देश का एक बड़ा तकबा किसी न किसी तरह से मछली पालन से जुड़ा हुआ है, ऐसे में भविष्य में किस तरह से मछली पालन से और लोगों को जोड़कर उनकी आय बढ़ायी जा सकती है, इस विषय पर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने मत्स्य पालन और मत्स्य उद्योग पर एसोचैम के वर्चुअल सम्मेलन में उद्योग जगत से चर्चा की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए केंद्र सरकार द्वारा सबसे बेहतरीन कार्य प्रणाली को शामिल कर उसके जरिये निष्पादित किया जा रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र के पास भारत में अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए एक विशाल घरेलू बाजार है।”
ASSOCHAM’s Virtual Conference on “Fisheries & Aquaculture: Strategic roadmap towards enabling Blue Revolution & Economic Growth https://t.co/ZX4h7fGbzS
— Parshottam Rupala (@PRupala) September 27, 2021
यह चर्चा एसोचैम द्वारा मत्स्य पालन और मत्स्य उद्योग पर आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन के जरिये आयोजित की गई थी, जिसका विषय “नीली क्रांति और आर्थिक विकास को सक्षम करने की दिशा में रणनीतिक रोडमैप” था। डिजिटल सत्र ने सरकार, एसोचैम के उद्योग हितधारक और क्षेत्रीय प्रमुख हितधारकों की उपस्थिति के साथ अधिक मूल्य और अंतर्दृष्टि प्राप्त की है।
मंत्री ने आगे कहा, “पीएमएमएसवाई पिछले साल भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी। अब यह योजना बड़े पैमाने पर भारत के मछुआरों को लाभान्वित कर रही है। पीएमएमएसवाई के बड़े क्षेत्र के अंतर्गत बहुत सी उप-योजनाएं शामिल हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मछुआरों को लाभान्वित कर रही हैं। माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विचार के अनुरूप, इन योजनाओं में निर्यात को दोगुना करना, मछली के उत्पादन को दोगुना करना और मछुआरों की आय को दोगुना करना शामिल किया गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में न केवल इस क्षेत्र में तेजी आएगी बल्कि देश भर में 50 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार भी पैदा होगा। अंत में, मंत्री ने भारत के मछुआरों को क्षेत्र के उत्थान और पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
एमपीईडीए के अध्यक्ष, के एस श्रीनिवास, आईएएस ने कहा, “समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण भी समय-समय पर उपाय करके इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में मदद कर रहा है। समुद्री उद्योग निकायों के सामने आने वाली समस्याओं का बेहतरीन समाधान प्रदान करना एमपीईडीए की प्रमुख चिंता है। इसके साथ ही गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ क्षेत्र के सुचारू और उचित संचालन को सुनिश्चित करना और खाद्य सुरक्षा के संबंध में आवश्यक चिंताओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करते हैं”।
पीएमएमएसवाई और अन्य मत्स्य पालन से संबंधित योजनाओं के बारे में अधिक तकनीकी जानकारी देते हुए, मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव,सागर मेहरा ने कहा, “यह योजना मई 2020 में 100 विविध गतिविधियों की एक श्रेणी के साथ शुरू की गई थी। इसका बजट 20,050 करोड़ था जो मत्स्य पालन क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। योजना के तहत महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हितधारकों और सरकार के बीच ठोस और सहयोगात्मक प्रयासों के साथ रणनीति की आवश्यकता है। ये लक्ष्य 1,00,000 करोड़ रुपये मत्स्य निर्यात, अतिरिक्त 70 लाख टन मछली उत्पादन और आने वाले वर्षों में 55 लाख रोजगार का सृजन करना हैं।