छुट्टा गाय पालने वाले काश्तकारों को चार महीने से नहीं मिला पैसा

Diti BajpaiDiti Bajpai   13 Jan 2020 11:35 AM GMT

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छुट्टा गाय पालने वाले काश्तकारों को चार महीने से नहीं मिला पैसा

द‍िति बाजपेई/रणविजय स‍िंह

"सरकार ने कहा था कि गाय पालो तो रोजाना 30 रुपए मिलेंगे पर पिछले चार महीने से कोई पैसा नहीं मिला। हमारे पास घर का खर्चा चलाने के लिए पैसा नहीं, गायों को कैसे खिलाएं?" 50 वर्षीय शेर बहादुर गुस्से में कहते हैं।

जुलाई 2019 में योगी सरकार ने छुट्टा गायों की समस्या को लेकर 'बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' शुरु की थी। इस योजना के तहत छुट्टा गोवंश पालने वाले इच्छुक व्यक्तियों को प्रति दिन 30 रुपए के हिसाब से महीने में 900 रुपए उनके खाते में दिए जाने थे। लेकिन जो व्यक्ति छुट्टा गोवंश पाल रहे हैं, उनको इस योजना के तहत अभी तक कोई पैसा नहीं मिला है।

भटऊ जमालपुर गाँव में रहने वाले शेर बहादुर

शेर बहादुर समेत 30 लोगों ने लखनऊ से 35 किमी. दूर काकोरी ब्लॉक के भटऊ जमालपुर गाँव में बनी अस्थाई गोवंश स्थल से गाय तो ले ली लेकिन उनको गाय के चारे-पानी के लिए पैसा नहीं मिला। शेर बहादुर बताते हैं, "ब्लॉक से पता चला कि सरकारी गोशाला की गाय पालने के लिए पैसा मिलेगा तो हमने दो गाय ले ली थी। जब से लाए है खुद ही खिला रहे हैं। अब हम इन गायों को वापस गोशाला में छोड़ देंगे।"

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पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पूरे उत्तर प्रदेश में 4954 अस्‍थाई गोवंश आश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें 4 लाख 20 हजार 883 छुट्टा पशुओं को रखा गया है। इन गोवंश आश्रय स्‍थलों के संचालन का जिम्‍मा ग्राम प्रधानों को दिया गया है।

भटऊ जमालपुर के प्रधानपति संजय सैनी से जब काश्तकारों को पैसा न मिलने का कारण पूछा गया तो वह कहते हैं, "अभी तक हम 57 काश्तकारों को गोवंश दे चुके है उनको पैसा नहीं मिला है। हमको तो रोज धमकी मिलती है कि अगर एक हफ्ते में पैसा नहीं मिला तो गायों को आश्रय केंद्रों में छोड़ देंगे।"

यूपी सरकार द्वारा शुरु की गई इस योजना के तहत इच्छुक व्यक्ति को जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के द्वारा धनराशि मुहैया कराई जानी थी। इसके साथ ही उस व्यक्ति से सौ रुपए के स्टाम्प पेपर में प्रमाण लेना था कि वह गोवंश को छुट्टा नहीं छोड़ेंगे। योजना के पहले चरण में एक लाख छुट्टा गायों को इच्छुक लोगों को दिया जाना था। गोवंश दिए तो गए लेकिन काश्तकारों को पैसा नहीं मिला।

इस योजना के बारे में उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में अपर निदेशक (गोधन) डॉ. अरविंद कुमार सिंह बताते हैं, "सभी जिलों में पैसा चला गया है। ऐसा कोई मामला हमारे संज्ञान में नहीं है कि उनको पैसा न मिला हो।"

इस योजना का यूपी के लगभग हर जिले में बुरा हाल है। गांव कनेक्शन ने जब सीतापुर, उन्नाव और रायबरेली जिलों के मुख्य पशुचिकित्साधिकारियों से योजना की राशि आने के बारे में बात की तो उन्होंने साफ नकार दिया। सीतापुर जिले के मुख्यपशुचिकित्साधिकारी डॉ आर.पी यादव बताते हैं, "अभी तक जिले में 1477 गोवंश को पशु प्रेमियों को दिया जा चुका है। गोवंश के भरण पोषण का जो पैसा आ रहा है उसी में से पशुप्रेमियों को पैसा देना है। जैसे ही पैसा आ जाएगा पशुप्रेमियों के खातों में भेज दिया जाएगा।"

वहीं रायबरेली के मुख्यपशुचिकित्साधिकारी डॉ गजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, " करीब 402 पशुओं को सुपुर्द कर दिया गया है लेकिन जो पैसा गोसेवकों को देना है वो अभी नहीं आया है।"

उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से छुट्टा गायें मुद्दा बनी हुई हैं। इसके लिए योगी सरकार ने गांवों में गोशालाएं खुलवाई, लाखों गायों को इनमें रखा गया, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई। समस्या को देखते हुए सरकार ने लोगों से कहा कि वो गाय पालें और उसका खर्च सरकार उठाएगी लेकिन सरकार की यह योजना भी जमीनी स्तर पर विफल नज़र होती दिख रही है।

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