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गोशालाओं की मदद के लिए आगे आ रहीं देश की बड़ी कंपनियां

gaushala

देश की कई कंपनियां कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत जन कल्याण के लिए पिछले कई वर्षों से काम कर ही रही हैं। आैर अब इनमें से कई कंपनियां गायों के कल्याण के लिए भी काम कर रही हैं। ये कंपनियां गोशालाओं की मदद कर रही हैं।

“कंपनियों द्वारा जो मदद गोशाला को मिलती है उससे काफी सहायता मिलती है। हाल ही जिंदल ग्रुप की तरफ से हमारी गोशाला को दान मिला। कभी-कभी कंपनियां दान देती हैं। देश में गोशालाओं को ऐसी मदद मिल जाए तो गोशालाओं की स्थिति में सुधार हो जाए।” ऐसा बताते हैं, हरियाणा स्थित श्री हरियाणा कुरुक्षेत्र गोशाला के सदस्य राजेंदर कुमार। पिछले 40 वर्षों से इस गोशाला में बीमार और बूढ़ी गायों की सेवा की जा रही है। इस गोशाला में अभी 2800 गोवंश है।

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सीएसआर के तहत विभिन्न कंपनियों ने देश भर में गायों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए गोशालाओं को बड़े पैमाने पर दान दिया है। वर्ष 2015 से 2017 के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों ने सीएसआर के तहत गोशालाओं को 1.42 करोड़ रुपए की मदद दी है। इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि गोशालाओं की मदद के लिए कई कंपनियां अब आगे आ रही हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में रजिस्टर्ड गोशालाओं की संख्या 3500 है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में रजिस्टर्ड गोशालाओं की संख्या 3500 है। जयपुर के सीतापुरा में स्थित केमिकल कंपनी पोद्दार पिग्मेंट्स के कर्मचारी बिमल चौधरी बताते हैं, “अगर कंपनी को मुनाफा होता है तो सीएसआर के तहत जन कल्याण के लिए दान करना होता है। ऐसा सरकार का नियम है। इसी तहत हमारी कंपनी कई संस्थानों और गोशालाओं को मदद करती हैं।”

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जो कंपनियां गोशालाओं में मदद करती हैं वो अपनी वार्षिक रिपोर्ट मे भी इस मदद का जिक्र करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में दर्ज 500 में से करीब 11 कंपनियों ने गोशालाओं को एक करोड़ 42 लाख रुपए का दान दिया है।

जन कल्याण के साथ पशु कल्याण में भी मदद कर रहीं ये कंपनियां। 

उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले से करीब 18 किमी दूर नादरगंज के जीवाश्रय गोशाला में करीब डेढ़ हजार गोवंश है। इस गोशाला के सचिव यतिंद्र त्रिवेदी बताते हैं, “कुछ कंपनियां गोशालाओं को मदद करती है। बड़ी कंपनियां जैसे टाटा, रिलाइंस ये सभी अपने ही संस्थानों की डोनेशन देती हैं। वर्ष 2015 में हमारी गोशाला को दिल्ली की एक कंपनी द्वारा मदद की है।”

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