भारत में पहली बार कृत्रिम गर्भाधान की आईवीएफ तकनीक भैंस का गर्भाधान किया गया और पड़वा (बच्चे) ने जन्म लिया। यह प्रयोग गुजरात की मशहूर भैंस की नस्ल बन्नी पर किया गया है।
गुजरात के सोमनाथ जिले के सुशीला एग्रो फार्म्स पर पहला आईवीएफ बछड़ा बन्नी नस्ल की भैंस के छह बार आईवीएफ गर्भाधान के बाद पैदा हुआ। यह फार्म सोमनाथ जिले के धनेज गांव में स्थित है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब 15 दिसंबर, 2020 को गुजरात के कच्छ इलाके का दौरा किया था, तब उस समय उन्होंने बन्नी भैंस की नस्ल के बारे में चर्चा की थी। उसके अगले ही दिन, यानी 16 दिसंबर, 2020 को बन्नी भैंसों के अंडाणु निकालने (ओपीयू) और उन्हें विकसित करके भैंस के गर्भाशय में स्थापित करने (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन-आईवीएफ) की प्रक्रिया शुरू करने कि योजना बनाई गई।
Happy to share the good news of the birth of first #IVF calf of Buffalo breed namely – #BANNI in the country . This is the first #IVF_Banni_calf born out of 6 Banni IVF pregnancies established at the door steps of farmer namely Mr Vinay.L.Vala of Sushila Agro farms pic.twitter.com/vROwzIuLWq
— Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying (@Min_FAHD) October 22, 2021
वैज्ञानिकों ने विनय एल. वाला के गुजरात के सोमनाथ जिले के धनेज स्थित सुशीला एग्रो फार्म्स की बन्नी नस्ल की तीन भैंसों को गर्भाधान के लिये तैयार किया। वैज्ञानिकों ने भैंस के अंडाशय से डिम्ब निकालने के उपकरण (इंट्रावैजिनल कल्चर डिवाइस-आईवीसी) द्वारा 20 अंडाणु निकाले। तीनों में से एक भैंस के कुल 20 अंडाणुओं को आईवीसी प्रक्रिया से निकाला गया।
वास्तव में एक डोनर से निकाले जाने वाले 20 अंडाणुओं में से 11 भ्रूण बन गये। नौ भ्रूणों को स्थापित किया गया, जिनसे तीन आईवीएफ गर्भाधान वजूद में आये। दूसरे डोनर से पांच अंडाणु निकाले गये, जिनसे पांच भ्रूण (शत प्रतिशत) तैयार हुये। पांच में से चार भ्रूणों को स्थापित करने के लिये चुना गया और इस प्रक्रिया से दो गर्भाधान हुये। तीसरे डोनर से चार अंडाणु निकाले गये, दो भ्रूणों को विकसित किया गया और उन्हें स्थापित करके एक गर्भाधान हुआ।

कुल मिलाकर 29 अंडाणुओं से 18 भ्रूण विकसित हुये। इसकी बीएल दर 62 प्रतिशत रही। पंद्रह भ्रूणों को स्थापित किया गया और उनसे छह गर्भाधान हुये। गर्भाधन दर 40 प्रतिशत रही। इन छह गर्भाधानों में से आज पहला आईवीएफ पड़वा पैदा हुआ। यह देश का पहला बन्नी पड़वा है, जो कृत्रिम गर्भाधान की आईवीएफ तकनीक से पैदा हुआ है।
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पायी जाने वाली बन्नी भैंस को कुंडी नाम से भी जाना जाता है। इस भैंस की कई खासियतें होती हैं। ये भैंस अधिक गर्मी और सर्दी दोनों को बर्दास्त कर लेती हैं। कड़ाके के धूप में चारे की तलाश में दूर तक निकल जाती हैं।
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के अनुसार गुजरात राज्य में बन्नी भैंस की कुल आबादी लगभग 5.25 लाख है जो कच्छ (1,68,938) में सबसे अधिक है, इसके बाद साबरकांठा (78,622), सुरेंद्रनगर (55,588), खेड़ा (39,710) और बनासकांठा (35,142) हैं। बन्नी नस्ल की भैंस अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों तक भी पहुंच गईं हैं।