टीचर्स डायरी: "जिस स्कूल में पढ़ाई की, उसी खँडहर स्कूल में उप प्रधानाचार्य बनकर उसका कायाकल्प किया"

शाहीन अफ़रोज़ राजस्थान में टोंक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम में उप प्रधानाचार्य हैं। उन्होंने खुद भी यहीं से पढ़ाई की है। टीचर्स डायरी में अपने अनुभव साझा करते हुए बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने खँडहर स्कूल का कायाकल्प कर दिया है।

Update: 2023-05-18 11:25 GMT

हम दुनिया में कहीं भी चले जाएँ, लेकिन अपना घर और स्कूल नहीं भूल पाते हैं। कई सालों तक दूसरे स्कूलों में पढ़ाने के बाद जब मेरी नियुक्ति 2021 में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी में हुई तो देखा स्कूल की इमारत खँडहर में तब्दील हो गई है।

साल 1988 से 1991 मैंने यहाँ पर 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई की थी। मेरा बीता हुआ कल मुझे अक्सर याद दिलाता है, शायद वही मुझे खींचकर लेकर आया। पहले भी जब मैं आता था तो अज़ीब सा महसूस होता था। इमारत जर्ज़र हो गई थी, लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं था। तब मैंने सोचा था जब कभी मौका मिला तो ज़रूरर इसके बारे में कुछ करूँगा ।

एक जनवरी 2021 को मैंने ज्वाइन किया, तभी सोचा कि स्कूल को ठीक करूँ,लेकिन कोरोना वायरस के ताँडव से सब कुछ ठहर सा गया। साल 2022 में मैंने स्कूल का कायाकल्प करना शुरू कर दिया। जब बजट के बारे में मालूम किया तो पता चला कि वो कई बार पास हुआ लेकिन कहीं न कहीं पर रुकावट आ जाती थी। तब मैंने मुख्यमंत्री जन विकास योजना और प्रधानमंत्री जन विकास योजना की मदद से काम शुरू किया।


राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठी नातमाम ऐतिहासिक इमारत है, जिसकी आधारशिला नवाब मोहम्मद अली ख़ान ने साल 1864 में रखी थी। इसी इमारत में बाद में स्कूल शुरू कर दिया गया। इसलिए हमने एक बार इसकी मरम्मत करके हेरिटेज लुक दिया है।

इस पूरे काम में यहाँ के प्रधानाचार्य शंकर शंभू गंगवाल का पूरा सहयोग मिला। आज स्कूल में बहुत सारी नई सुविधाएँ शुरू कर दी गई हैं। रात में बैडमिंटन खेलने के लिए लाइट लगवा दी गई हैं, इसके अलावा बास्केटबॉल ग्राउंड जो सालों से बेकार पड़ा था उसका कायाकल्प किया। बच्चों के लिए साइकिल स्टैंड जर्ज़र अवस्था में था, कीचड़ से भरा रहता था, आने जाने में परेशानी रहती थी। उसका भी हल निकल गया। नगर परिषद चेयरमैन, पार्षदों और अन्य लोगों के साथ मिलकर लगभग 1 हज़ार वर्ग फुट इंटरलॉक टाइल्स लगवाई। स्कूल में गार्डन को खूबसूरत किया।

पहले जहाँ स्कूल में 700 के लगभग बच्चों का एडमिशन था, आज 2000 हज़ार के करीब बच्चे पढ़ रहे हैं। आगे और भी बढ़ने की उम्मीद है।


अभी गर्मी की छुट्टी होने वाली है तो सभी साथी शिक्षकों से बात हो गई है, बारी-बारी से सब पेड़-पौधों की देखभाल करेंगे और पानी डालने पहुँचेंगे।

इस स्कूल के लिए जो मैं सोच कर आया था वह मैंने लगभग मुकम्मल कर दिया। यहाँ का सबसे बड़ा स्कूल रियासत की इमारत में है जो एक पहचान है। यहाँ कोई आता है तो उसे सुकून मिलना चाहिए और एक बेहतर सँदेश लेकर बाहर जाना चाहिए। बच्चे यूनिफॉर्म में आते हैं और सभी अध्यापक पढ़ाते भी हैं और बच्चे पढ़ते भी हैं। लाइब्रेरी भी खुलती है। हॉल में रात को दिन में बैडमिंटन का खेल होता है।

अभी हाल ही में हमारे स्कूल का चयन पीएम श्री योजना के तहत भी हुआ है, हमारी कोशिश है कि स्कूल को पूरी तरह से डिजिटल बना दें। 

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