बाड़मेर में टिड्डी दल से नुकसान की आशंका, कृषि विभाग ने उतारी 45 लोगों की टीम

Update: 2019-07-19 12:34 GMT

लखनऊराजस्थान के बाड़मेर जिले में पाकिस्तान की ओर से आ रहे टिड्डी कीटों से खेतों को नुकसान पहुंच सकता है।खेेतों के नुकसान की आशंका को लेकर बाड़मेर किसान और प्रशासन दोनों चिंतित हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बा़डमेर मे जैसे ही कीटों के हमले की खबर मिली उन्होंने कृषि विभाग की 45 लोगों की टीम को फसलों को कीटों से बचाने के लिए मैदान में उतार दिया है।

रोकथाम के लिए कृषि विभाग की 45 सुपरवाइजर मैदान में

कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर किशोरीलाल वर्मा ने गांव कनेक्शन से बातचीत में बताया कि पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों से आए कीटों से बचाव के लिए कृषि विभाग के 45 सुपरवाइजर मैदान में हैं। जिनमें से 35 सुपरवाइजर हमारे जिले से हैं तो 10 सुपरवाइजर को बाहर से बुलाया गया है।किसानों की ओर से सूचना मिलने पर वह प्रभावित इलाकों में मेलाथियान 96 यूएलबी नामक कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। मैलाथियान कीटनाशक कीटों को तुरंत खत्म करने के लिए सबसे प्रभावी कीटनाशक माना जाता है।

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किशोरीलाल बताते हैं कि हम बाड़मेड़ जिले के सभी इलाकों में सर्वे कर रहे हैं। जहां पर भी हमें कीटों का आतंक दिखता है तो हम इसकी सूचना लोकस्ट विभाग को देते हैं। लोकस्ट विभाग केंद्र सरकार के अधीन आता है। जो कीटों से रोकथाम के लिए काम करता है।उनके पास बाड़मेर जिले में 7 पौध संरक्षण उपकरण है। जिनकी क्षमता 70- 100 लीटर कीटनाशकों को ले आने ले जाने की क्षमता होती है।

बार्डर के आऊटपोस्ट पर भी किया गया छिड़काव

कीट सर्वभक्षी होते है। यह पूरे के पूरे पौधे को बर्बाद कर देते हैं। इसके अलावा ये एक साथ लाखों की संख्या में साथ आते हैं। इसलिए इन्हें टिड्डी दल भी बोलते हैं। किशोरीलाल के अनुसार पाकिस्तान के इलाकों से आने वाले कीटों को रोकने के लिए बार्डर के आऊटपोस्ट पर भी छिड़काव किया गया है। गुरूवार को ही आउटपोस्ट 42 से 82 तक कीटनाशकों का छिड़काव किया गया है। वह बताते हैं कि बाड़मेर में जहां भी कीटें पाई वह 300 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र में पाई गई है। इसलिए किसानों को इन कीटों से डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।


4 जगहों पर पाए गए टिड्डी दल

किशोरीलाल ने बताया कि जिले में स्थितियां अभी कंट्रोल में हैं। 4 जगहों पर कीटों का समूह पाया गया है। हमारे पास कुल 7 मशीनें हैं। इस हिसाब से हमारे पास तीन मशीनें अतिरिक्त है। जहां जहां कीटों को लेकर सूचना मिलता है वहां इन मशीनों को भेजा जाता है। किशोरीलाल कहते हैं कि गढ़वा तामलौर इलाके में अब तक सबसे ज्यादा कीटों की उपस्थिति मिली है। रामसौर में थोड़ी बहुत कीटें देखने को मिली हैं। इसके अलावा एक दो पंचायतों में भी काफी कम संख्या में कीट मिले हैं।किशोरीलाल के मुताबिक जहां जहां कीट की उपस्थिति मिली है वहां उन्हे कीटनाशकों का छिड़काव कर खत्म कर दिया गया है।

 किशोरीलाल ने कहा कि हमारे सुपरवाइजर अभी भी फील्ड हैं। अगर आगे कीटों का आतंक बढ़ता है तो हम उसे भी नियंत्रित करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमने और जिलों को भी सतर्क कर दिया है कि स्थितियां बिगड़ने पर हम और जिलों से पौध संरक्षण मशीनों का मंगाएंगे। इसके अलावा अन्य जिलों के कृषि विभाग के सुपरवाइजरों को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है कि जरूरत पड़ने वह मदद के लिए बाड़मेर आ सकें।

1993 के बाद इस बार फिर से टिड्डी ने राजस्थान के किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इससे पहले 1993 में सितंबर-अक्टूबर के महीने में टिड्डियों ने राजस्थान में हमला किया था, जब देखते ही देखते पूरी फसल चौपट हो गई थी। कुछ दी दिनों में ये कीड़े पूरी फसल चौपट कर गए थे। साल 2019 में पहली बार 21 मई को जैसलमेर के फलौदी इलाके में टिड्डियों का हमला देखा गया था, जिसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने एक विशेष दल राजस्थान भेजा था। टिड्डियों के दलों ने एक बार फिर से बाड़मेर के कुछ क्षेत्रों में हमला कर दिया है।इससे किसान सहमे हुए हैं। पाकिस्तान से सटी राजास्थान की 1070 किलीमोटर की इंटरनेशनल सीमा के गांवों को अलर्ट पर रखा गया है। टिड्डियों के बारे में माना जाता है कि इनका एक दल एक दिन में 150 किलोमीटर तक हवा के साथ उड़ सकता है और एक दल एक दिन में 35000 लोगों जितना भोजना खा सकता है।


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