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वैज्ञानिकों ने विकसित की गिनी फाउल से ज्यादा अंडा उत्पादन की नई तकनीक

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान ने शोध किया है कि कैसे सर्दियों में गिनी फाउल से अंडा उत्पादन ले सकते हैं।
guinea fowl

पिछले कुछ वर्षों में मुर्गी पालकों का रुझान गिनी फाउल पालन की तरफ भी बढ़ा है, क्योंकि अंडा व मांस उत्पादन के लिए ये एक बढ़िया विकल्प है, इनपर ज्यादा खर्च भी नहीं आता है, लेकिन इनको तैयार होने में काफी समय लग जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रयोग किए हैं, जिससे ये पहले ही अंडे देने के लिए तैयार हो जाती हैं और ज्यादा दिनों तक अंडा देती हैं।

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली के वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग किया है। संस्थान की वैज्ञानिक प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सिम्मी तोमर बताती हैं, “गिनी फाउल पालना दूसरे पक्षियों को पालने के मुकाबले में कम खर्चीला होता है, खासकर अगर कोई बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म शुरू करना चाहे तो और बढ़िया होती हैं। ये इको-फ्रेंडली होती हैं और खेत में कीटों को खाती हैं, लेकिन देरी से अंडे तैयार होने से इसे तैयार करने में बहुत समय लग जाता है।”

वो आगे बताती हैं, “क्योंकि ये मूल रूप से अफ्रीका के गिनी द्वीप के पक्षी हैं, इसलिए इनका नाम गिनी फाउल पड़ा है। क्योंकि ये गर्म जगह से हैं, इसलिए मार्च से सितम्बर तक 90 से 110 दस अंडे देती हैं। हमने कुछ प्रयोग किए हैं, जिससे ये नवंबर से फरवरी तक भी अंडे दे सकती हैं।

संस्थान ने सर्दियों के महीनों (नवंबर से फरवरी) के दौरान 2016 से 2021 तक गिनी फाउल के प्रजनन में सुधार लाने के लिए कई प्रयोग किए। वैज्ञानिक प्रयोग के जरिए पहले अंडे देने के समय को कम करना चाहते थे, जिससे अंडा उत्पादन भी बढ़ जाए। 14 हफ्तों के पक्षियों को तीन हफ्तों तक ऐसे में पिंजरे में रखा गया, जहां पर 18 घंटों तक बल्ब से कृत्रिम प्रकाश रहता था, जो 18 घंटे के बाद खुद ही बंद हो जाता था। इसके साथ इनके फीड में मक्का, सोयाबीन, मछली पाउडर, सीपियां, चूना पत्थर जैसे प्रोटीनयुक्त आहार को शामिल किया गया।

“पूरी दुनियां में जहां पर दिन लंबे होते हैं और रात में तापमान अधिक होता है। उसी समय ये अंडे देती हैं। लेकिन केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान पिछले कई साल से शोध कर रहा था, जिसमें वो सर्दियों में अंडे देने लगी हैं, “डॉ तोमर ने आगे बताया।

इसकी कलगी से मादा और नर की पहचान की जाती है, 13 से 14 हफ्तों में मादा की कलगी नर के आपेक्षा में छोटा होता है। कोई किसान व्यवसायिक तरीके से गिनी फाउल पालन शुरू करना चाहता है तो 50 से 10 बर्ड्स से शुरूआत कर सकता है। इसके चूजे की कीमत 17-18 रुपए तक होती है। अगर इसे अंदर रख कर पालना चाहते हैं तो फीड का खर्च बढ़ जाता है, अगर इसे बार चराने ले जाते हैं तो फीड का खर्च कम हो जाएगा।

गिनी फाउल पालन अंडे और मांस दोनों के लिए किया जाता है, 12 हफ्तों में इसका वजन 10 से 12 सौ ग्राम तक हो जाता है।

वो आगे कहती हैं, “इस प्रयोग से अंडा उत्पादन की संख्या तो बढ़ी ही साथ ही जल्दी अंडे देने के लिए भी तैयार हो गए हैं। जो पक्षी साल में 90 से 110 अंडे देते थे, वही अब 180-200 अंडे देने लगी हैं। पहले जो गिनी फाउल 36 महीने में अंडा देना शुरू करती थी, वो 21 हफ्तों में अंडा देने लगती है, जोकि पहले से लगभग 15 हफ्ते पहले है। इनकी प्रजनन क्षमता भी अच्छी हो गई अब तो सर्दियों में भी अंडों की हैचिंग हो जाती है।”

इसी तरह मुर्गी पालन में दवाइयों और टीकाकरण में काफी खर्च हो जाता है, लेकिन गिनी फाउल को किसी तरह का कोई भी टीका नहीं लगता है और न ही कोई अलग से दवाई दी जाती है। इस तरह से ये ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी होता है।

इसकी एक और खासियत होती है, इसके अंडे के छिलके दूसरे अंडों के मुकाबले दो से ढाई गुना ज्यादा मोटा होता है, इसलिए ये आसानी से नहीं टूटता है और जहां पर लाइट वगैरह नहीं होती है वहां पर भी मुर्गी के अंडों की तुलना में देर से खराब होते हैं। जैसे कि गर्मियों के दिनों में मुर्गी का अंडा खुले में बिना फ्रिज के सात दिन में सड़ेगा, वहीं इसका अंडा 15 से 20 दिनों तक सुरक्षित रहता है।

अधिक जानकारी के लिए यहां संपर्क करें

अगर आप भी गिनी फाउल पालन का प्रशिक्षण या फिर चूजे लेना चाहते तो, केंद्रीय पक्षी अनुंसधान संस्थान बरेली से संपर्क कर सकते हैं। जहां पर इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है और साथ ही चूजे भी मिल जाते हैं।

केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली (Central Avian Research Institute)

Phone Numbers: 91-581-2303223; 2300204; 2301220; 2310023

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