लखनऊ। बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देता है लेकिन ज्यादातर पशुपालक बकरी पालन व्यवसाय को बिना किसी प्रशिक्षण के शुरू कर देते हैं, जिससे आगे चलकर उनको काफी नुकसान होता है।
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक मनीष डीगे बताते हैं, “कोई भी व्यक्ति बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने जा रहा है या करना चाहता है तो वह सबसे प्रशिक्षण जरूर लें ताकि जो नुकसान किसान को होता है वो न हो।”
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केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में एक वर्ष में छह बार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है, जो दस दिन का होता है। इस प्रशिक्षण में पशुपालकों को बकरियों को खरीदने से लेकर, आवास प्रंबधन, आहार व्यवस्था, बीमारियों और उनको बेचने की पूरी जानकारी दी जाती है।
“पैसे के अभाव में पशुपालक बकरियों को दो से तीन महीने की उम्र में बेच देते हैं, पशुपालकों को ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। बकरे को 12 महीने के बाद ही बेचे इससे पशुपालकों को उस बकरे के ज्यादा दाम मिलेंगे।” डॉ. मनीष डीगे ने बताया।
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इस व्यवसाय से जुड़े ज्यादातर बकरी पालक पोषण पर ध्यान नहीं देते हैं, जिससे किसानों को भारी मात्रा में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए पशुपालकों को पोषण पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए तभी उनके वजन बढ़ेगा और पशुपालक को मुनाफा होगा।
बकरियों के वजन पर पड़ता है असर
वैज्ञानिक डॉ. मनीष डीगे आगे बताते हैं, “छोटे किसान बकरियों को चराने के बाद चारा दाना नहीं देते है, जिससे उनके वजन पर असर पड़ता है। प्रशिक्षण के दौरान पशुपालकों को आहार व्यवस्था के बारे में बताया जाता है कि उनके जन्म के समय कैसा आहार हो, ग्याभिन बकरी को किस तरह का आहार दें।”