"बच्चों ने बदला सोचने का नज़रिया"

विनीत कुमार मिश्र, कानपुर देहात के उच्च प्राथमिक विद्यालय अंता के प्रधानाध्यापक हैं, टीचर्स डायरी में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं।

Update: 2023-05-23 13:37 GMT

जब मैंने स्कूल में ज्वाइन किया था, मौलिक नज़रिया यही था कि यहाँ कुछ भी सम्भव नहीं। शैक्षिक स्तर से लेकर भौतिक परिवेश तक, सब कुछ उदासीन सा था। मेरा मन विचलित हो उठा।

शुरुआत के कई दिन तो ऐसा लगे कि यहाँ क्या ही कर पाउँगा मैं। हताशा में खाने का डिब्बा तक खोलने का दिल न करे। पर जब कुछ ही दिनों में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से लगाव बढ़ने लगा तो बस, मन दृढ़ संकल्पित हो गया कि यदि इच्छा शक्ति प्रबल हो, तो अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है।

और उसी दिन से मैंने दिन रात अनवरत प्रयास शुरू कर दिए। उच्च अधिकारियों से सँपर्क करके, ग्राम पँचायत को विश्वास में लेकर कायाकल्प पूरा करवाया।


बच्चों के लेखन-पठन कौशल पर ध्यान दिया। विद्यालय में विज्ञान कक्ष, गणित कक्षा, पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास शुरू किया। सभी कक्षा को सुँदर करके रोचक और आकर्षक बनाया। साथ ही, बालिका शिक्षा पर ज़ोर देते हुए मीना टोली को सक्रिय किया।

लगातार घरों से सम्पर्क करके बालिका नामांकन में न सिर्फ़ वृद्धि की, बल्कि ये भी सुनिश्चित किया कि कक्षा आठ पास करने के बाद लड़कियों का दाखिला कक्षा 9 में ज़रूर हो जाए। ताकि उनकी पढ़ाई में बाधा पैदा न हो।

साथ ही, नशा मुक्ति, सड़क सुरक्षा, संचारी रोग बचाव, पर्यावरण संरक्षण आदि राष्ट्रीय मुद्दों पर धरातल पर उतर कर प्रयास जारी है। अभी भी, रिवार सर्वेक्षण घर- घर जा कर कर रहा हूँ । ताकि कोई भी बच्चा, शिक्षा से दूर न रह पाए।

इन उपलब्धियों ने मुझे और अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए अधिक सजग कर दिया है। भविष्य में, मैं हर वो प्रयास करने को तत्पर हूँ, जिससे अपने विद्यालय को शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलकूद, संस्कृति सभी में आगे कर सकूँ।  

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