प्रतीकात्मक तस्वीर

यहां के ज्यादातर परिवार बकरी पालन करते हैं, लेकिन बकरीपालकों के साथ कई समस्याएं भी थी जैसे समय पर जानवरों को सही इलाज़ न मिलना, बकरियों को खरीदने और बेचने के लिए बाजार का न होना जिसके कारण बकरीपालकों को सही दाम न मिलना शामिल है। लेकिन अब इनकी इन समस्याओं का भी हल निकल गया।

राजस्थान के धौलपुर में लोग बकरी पालन का काम करते हैं। यहां के ज़्यादातर परिवारों में कम से कम 10 से 15 बकरियां रहती है, जिसके ज़रिये एक परिवार सलाना 30,000 रुपए तक की कमाई हो जाती है। वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास 40 से 50 बकरियां भी और उनकी सलाना कमाई लगभग एक लाख तक है। इलाके में सूखा और कम बारिश के चलते इस क्षेत्र में लोग आमदनी के लिए बकरीपालन पर निर्भर हैं।

बकरी पालकों की कई समस्या का निवारण करने के लिए मंजरी फाउंडेशन ने गोट रिसोर्स सेंटर (GRC) का गठन किया जिसके कारण धौलपुर के लोगों को काफी फायदा हो रहा है।

धौलपुर में सरमाथुरा ब्लॉक के नारायणपुरा गाँव की महिला किसान संतो भी लाभार्थियों में शामिल हैं, वो बताती हैं, "जीआरसी से जुड़ने के बाद अब बकरी पालन संबंधी बहुत सी जानकारी हमको मिलती रहती है। हम अपनी बकरियों का समय समय पर टीकाकरण और डीवॉर्मिंग भी करवा रहे है।" वो आगे कहती हैं, "बकरियो में किसी भी प्रकार का रोग होने पर जीआरसी पर उपलब्ध बकरी किसान सहायता नंबर पर कॉल करके बकरियों को समय पर इलाज करवा लेते हैं, जिससे हमारी बकरिया मरने से बच जाती है।"

संतो ने जीआरसी की मदद से अपनी बकरियां 67500 रुपये में बेची हैं। संतो कहती हैं, "जीआरसी पर हम अपनी बकरियो को कभी भी बेच सकते है और अच्छी नस्ल की बकरिया खरीद सकते हैं।"


मंजरी फाउंडेशन जीआरसी के माध्यम से छोटे पशुधन आधारित आजीविका पर काम करता है। जीआरसी टेक्नोलॉजी और प्लेटफार्म के ज़रिये किसानों को एक बड़ी बाजार उपलब्ध कराने का काम कर रहा है। जीआरसी का प्रबंधन संघ फॉर एम्पावरमेंट एंड लाइवलीहुड (सहेली) सरमथुरा फेडरेशन द्वारा किया जा रहा है। इस फाउंडेशन को पूरी से महिलाओं द्वारा ही संचालित किया जाता है और अभी तक 500 किसान इस फाउंडेशन में पंजीकृत है।

मंजरी फाउंडेशन के संस्थापक संजय कुमार शर्मा कहते हैं, "हमारा विचार पशुधन पालन का एक स्थायी मॉडल तैयार करना है जो किसानों को आय बढ़ाने में सहायता करता है। हमारे पास भारत भर में बड़ी संख्या में किसानों विशेषकर महिला कृषि-उद्यमियों के लिए पशुधन खरीदने और बेचने के लिए एक संगठित बाज़ार मंच प्रदान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है।

जीआरसी बकरीपालकों को पशु सखी और बकरी पाठशाला के माध्यम से ट्रेनिंग देता है, साथ ही जानवरों की अच्छी नस्ल के लिए आर्टिफीसियल इन्सेमीनेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। जानवरों की इलाज़ से लेकर दवाओं तक बकरियों के लिए पशु चारा, अनाज, खनिज, खरीदने जैसी सारी सुविधाएं जीआरसी किसानों को उपलब्ध करवाता है। साथ ही जीआरसी बकरीपालकों को जानवर खरीदने और बेचने के लिए एक बड़ी बाजार भी उपलब्ध करा रहा है जहां किसान अच्छी नस्ल की बकरियां खरीद सकता है और बेच भी सकता है।

सरमाथुरा ब्लॉक के खिन्नोता गाँव की निरमा बताती हैं, "हमने 80,000 की बकरी जीआरसी पर बेच दी थी। GRC के माध्यम से हमको वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन की जानकारी मिलती रहती है। GRC हर महीने पहले और चौथे शनिवार को बकरी हाट भी लगाता हैं उसमें हम किसान अपनी बकरियो बेचने भी ले जाते हैं। ग्राम हाट द्वारा बकरियो की खरीद के लिए एक बाजार भी उपलब्ध हो पाया है।"

पशुपालकों के बड़े काम का है ग्राम हाट ऐप

ज़मीनी स्तर पर सालों की महनत की वजह से जीआरसी ने एक कृषि उद्यमियों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क बना लिया था, अब वक़्त था इस नेटवर्क को एक प्लेटफार्म देने का जहां महिला कृषि उद्यमियों को वेरिफ़िएड खरीदार और जानवरों को बेचने की सुविधा मिल सके। ऐसे में महिलाओं की मदद के लिए ग्राम हाट ऐप विकसित किया गया है, जिसकी मदद से वो सीधे अपने पशुओं को खरीद या बेच सकती हैं, इससे उन्हें बिचौलियों से छुटकारा मिल गया है।

बकरी आधारित आजीविका पर एक्सपर्ट सत्येंद्र सेंगर बताते हैं, "मैंने जीआरसी के विचार को आकार लेते हुए देखा है। यह अब डांग क्षेत्र के हजारों बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए काम कर रहे हैं। जीआरसी में किसानों की आय बढ़ाने के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार की काफी संभावनाएं हैं।"



इस ऐप पर इसके इलावा और भी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे ऐप पर घर बैठे-बैठे अपने जानवरों के लिए चारा या अन्य सामान मंगा सकते है वो भी सही दाम पर। साथ ही 24*7 ऐप पर आप हेल्पलाइन पर कॉल कर अपनी समस्या कभी भी साझा कर सकते हैं। ऐप पर एक हेल्थ केयर सेक्शन भी है जो किसानो को चैट और वीडियो कॉल के ज़रिये जानवरों की सेहत से सम्बंधित जानकारी देता है।

ऐप पर आपको सबसे पहले पंजीकरण करना होगा जिसको करते ही मोबाइल पर OTP आएगा जिसके ज़रिए यूजर वेरिफाइड होगा। जिसके बाद यूजर ऐप पर उपलब्ध सभी सुविधाओं जैसे जानवरों को खरीदना अथवा बेचना, कस्टमर सपोर्ट का इस्तेमाल कर सकते है।

अभी तक ग्राम हाट एप्प को गूगल स्टोर पर दो हज़ार लोगों ने डाउनलोड किया है, हालांकि अभी इसके ज़्यादातर यूजर राजस्थान और बुंदेलखंड इलाके से हैं।  

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