देसी गाय से कैसे मुनाफा कमा सकते हैं इस गोशाला से सीखिए

Diti BajpaiDiti Bajpai   9 Jan 2020 9:58 AM GMT

देसी गाय से कैसे मुनाफा कमा सकते हैं इस गोशाला से सीखिए

वाराणसी। जहां एक ओर पशुपालक देसी गाय पालन को घाटे को सौदा मानते हैं, वहीं बनारस स्थित रामेश्वर गोशाला एवं पशुशाला देसी गायों को पालकर सलाना लाखों की कमाई कर रही है, साथ गंगातीरी नस्ल की गायों का संरक्षण और संर्वधन भी किया जा रहा है।

यह गोशाला बनारस जिले के हरूंआ ब्लॉक के रामेश्वर गाँव में है। पिछले कई वर्षों से इस गोशाला में गायों की देखरेख कर रहे वेटनरी ऐसीसटेंट डॉ. ओम प्रकाश बताते हैं, ''हमारी गोशाला में गंगातीरी नस्ल की 800 गाय है, जिसमें से 200 गाय दूध दे रही हैं। एक गाय एक दिन में 10 से 12 लीटर दूध देती है। इस गाय का गोशाला में सरंक्षण और संवर्धन भी किया जा रहा है क्योंकि धीरे-धीरे यह विलुप्त हो रही हैं।"

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गंगा किनारे खासकर पूर्वांंचल में पाई जाने वाली गंगातीरी गाय को हाल ही में राष्ट्रीय पहचान मिल गई है। देशी नस्ल की यह गाय ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है। पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार में किसान घर-घर पालते थे। मगर क्रॉस ब्रिडिंग और ज्यादा दूध लेने के लिए इस प्रजाति को भुला दिया गया था। अब गंगातीरी को 'राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक ब्यूरो' करनाल, हरियाणा ने एक ब्रीड के रूप में स्वीकार कर रजिस्ट्रेशन करा लिया है।

पशुपालकों में देसी गाय पालन का रूझान काफी बढ़ा है। कई राज्यों में किसान देसी नस्ल की गायों के दूध, गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। "गाय के दूध को शहरों में 60 रूपए लीटर बेचते है अभी इनके दूध की डिमांड ज्यादा है जिसको हम पूरा नहीं कर पा रहे है। दूध को बेचने के लिए शहरों में स्टॉल भी लगाए है, "डॉ. ओम प्रकाश ने बताया।


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पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए गोशाला के आस-पास हरा चारा बोया हुआ है। इसके साथ ही गोशाला में गोबर की खाद से वर्मी कम्पोस्ट और गोमूत्र से अर्क तैयार किया जाता है, जिसको भी बाजार में अच्छे दामों में बेच रहे है।


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