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इन घरेलू नुस्खों को अपनाकर अपने पशुओं को मक्खी, मच्छरों से बचाएं

पशु स्वस्थ हैं तो दूध भी ज्यादा मिलेगा। जब पशुओं को मच्छर काटते हैं तो वो सही ढंग से खा नहीं पाते हैं न ही जुगाली कर पाते हैं, जिससे 5 से 10 प्रतिशत दूध में कमी आ जाती है। कभी-कभी मच्छर पशुओं को इतना काटते हैं कि उनके पैरों से खून भी आ जाता है।
#animal husbandry

लखनऊ। इस मौसम में उमस बढ़ जाती है वहीं मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ जाता है। मच्छर इंसानों का तो खून चूसते है साथ ही पशुओं को भी नुकसान पहुंचाते है इनके काटने से पशु तनाव में चला जाता है, जिससे दूध उत्पादन की क्षमता पर काफी असर पड़ता है।

जैसे मक्खी और मच्छर इंसानों को परेशान करते है वैसे पशुओं को भी इनके बार-बार बैठने और भिन-भिनाने से दिक्कत होती है पशु बोल नहीं सकते है इसके लिए इसका सीधा असर इनके उत्पादन पर पड़ता है। “पशु स्वस्थ है तो दूध भी ज्यादा मिलेगा। जब पशुओं को मच्छर काटते है तो वो सही ढ़ग से खा नहीं पाते है न ही जुगाली कर पाते है, जिससे 5 से 10 प्रतिशत दूध में कमी आ जाती है। कभी-कभी मच्छर पशुओं को इतना काटते है कि उनके पैरों से खून भी आ जाता है।”उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् के सेवानिवृत मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.बीबीएस यादव ने बताया, ” पशुओं को पैरों में नीम का तेल लगा दे चाहिए। इसके साथ ही नीम और तुलसी के पत्ते को जला कर एक कोने में रख दे और बाद में बुझा दो उससे उठने वाला धुआं मच्छरों को मार देता है। पशुपालकों को यह सुबह और शाम करना चाहिए।”

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पशुओं के बाड़े से मच्छरों को कम करने के लिए देसी नुस्खों के बारे में हेस्टर संस्था के लाल जी दिवेद्वी बताते हैं, “दो से तीन किलो शरीफे की पत्ती ले ले और इस पत्ती को तीन से चार लीटर पानी में डाले जब एक लीटर पानी बच जाए तो पशु के आस पास इसका छिडकाव कर दे और एक हफ्ते बाद इसका छिड़काव करके 70 से 80 प्रतिशत मच्छर गायब हो जाऐंगे।”

इस गाँव में पशुओं के लिए लगा रखी है मच्छरदानी

जहां एक तरफ पशुपालक मच्छर काटने का उपाय नहीं करते वहीं शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बनिगवां गाँव हैं जहाँ पर लोग मच्छरदानी लगा कर खुद को मच्छरों से बचाते ही है, साथ ही अपने पशुओं को भी मच्छरदानी लगाते हैं। इस गाँव में सरदारों के लगभग दस घर हैं। यहाँ के हर घर में चार-पांच पशु हैं और सब मच्छरदानी में ही रहते हैं।

लखबीर सिंह (30) की तीन गाय और एक भैंस शाम होते ही गुलाबी मच्छरदानी में बाँध दी जाती हैं। “पिछले दस बारह वर्षों से हम अगस्त के महीने से मच्छरदानी लगा देते हैं, हमारी तरह उन्हें भी तो मच्छर काटते हैं।” लखबीर सिंह ने बताया, “यहाँ पर लोग जाली का पूरा थान लाते हैं और घर पर पशुओं के हिसाब से मच्छरदानी सिलते हैं । 30 बाई 20 की मच्छरदानी में लगभग 1500 से 1600 रूपए तक का खर्च आता है। एक बार मच्छरदानी बनने पर एक – दो साल तक चलती है।”


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बरसात के मौसम में इन बातों का रखें ध्यान

  • नीम व तुलसी के पत्ते 5 सेकेंड के लिए जला कर एक कोने में रख दे और बाद में बुझा दे उससे उठने वाला धुंआ मच्छरों को दूर करता है।
  • पशु बाड़े के साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • अजवायन का तेल, लौंग का तेल से भी मच्छर भगा सकते है।
  • पशुपालक अपने पशुओं को गौशाला में रखते है वो जालीधार दरवाजा बनवाए, जिससे मच्छर अंदर नहीं आऐंगे।
  • पशुओं के बाड़े के आस-पास जलभराव नहीं होना चाहिए।
  • शाम के समय मच्छरों के लिए पशुओं पर मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • बरसात के मौसम में टीकाकरण जरूर लगवाएं।

 

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