फरह (मथुरा)। अक्सर झुंड में बकरियां बीमार हो जाती है और पशुपालक पहचान नहीं पाते है, जिससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान तो होता ही और बकरी भी मर जाती है। अगर पशुपालक कुछ बातों को ध्यान दें तो शुरू में ही पशु बीमार है इसके बारे में पता लगा सकते है।
”पशु के बीमार होने पर पशुपालक हर समय पशुचिकित्सक को न तो घर बुला सकता है और न ही जा सकता है। इसलिए पशुपालक को अपने स्तर पर जागरूक होना पड़ेगा ताकि वो अपने खुद नुकसान होने से बच सकेंगे।” केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सोविक पॉल ने बताया, ”जब पशु बीमार होता है तो उसको पहचानना बहुत आसान है क्योंकि उसकी हरकतें अन्य पशुओं की तरह अलग दिखती है और अलग व्यवहार भी करता है।”
19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की पांच अप्रैल, 2016 की रिपोर्ट यह बताती है। भारत में प्रतिवर्ष पांच मीट्रिक टन बकरी के दूध का उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा अति गरीब व गरीब किसानों के पास है।
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बीमार बकरी की पहचान के बारे में डॉ सोविक पॉल बताते हैँ,”अगर आपकी बकरी बीमार है या बीमार होने वाली है तो वो झुंड से अलग बैठती है और उसका वजन भी घिरने लगता है क्योंकि वो न खाना खाती है और न ही पानी पीती है।” डॉ पॉल आगे बताते हैं, ”ज्यादातर बकरियों को बुखार होता है। तो बुखार पता करने के लिए बकरी के मुंह और नाक देखे अगर सूख गया होगा तो उसको बुखार है अगर नहीं सूखा है तो नहीं है। इसके लिए थर्मामीटर की भी जरूरत नहीं पड़ती है।”
बकरी बीमार है या नहीं इसके सामान्य देखरेख के बारे में डॉ पॉल बताते हैं, ”अगर बकरी के गले के निचले हिस्से में सूजन है तो उसको परजीवी रोग होने की आंशका है। अगर बकरियों के शरीर की हड्डियां बहुत ज्यादा दिख रही है तो उसे पशुचिकित्सक को दिखा लें क्योंकि वो किसी बीमारी से ग्रसित हो सकती है।”
आंखें भी बताती है बकरी बीमार है या नहीं
”आपके जानवरों की आंखें भी बता देती है कि उसको खून की कमी है या नहीं । खून की कमी का प्रमुख कारण है बकरी के पेट में कीड़ें होना। अगर बकरी के पेट में कीड़ें होते है तो उनमें एनीमिया हो जाता है। अगर उनकी आंखें लाल रंग या गुलाबी रंग की है तो आपको कीड़ें मारने की दवा देने की जरूरत नहीं है आपकी बकरी स्वास्थ्य है।”डॉ सोविक।
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अगर गाय-भैंस को पहचानना है कि वो बीमार है या नहीं तो ऐसे पहचानिए:
- अगर पशु बीमार है तो सबसे पहले दूध उत्पादन पर असर पड़ता है। पशु तला या फिर कड़ा करने लगता है।
- बीमार पशु के कान सीधे तने हुए न हो कर लटक जाते है।
- पशु के नाक के आसपास पानी की छोटी छोटी बुँदे बनना बंद हो जाती है।
- पेशाब में हल्की बदबू आने लगती है।
- पशु सांसें तेज लेता है या फिर बहुत धीमी हो जाती है।
- पशु के कान ठंडे पड़ जाते है।
- यदि पशु अपने सीगों को दीवार पे बार बार भड़कता हे तो उसके सीगो में कीड़े पड़ने की सम्भावना होती है।
- पशु झुंड की बजाय अलग-अलग या पीछे-पीछे चलता है।
- उसके बालों की चमक खो जाती है ।
- वह जुगाली कम कर देता है या फिर बंद कर देता है।
- दुधारू पशु के दूध में अचानक कमी आ जाती है।
- जल्दी थक जाता है और बैठ जाता है।